नई दिल्ली: भारत ने ग्रेट निकोबार द्वीप पर दूसरा हवाई अड्डा बनाने के लिए औपचारिक रूप से काम शुरू कर दिया है. यह कदम चीन की बढ़ती समुद्री और क्षेत्रीय महत्वाकांक्षाओं के बीच उठाया गया है. ग्रेट निकोबार अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का सबसे दक्षिणी द्वीप है और यह मलक्का जलडमरूमध्य के बेहद करीब स्थित है, जो चीन और सुदूर पूर्व देशों के लिए एक महत्वपूर्ण समुद्री मार्ग है.
नया हवाई अड्डा कहाँ बनेगा?
सूत्रों के अनुसार, नया हवाई अड्डा चिंगेन इलाके में, गैलाथिया खाड़ी के पास विकसित किया जाएगा. यह क्षेत्र सुमात्रा के बांदा आइलैंड से लगभग 150 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में है और बंगाल की खाड़ी में पड़ता है.
ग्रेट निकोबार पर पहले से INS Baaz नामक नौसैनिक हवाई अड्डा मौजूद है, जो कैम्पबेल बे में स्थित है. यह हवाई अड्डा ग्रेट निकोबार और सुमात्रा के बीच के “सिक्स डिग्री शिपिंग चैनल” पर नजर रखता है. नया हवाई अड्डा INS Baaz से कुछ किलोमीटर दक्षिण में होगा और मलक्का जलडमरूमध्य के मुख्य समुद्री मार्ग के बेहद करीब स्थित होगा.
इस जलडमरूमध्य से हर साल लगभग 96,000 से अधिक जहाज गुजरते हैं, यानी औसतन हर दिन 260 से ज्यादा जहाजों की आवाजाही होती है.
प्रोजेक्ट की लागत और कार्यान्वयन
नई सुविधा को एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) विकसित कर रहा है. यह परियोजना ‘ग्रीनफील्ड’ हवाई अड्डे के रूप में तैयार की जा रही है, जिसका मतलब है कि इसे बिल्कुल नए सिरे से बनाया जा रहा है.
अनुमानित लागत: 8,573 करोड़ रुपये
उपयोग: नौसेना, भारतीय वायु सेना और ड्रोन्स (UAV) के अलावा सामान्य नागरिक उड़ानों के लिए भी खुला रहेगा
डुअल-यूज मॉडल: यह हवाई अड्डा डुअल-यूज वाला होगा, जैसे कि चंडीगढ़, डोना पाउला (गोवा), पुणे, लेह और पोर्ट ब्लेयर के हवाई अड्डे हैं.
नया हवाई अड्डा गैलाथिया खाड़ी में विकसित इंटरनेशनल कंटेनर ट्रांसशिपमेंट पोर्ट प्रोजेक्ट का हिस्सा है. इसे सिंगापुर के लॉजिस्टिक्स हब का विकल्प बनाने की योजना है. पर्यावरणीय चुनौतियों के मद्देनजर, सरकार ने विशेष शमन उपाय लागू किए हैं. पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा था कि रणनीतिक सुविधाओं के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए आवश्यक कदम उठाए गए हैं.
रणनीतिक महत्व
भारत का नया हवाई अड्डा इन गतिविधियों के जवाब में रणनीतिक संतुलन बनाए रखने के लिए अहम कदम माना जा रहा है. इससे भारत को मलक्का जलडमरूमध्य और आसपास के समुद्री मार्गों पर नजर रखने और अपने सुरक्षा ढांचे को मजबूत करने में मदद मिलेगी.
भविष्य की योजनाएँ और असर
ग्रेट निकोबार पर दूसरा हवाई अड्डा और लॉजिस्टिक्स हब भारत की रक्षा और आर्थिक रणनीति दोनों को मजबूत करेगा.
इस प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद, भारत के पास सामरिक, आर्थिक और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने के लिए एक महत्वपूर्ण आधार होगा.
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