स्मार्टफोन, कंप्यूटर, खिलौने... एक-दूसरे से क्या-क्या खरीदते हैं अमेरिका और चीन? जानिए किसको ज्यादा नुकसान

    अमेरिका और चीन के बीच का व्यापारिक तनाव अब एक गंभीर मोड़ पर आ चुका है. दोनों देश एक-दूसरे के सामानों पर भारी टैरिफ (आयात कर) लगाकर जवाब दे रहे हैं.

    what do the US and China buy from each other
    ट्रंप- जिनपिंग | Photo: ANI

    अमेरिका और चीन के बीच का व्यापारिक तनाव अब एक गंभीर मोड़ पर आ चुका है. दोनों देश एक-दूसरे के सामानों पर भारी टैरिफ (आयात कर) लगाकर जवाब दे रहे हैं, जिससे अब आम लोगों की जेब पर भी असर दिखने लगा है. अमेरिका ने हाल ही में चीन से आने वाले उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाकर 125% कर दिया है. इस फैसले से अब चीनी सामान अमेरिका में महंगा हो जाएगा और उसकी मांग में गिरावट आ सकती है.

    अमेरिका क्या खरीदता है चीन से?

    अमेरिकी बाजारों में बड़ी मात्रा में चीनी प्रोडक्ट्स बिकते हैं. नीचे जानिए कुछ अहम सामान जो चीन से अमेरिका आता है:

    • स्मार्टफोन और कंप्यूटर
    • वीडियो गेम्स, खिलौने और सजावट की चीज़ें
    • लिथियम-आयन बैटरियां और हीटर
    • कपड़े, जूते और गद्दे
    • फर्नीचर और लाइट फिक्स्चर
    • मोटर वाहन के पार्ट्स
    • प्लास्टिक और मेटल प्रोडक्ट्स
    • मेडिकल इक्विपमेंट

    टैरिफ बढ़ने से इन सभी चीजों की कीमतें अमेरिका में बढ़ जाएंगी और इनकी बिक्री में कमी आ सकती है, जिससे चीन को निर्यात में नुकसान होगा.

    चीन क्या खरीदता है अमेरिका से?

    चीन भी अमेरिका से कई महत्वपूर्ण चीजें खरीदता है. इन प्रोडक्ट्स में शामिल हैं:

    • सोयाबीन, मक्का और कच्चा कपास
    • कच्चा तेल और पेट्रोलियम गैस
    • कारें और गैस टर्बाइन
    • इलेक्ट्रॉनिक चिप्स और मशीनरी
    • दवाइयां, टीके और रक्त उत्पाद
    • ब्यूटी प्रोडक्ट्स और प्लास्टिक सामान

    चीन, अमेरिकी कंपनियों के लिए एक बड़ा बाजार है. लेकिन अमेरिका की सख्ती के जवाब में चीन भी पलटवार कर रहा है, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ रहा है.

    इस टकराव का असर वैश्विक बाजार पर

    इस व्यापारिक जंग का सीधा असर दुनियाभर के बाजारों पर भी दिखाई दे रहा है. आंकड़ों के मुताबिक:

    • 2024 में अमेरिका से चीन को एक्सपोर्ट 2.9% गिरा है
    • उल्टा चीन से अमेरिका में सामानों का इंपोर्ट 2.8% बढ़ गया है
    • अमेरिका का चीन के साथ व्यापार घाटा 2024 में 295.4 बिलियन डॉलर पहुंच गया है, जो पिछले साल की तुलना में 5.8% ज्यादा है

    इससे साफ है कि यह विवाद अगर आगे भी जारी रहा, तो न सिर्फ दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाएं, बल्कि दुनियाभर की कंपनियां और उपभोक्ता भी इसकी चपेट में आएंगे.

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