नई दिल्ली: मणिपुर में जारी जातीय संघर्ष को समाप्त करने और राज्य में स्थायी शांति स्थापित करने के प्रयासों के तहत शनिवार को राजधानी दिल्ली में केंद्र सरकार ने मैतेई और कुकी समुदायों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की. इस बैठक का उद्देश्य दोनों समुदायों के बीच विश्वास बहाल करना और समन्वय स्थापित करना था.
सूत्रों के अनुसार, इस उच्चस्तरीय बैठक में कानून-व्यवस्था की समीक्षा की गई और शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए रणनीतियों पर चर्चा की गई.
बैठक में किन प्रतिनिधियों ने लिया हिस्सा?
बैठक में मैतेई समुदाय की ओर से ऑल मणिपुर यूनाइटेड क्लब्स ऑर्गेनाइजेशन (AMUCO) और फेडरेशन ऑफ सिविल सोसाइटी ऑर्गेनाइजेशन (FOCS) के छह प्रतिनिधि शामिल हुए. वहीं, कुकी समुदाय की ओर से नौ प्रतिनिधियों ने भाग लिया. इस वार्ता में इंटेलिजेंस ब्यूरो के पूर्व विशेष निदेशक ए.के. मिश्रा केंद्र सरकार के वार्ताकार के रूप में उपस्थित रहे.
केंद्र सरकार की प्राथमिकता: मणिपुर में शांति बहाली
गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में लोकसभा में स्पष्ट किया था कि केंद्र सरकार मणिपुर में स्थायी शांति बहाल करने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा था कि सरकार पहले भी दोनों समुदायों के नेताओं से वार्ता कर चुकी है और जल्द ही एक संयुक्त बैठक आयोजित की जाएगी.
मणिपुर में जातीय हिंसा मई 2023 में तब भड़की थी जब मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा दिए जाने के विरोध में आदिवासी एकजुटता मार्च आयोजित किया गया. इस हिंसा में अब तक 250 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और 50,000 से अधिक लोग विस्थापित हो चुके हैं.
राज्य में बढ़ती हिंसा को देखते हुए 13 फरवरी 2024 को राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया था. इसके साथ ही, राज्य विधानसभा को निलंबित कर दिया गया था. मणिपुर के नए राज्यपाल और पूर्व गृह सचिव अजय कुमार भल्ला लोगों से मिलकर शांति बहाली के प्रयास कर रहे हैं.
राहत शिविरों की दुर्दशा बनी चिंता का विषय
मणिपुर में विस्थापितों के लिए स्थापित राहत शिविरों की स्थिति अत्यंत दयनीय बनी हुई है. 21 मार्च को सुप्रीम कोर्ट के छह न्यायाधीशों की एक टीम ने राहत शिविरों का दौरा किया था. टीम में जस्टिस कोटेश्वर सिंह, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस केवी विश्वनाथन शामिल थे.
हालांकि, दौरे के 15 दिन बीतने के बावजूद राहत शिविरों की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है. चुराचांदपुर जिले के एक राहत शिविर में रह रहे केनेडी हाओकिप ने बताया कि शिविरों में बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी है. उन्होंने कहा, "न्यायाधीशों से मिलने के बाद हमें लगा कि राहत मिलेगी, लेकिन हमें जिलाधिकारी की ओर से कोई स्पष्ट निर्देश नहीं मिले हैं."
सरकारी अस्पतालों में भी दवाओं की भारी कमी है. एक स्थानीय डॉक्टर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कई मरीज इलाज के अभाव में दम तोड़ रहे हैं.
कुकी संगठनों ने जताई नाराजगी
हाल ही में हुई इस बैठक पर कुकी संगठनों ने असंतोष जताया है. उनका कहना है कि थादोऊ कुकी जनजाति के कुछ लोगों ने शांति वार्ता की पेशकश की है, लेकिन मणिपुर के अन्य कुकी संगठन इस पहल का समर्थन नहीं करेंगे.
थादोऊ मणिपुर की प्रमुख जनजातियों में से एक है, जिसे 1956 के राष्ट्रपति आदेश के तहत स्वतंत्र अनुसूचित जनजाति का दर्जा प्राप्त है. 2011 की जनगणना के अनुसार, मणिपुर में थादोऊ जनजाति की जनसंख्या 2.15 लाख है.
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