भारत की सैन्य शक्ति में एक और बड़ा कदम जुड़ने वाला है. जहाँ एक ओर देश पांचवीं पीढ़ी के स्वदेशी स्टील्थ फाइटर जेट पर काम कर रहा है, वहीं अब भारतीय वायुसेना (IAF) के ट्रांसपोर्ट बेड़े को मजबूत करने की दिशा में भी बड़ा फैसला लिया गया है.
सरकार ने अब मीडियम ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट (MTA) प्रोजेक्ट को तेजी से आगे बढ़ाने का निर्णय लिया है. इस परियोजना का उद्देश्य है भारत की सामरिक जरूरतों के अनुरूप ऐसा विमान विकसित करना, जो 20 से 30 टन तक भार ले जाने में सक्षम हो और कठिन भूगोल में तेजी से रसद पहुंचा सके, विशेष रूप से लद्दाख, अरुणाचल प्रदेश, सियाचिन और कश्मीर जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में.
सैन्य ज़रूरतों के लिए क्यों अहम है यह प्रोजेक्ट?
कल्पना कीजिए कि दुश्मन के साथ मुठभेड़ के दौरान लेह, तवांग या LOC पर हथियार, गोला-बारूद या टैंक की कमी हो जाए. मौजूदा हालात में ऐसी स्थिति में समय पर रसद पहुंचाना चुनौतीपूर्ण हो जाता है. लेकिन यदि मीडियम ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट उपलब्ध हो, तो सैनिकों को समय रहते मदद मिल सकती है और अभियान की सफलता सुनिश्चित हो सकती है.
आज की स्थिति में भारतीय वायुसेना का मीडियम कैपेसिटी ट्रांसपोर्ट बेड़ा कमजोर हो चुका है. पुराने AN-32 विमान, जिनकी संख्या कभी 200 से अधिक थी, अब घटकर 100 से भी कम रह गई है और इनमें से भी ज़्यादातर अपनी सेवा अवधि के अंतिम चरण में हैं.
1980 के दशक में शामिल किए गए IL-76 विमान अब अधिक खर्चीले होते जा रहे हैं और उनकी परिचालन क्षमता घट रही है. वहीं छोटे Avro और Dornier जैसे विमानों को पहले ही सेवा से हटा दिया गया है, जिससे ट्रांसपोर्ट नेटवर्क में भारी असंतुलन पैदा हो गया है.
IAF की मौजूदा स्थिति
विशेषज्ञ मानते हैं कि ऐसे विमानों की गैरमौजूदगी भारत की सामरिक क्षमता और युद्ध की तैयारी दोनों को प्रभावित करती है, खासकर ऐसे समय में जब सीमा पर तनाव लगातार बना रहता है.
पुराने प्रयास और असफलताएं
भारत ने मीडियम ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट की जरूरत को 2000 के दशक की शुरुआत में ही पहचान लिया था. रूस के साथ HAL और इल्यूशिन की साझेदारी में MTA विकसित करने की योजना बनाई गई थी, लेकिन यह परियोजना 2015 में रद्द हो गई क्योंकि वित्तीय और तकनीकी सहमति नहीं बन सकी.
बाद में भारत ने C-130J सुपर हरक्यूलिस और सीमित संख्या में C-17 ग्लोबमास्टर जैसे विकल्पों को अपनाया, लेकिन अब ये भी या तो बहुत महंगे हो गए हैं या बंद हो चुके हैं.
अब क्या हो रहा है?
अब रक्षा मंत्रालय MTA प्रोजेक्ट के लिए नया टेंडर जारी करने की तैयारी में है. यह टेंडर देश की जरूरतों और घरेलू उत्पादन की संभावनाओं के अनुरूप तैयार किया गया है. उम्मीद की जा रही है कि इस बार MTA की खरीद सिर्फ रणनीतिक जरूरत ही नहीं, बल्कि रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता को भी आगे बढ़ाएगी.
कौन-कौन से विकल्प रेस में हैं?
1. IL-276 (रूस HAL)
2. C-130J Super Hercules
3. A400M Atlas (Airbus)
4. KC-390 Millennium (Embraer Mahindra)
कौन विकल्प सबसे उपयुक्त?
विशेषज्ञों का मानना है कि KC-390 भारतीय जरूरतों के सबसे करीब बैठता है. इसके जेट इंजन इसे ज्यादा तेज बनाते हैं, और ब्राजील की ओर से स्थानीय उत्पादन की पेशकश भारत की मेक इन इंडिया नीति को भी समर्थन देती है.
एयर मार्शल (सेवानिवृत्त) मथेस्वरन के अनुसार, KC-390 न केवल सामरिक आवश्यकता पूरी करता है, बल्कि यह भारत की दीर्घकालिक हथियार-निर्माण क्षमताओं को भी मजबूती दे सकता है.
वहीं A400M अपने प्रदर्शन में तो बेहतर है, लेकिन इसकी उच्च लागत उसे पीछे कर सकती है. IL-276 अभी विकास के शुरुआती चरण में है और C-130J की तकनीक अब पुरानी मानी जा रही है.
ये भी पढ़ें- भारतीय वायुसेना को जल्द मिलेगा पहला स्टील्थ फाइटर जेट, किसे मिलेगी बनाने की जिम्मेदारी? जानें सबकुछ