आतंकवाद के खिलाफ भारत अब सिर्फ इंतजार नहीं करता, जवाब देता है. ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय वायुसेना ने महज़ 25 मिनट में पाकिस्तान में मौजूद 9 आतंकी ठिकानों को पूरी तरह नेस्तनाबूद कर दिया. यह कार्रवाई लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिज्बुल मुजाहिदीन जैसे भारत-विरोधी संगठनों पर केंद्रित थी, जो लंबे समय से सीमा पार से आतंक फैलाने की कोशिश कर रहे थे.
राफेल और स्कैल्प: जब आतंक के गढ़ जल उठे
इस कार्रवाई में भारत ने राफेल लड़ाकू विमानों से लॉन्च की गई स्कैल्प मिसाइलों का इस्तेमाल किया. जैसे ही ये मिसाइलें लक्ष्य तक पहुंचीं, पूरे क्षेत्र में जोरदार धमाके हुए और आसमान में कई फीट ऊंची आग की लपटें उठ गईं. इन हमलों से जुड़े इलाकों में दहशत का माहौल था. आतंकी ढांचे चंद मिनटों में खाक हो गए.
ऑपरेशन से घबराया पाकिस्तान
तीन आतंकी संगठनों के नेटवर्क पर एकसाथ की गई इस कार्रवाई ने पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद तक झकझोर दिया. हालांकि पाकिस्तान ने कार्रवाई का अधिकार होने की बात कही, लेकिन उसकी स्थिति सिर्फ डैमेज कंट्रोल तक सीमित रही. ना इच्छाशक्ति, ना सैन्य शक्ति — सिर्फ बयानबाज़ी.
कब और कहां बनी ऑपरेशन सिंदूर की योजना?
इस हाई-क्लास ऑपरेशन की योजना 1 मई को बनाई गई थी, जब RAW ने 21 आतंकी ठिकानों की सूची सौंपी. इनमें से 9 ठिकानों को प्राथमिकता दी गई और 7 मई की तारीख तय की गई. चार दिनों तक ऑपरेशन से जुड़े अधिकारी साउथ ब्लॉक में अलग-थलग रखे गए, जिससे किसी भी तरह की जानकारी लीक न हो सके.
ऑपरेशन के पीछे थी शीर्ष स्तर की निगरानी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल पूरे ऑपरेशन की बारीकी से निगरानी कर रहे थे. डोभाल ने ऑपरेशन के सफल होते ही प्रधानमंत्री को ब्रीफिंग दी, और 9.30 घंटे बाद भारतीय सेना ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दुनिया को इसका विवरण दिया.
कूटनीतिक तैयारी भी थी सशक्त
इस सैन्य कार्रवाई से पहले विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने UNSC के स्थायी और अस्थायी सदस्य देशों को फोन कर भारत के रुख से अवगत कराया. ऑपरेशन के बाद भी भारत ने स्पष्ट किया कि यह देश आतंकवाद के खात्मे के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है.
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