पाकिस्तान के बाद अब ईरान को अपने जाल में फंसा रहा है चीन, भारत के चाबहार पोर्ट पर है ड्रैगन की नजर!

भारत द्वारा विकसित ईरान के चाबहार बंदरगाह को लेकर एक नई भू-राजनीतिक चुनौती उभर रही है. चीन अब इस महत्वपूर्ण बंदरगाह को पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट से जोड़ने की योजना बना रहा है.

After Pakistan now China is trapping Iran in its net the dragon has its eyes on Indias Chabahar port
चाबहार बंदरगाह/Photo- Internet

तेहरान/इस्लामाबाद: भारत द्वारा विकसित ईरान के चाबहार बंदरगाह को लेकर एक नई भू-राजनीतिक चुनौती उभर रही है. चीन अब इस महत्वपूर्ण बंदरगाह को पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट से जोड़ने की योजना बना रहा है. ईरान की ओर से इस रणनीतिक प्रस्ताव को लेकर चीन के साथ चर्चा भी शुरू हो गई है. अगर यह योजना सफल होती है, तो इससे चीन-पाकिस्तान-ईरान के बीच आर्थिक और रणनीतिक गठजोड़ बन सकता है, जिससे भारत के लिए कई चुनौतियां खड़ी हो सकती हैं.

ईरान-चीन की बढ़ती साझेदारी

ईरान के चाबहार फ्री जोन संगठन के प्रमुख मोहम्मद सईद अरबाबी और ईरान में चीन के राजदूत कांव पेइवु के बीच हाल ही में बैठक हुई थी. इस बैठक में चाबहार को ग्वादर से जोड़ने और चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) का विस्तार करने पर चर्चा की गई. रिपोर्ट के मुताबिक, ईरानी अधिकारी ने चीनी राजदूत से कहा कि ग्वादर में चीन की उपस्थिति चाबहार को पाकिस्तान से जोड़ने का एक अवसर प्रदान कर सकती है, जिससे तुर्की और यूरोप तक आसान व्यापारिक संपर्क बन सकता है.

भारत के लिए क्यों बढ़ी चिंता?

चाबहार बंदरगाह भारत के लिए न केवल एक व्यापारिक केंद्र है, बल्कि यह पाकिस्तान में चीन द्वारा निर्मित ग्वादर पोर्ट के मुकाबले में एक रणनीतिक कदम भी था. इस बंदरगाह के जरिए भारत को मध्य एशिया और अफगानिस्तान तक सीधा पहुंच मिली है, जिससे पाकिस्तान को दरकिनार कर दिया गया है. अगर चीन चाबहार में अपनी मौजूदगी बढ़ाता है और इसे ग्वादर से जोड़ने में कामयाब हो जाता है, तो यह भारत की रणनीतिक बढ़त को कमजोर कर सकता है.

क्या चीन के लिए आसान होगा चाबहार-ग्वादर कनेक्शन?

हालांकि, चीन और ईरान के लिए यह योजना लागू करना इतना आसान नहीं होगा. इसके पीछे कई वजहें हैं:

बलूचिस्तान में बढ़ता विद्रोह

  • चीन और पाकिस्तान के CPEC प्रोजेक्ट को पहले ही बलूच विद्रोहियों का भारी विरोध झेलना पड़ रहा है.
  • बलूच स्वतंत्रता संगठनों ने चीनी परियोजनाओं और सैन्य प्रतिष्ठानों को लगातार निशाना बनाया है.
  • पाकिस्तान की संसद में भी बलूचिस्तान की स्वायत्तता को लेकर बहस तेज हो गई है.

ग्वादर पोर्ट पर समस्याएं

  • ग्वादर पोर्ट अब तक पूरी तरह से सक्रिय नहीं हो पाया है, क्योंकि बलूचिस्तान में सुरक्षा स्थिति खराब बनी हुई है.
  • स्थानीय नागरिक और विद्रोही ग्वादर में चीन की बढ़ती दखल के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं.
  • चीन पहले ही पाकिस्तान से ग्वादर को सुरक्षित बनाने की मांग कर चुका है, लेकिन हालात सुधरते नहीं दिख रहे हैं.

अंतरराष्ट्रीय भू-राजनीतिक समीकरण

  • ईरान के इस कदम से अमेरिका और भारत दोनों की चिंताएं बढ़ेंगी.
  • अमेरिका पहले ही चीन-ईरान के 25 वर्षीय समझौते को लेकर सतर्क है और चीन की ईरान में बढ़ती मौजूदगी को रोकने की कोशिश कर रहा है.
  • भारत ने चाबहार को विकसित करने में काफी निवेश किया है, और यह अफगानिस्तान में भारत की रणनीति का अहम हिस्सा है.

भारत को चाबहार के लिए क्या करना चाहिए?

विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को चाबहार बंदरगाह पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए नई रणनीति अपनानी होगी. इसके लिए:

  • ईरान के साथ अपने संबंधों को और मजबूत करना होगा.
  • बंदरगाह के विकास कार्य को और तेज करना होगा, ताकि चीन को इसमें दखल देने का मौका न मिले.
  • रूस और मध्य एशियाई देशों के साथ अपने व्यापारिक मार्गों को और मजबूत करना होगा.

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