कब, कहां और कैसे हुई थी वक्फ बोर्ड की शुरुआत, आज एक्ट में बदलाव की जरूरत क्यों? जानें सबकुछ

भारत में वक्फ संपत्तियों को लेकर अक्सर बहस छिड़ती रहती है. हाल ही में वक्फ बोर्ड एक्ट में संभावित संशोधनों को लेकर चर्चाएं जोरों पर हैं. संसद में सोमवार को वक्फ संशोधन विधेयक 2025 को पेश किया गया, जिसके बाद सदन में तीखी बहस छिड़ गई.

When where and how was the Waqf Board started why is there a need for a change in the Act today Know everything
प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- Internet

नई दिल्ली: भारत में वक्फ संपत्तियों को लेकर अक्सर बहस छिड़ती रहती है. हाल ही में वक्फ बोर्ड एक्ट में संभावित संशोधनों को लेकर चर्चाएं जोरों पर हैं. संसद में सोमवार को वक्फ संशोधन विधेयक 2025 को पेश किया गया, जिसके बाद सदन में तीखी बहस छिड़ गई. केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने प्रश्नकाल के बाद विधेयक को चर्चा के लिए प्रस्तुत किया. 

लेकिन सवाल यह है कि वक्फ क्या होता है? इसकी शुरुआत कब हुई? और वक्फ बोर्ड एक्ट में बदलाव से इसका क्या प्रभाव पड़ सकता है? आइए, इस पूरी अवधारणा को विस्तार से समझते हैं.

वक्फ का अर्थ और इसकी उत्पत्ति

वक्फ अरबी शब्द "वकुफा" से बना है, जिसका अर्थ होता है- रोकना या समर्पित करना. इस्लामिक परंपरा में वक्फ संपत्तियां जन-कल्याण के उद्देश्य से दान की जाती हैं. इसे इस्लामिक चैरिटी का एक स्वरूप माना जाता है, जिसमें कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति स्थायी रूप से धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए समर्पित कर देता है. इस संपत्ति के देखरेख और उपयोग का अधिकार वक्फ प्रबंधन समितियों के पास होता है.

इतिहास में पैगंबर मोहम्मद के समय का एक उदाहरण मिलता है, जब 600 खजूर के पेड़ों का एक बाग गरीबों की मदद के लिए समर्पित किया गया था. इसे वक्फ का सबसे प्रारंभिक उदाहरण माना जाता है. भारत में, इस्लाम के आगमन के साथ ही वक्फ संपत्तियों की परंपरा शुरू हुई और दिल्ली सल्तनत के दौरान कई मस्जिदें और दरगाहें वक्फ के रूप में दर्ज की गईं.

भारत में वक्फ बोर्ड की स्थापना

आजादी के बाद, वक्फ संपत्तियों को व्यवस्थित रूप से प्रबंधित करने के लिए 1954 में वक्फ एक्ट पारित किया गया. इसके तहत एक ट्रस्ट के रूप में वक्फ बोर्ड की स्थापना की गई, जो वक्फ संपत्तियों के संचालन और प्रबंधन का जिम्मेदार होता है. बाद में 1995 में इस कानून में संशोधन कर इसे और अधिक सशक्त किया गया.

वक्फ बोर्ड का कार्य और संरचना

वक्फ संपत्तियों के प्रशासन के लिए केंद्र सरकार की ओर से सेंट्रल वक्फ काउंसिल बनाई गई, जो सरकार को वक्फ से जुड़े मामलों में सलाह देती है. प्रत्येक राज्य में सुन्नी और शिया वक्फ बोर्ड बनाए जाते हैं.

वक्फ बोर्ड की संरचना इस प्रकार होती है:

  • एक चेयरमैन
  • राज्य सरकार द्वारा नियुक्त दो सदस्य
  • मुस्लिम विधायक, सांसद, एडवोकेट, टाउन प्लानर और बुद्धिजीवी
  • एक सर्वे कमिश्नर, जो संपत्तियों का लेखा-जोखा रखता है
  • एक मुस्लिम आईएएस अधिकारी, जो बोर्ड का CEO होता है
  • वक्फ से जुड़े विवादों के निपटारे के लिए वक्फ ट्रिब्यूनल भी बनाए गए हैं.

वक्फ संपत्तियों का उपयोग और विवाद

वक्फ से प्राप्त आय को कब्रिस्तान, मस्जिद, शैक्षणिक संस्थान, और शेल्टर होम्स के निर्माण में उपयोग किया जाता है. लेकिन वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को लेकर विवाद भी समय-समय पर उठते रहते हैं. वक्फ बोर्ड के पास 8 लाख से अधिक संपत्तियां हैं, जो 8 लाख एकड़ से अधिक क्षेत्र में फैली हुई हैं. कई मामलों में इन संपत्तियों को लेकर कानूनी विवाद सामने आते हैं.

वक्फ बोर्ड एक्ट में विवादित प्रावधान

1995 के वक्फ एक्ट की धारा 40 के तहत वक्फ बोर्ड को यह अधिकार प्राप्त है कि यदि उसे किसी संपत्ति पर अपना अधिकार प्रतीत होता है, तो वह स्वतः संज्ञान लेकर उसकी जांच कर सकता है और उसे वक्फ संपत्ति घोषित कर सकता है. इस फैसले के खिलाफ अपील केवल वक्फ ट्रिब्यूनल में ही की जा सकती है, जिससे कानूनी प्रक्रिया जटिल हो जाती है.

संभावित संशोधन और उठते सवाल

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, केंद्र सरकार वक्फ एक्ट में लगभग 40 संशोधन करने की योजना बना रही है. इनमें प्रमुख संशोधन निम्नलिखित हो सकते हैं:

  • वक्फ संपत्तियों का ज़िला प्रशासन के पास अनिवार्य रजिस्ट्रेशन.
  • अदालतों को यह अधिकार कि वे किसी संपत्ति की वक्फ स्थिति तय कर सकें.
  • वक्फ बोर्ड में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की योजना.
  • वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता लाने के लिए नए प्रावधान.

वक्फ संपत्तियां भारत में धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा हैं. लेकिन इनके प्रशासन और प्रबंधन को लेकर समय-समय पर विवाद होते रहे हैं. सरकार के संभावित संशोधनों से वक्फ संपत्तियों की पारदर्शिता और प्रभावी प्रबंधन की संभावना है, लेकिन इसके राजनीतिक और कानूनी प्रभावों पर भी नजर रखी जा रही है.

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