नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से चले आ रहे सर क्रीक विवाद ने एक बार फिर से जोर पकड़ लिया है. इस बार भारत की ओर से सख्त लहजे में चेतावनी दी गई है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुजरात के भुज में दशहरे के एक कार्यक्रम में स्पष्ट रूप से कहा कि अगर पाकिस्तान ने सर क्रीक इलाके में किसी भी प्रकार का दुस्साहस किया, तो भारत उसकी हरकत का ऐसा जवाब देगा, जिससे इतिहास और भूगोल दोनों बदल सकते हैं.
उन्होंने पाकिस्तान पर इस क्षेत्र में सैन्य गतिविधियां बढ़ाने और "खतरनाक मंसूबे" रखने का आरोप लगाया. राजनाथ सिंह ने यह भी कहा कि भारत ने हमेशा इस मुद्दे को बातचीत के ज़रिये सुलझाने की कोशिश की है, लेकिन पाकिस्तान की नीयत अब भी साफ नहीं है. उनका कहना था कि अब हालात "पानी सिर के ऊपर" पहुंच चुके हैं.
पाकिस्तान क्या कर रहा है सर क्रीक में?
एक रिपोर्ट के अनुसार, 2019 से पाकिस्तान ने सर क्रीक क्षेत्र में अपनी सैन्य मौजूदगी में काफी बढ़ोतरी की है. उसने वहां:
इसके अलावा पाकिस्तान अधिक नौसैनिक ठिकानों और चौकियों के निर्माण की योजना पर काम कर रहा है. भारत भी इस क्षेत्र में सतर्क है, खासकर 2008 के मुंबई हमलों के बाद.
2018 में बीएसएफ (BSF) ने यहां आतंकवादी घुसपैठ की आशंका के चलते कई संदिग्ध नौकाएं जब्त की थीं. 2019 में कुछ लावारिस नावें भी मिलीं, जिससे आतंकी खतरे की संभावना और बढ़ गई थी. इन घटनाओं के चलते सर क्रीक एक रणनीतिक हॉटस्पॉट बनता जा रहा है.
सर क्रीक क्यों है इतना महत्वपूर्ण?
सर क्रीक एक 96 किलोमीटर लंबी जलधारा है, जो गुजरात के कच्छ क्षेत्र और पाकिस्तान के सिंध प्रांत के बीच स्थित है. यह दलदली, नमकीन और बेहद कठिन इलाका है, जहां अरब सागर की लहरें जमीन को लगातार बदलती रहती हैं.
यह क्षेत्र ना सिर्फ भौगोलिक बल्कि आर्थिक और रणनीतिक रूप से भी बेहद अहम है. कई रिपोर्टों के अनुसार, इस इलाके में:
साथ ही, जिस देश के पास इसका नियंत्रण होगा, वह विशेष समुद्री आर्थिक क्षेत्र (EEZ) पर अधिकार जमा सकता है.
इसलिए यह विवाद महज दलदल की सीमा का नहीं, बल्कि पैसा, पावर और पोर्ट की पॉलिटिक्स का है. यह क्षेत्र अरब सागर में भारत की समुद्री सुरक्षा और वाणिज्यिक गतिविधियों के लिहाज से बेहद निर्णायक है.
भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद की जड़
सर क्रीक विवाद की जड़ें आजादी से पहले के ब्रिटिश शासनकाल में जाती हैं. विभाजन के बाद गुजरात भारत में और सिंध पाकिस्तान में चला गया, लेकिन सर क्रीक को लेकर स्पष्ट सीमांकन नहीं हो पाया.
भारत 1925 के नक्शों और मध्य-चैनल स्तंभों का हवाला देता है. वहीं पाकिस्तान का कहना है कि थलवेग नियम केवल नदियों पर लागू होता है, जबकि सर क्रीक एक ज्वारीय क्षेत्र (Tidal Estuary) है.
इससे एक और जटिलता जुड़ जाती है. दलदली जमीन की प्रकृति लगातार बदलती रहती है, जिससे सीमांकन करना और भी कठिन हो जाता है.
विवाद का असर किन पर सबसे ज्यादा पड़ता है?
सर क्रीक विवाद का सबसे प्रत्यक्ष और मानवीय प्रभाव पड़ता है- स्थानीय मछुआरों पर. ये मछुआरे अक्सर बिना जाने दूसरे देश की समुद्री सीमा में चले जाते हैं और फिर:
हालांकि अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत ऐसे मामलों में न्यूनतम दंड की व्यवस्था है, लेकिन भारत और पाकिस्तान दोनों ही देशों में मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप लगते हैं.
इसके अलावा, पाकिस्तान द्वारा एलबीओडी नहर (Left Bank Outfall Drain) से खारा और औद्योगिक जल सर क्रीक में छोड़ा जाता है, जिसे भारत सिंधु जल संधि का उल्लंघन मानता है.
राजनाथ सिंह का पाकिस्तान को करारा संदेश
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान को सीधी चेतावनी देते हुए कहा, "सर क्रीक सेक्टर में किसी भी दुस्साहस का जवाब ऐसा होगा, जो इतिहास और भूगोल बदल देगा."
उन्होंने 1965 की लड़ाई का जिक्र करते हुए कहा कि भारतीय सेना तब लाहौर तक पहुंच गई थी और अगर जरूरत पड़ी, तो कराची तक का रास्ता सर क्रीक से होकर खोला जा सकता है.
1971 की जंग और कराची पर हमला
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के पास आज इससे कहीं ज्यादा उन्नत क्षमताएं हैं और यदि पाकिस्तान ने कोई बड़ी गलती की, तो भारत फिर से उसी प्रकार की निर्णायक कार्रवाई कर सकता है.
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