'कोई देश कितना भी ताकतवर क्‍यों न हो, भारत पर...' जयशंकर ने अमेरिका को दिया मैसेज, जानें क्या कहा?

    भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने बदलते वैश्विक शक्ति संतुलन को लेकर एक बेहद स्पष्ट और मजबूत संदेश दिया है.

    Jaishankar spoke on global power Message given to America
    प्रतिकात्मक तस्वीर/ ANI

    पुणे: भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने बदलते वैश्विक शक्ति संतुलन को लेकर एक बेहद स्पष्ट और मजबूत संदेश दिया है. बिना किसी देश का नाम लिए उन्होंने यह साफ कर दिया कि आज की दुनिया में कोई भी राष्ट्र, चाहे वह कितना ही शक्तिशाली क्यों न हो, अपनी इच्छाएं दूसरों पर थोपने की स्थिति में नहीं है.

    शनिवार, 20 दिसंबर 2025, को पुणे में सिम्बायोसिस इंटरनेशनल (डीम्ड यूनिवर्सिटी) के 22वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक ताकत का ढांचा पूरी तरह बदल चुका है और अब दुनिया पहले जैसी नहीं रही.

    अब एक नहीं, कई शक्ति केंद्र हैं

    विदेश मंत्री ने कहा कि मौजूदा दौर में दुनिया यूनिपोलर (एकध्रुवीय) नहीं रही, बल्कि मल्टीपोलर (बहुध्रुवीय) व्यवस्था की ओर बढ़ चुकी है. आज वैश्विक मंच पर कई ऐसे देश और क्षेत्र उभर कर सामने आए हैं, जो अंतरराष्ट्रीय फैसलों को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं.

    उनके अनुसार, यही वजह है कि अब किसी एक देश का दबदबा हर मुद्दे पर नहीं चल सकता. अलग-अलग देशों की भूमिका, हित और क्षमताएं मिलकर एक नया वैश्विक संतुलन बना रही हैं.

    प्रतिस्पर्धा से बन रहा नया संतुलन

    जयशंकर ने कहा कि देशों के बीच प्रतिस्पर्धा कोई असामान्य बात नहीं है. यह प्रतिस्पर्धा स्वाभाविक है और यही प्रतिस्पर्धा अपने आप में संतुलन भी पैदा करती है.

    उन्होंने बताया कि मौजूदा वैश्विक व्यवस्था किसी एक ताकत के इर्द-गिर्द नहीं घूम रही, बल्कि कई देशों के आपसी तालमेल, टकराव और सहयोग से आगे बढ़ रही है.

    ताकत की परिभाषा भी बदली

    विदेश मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि आज शक्ति केवल सेना या हथियारों तक सीमित नहीं रह गई है. आधुनिक दौर में ताकत कई तत्वों से मिलकर बनती है.

    उन्होंने कहा कि अब शक्ति का अर्थ है—

    • मजबूत व्यापार और अर्थव्यवस्था
    • ऊर्जा संसाधनों तक पहुंच
    • तकनीकी क्षमता
    • सैन्य शक्ति
    • प्राकृतिक संसाधन
    • और सबसे अहम, मानव प्रतिभा

    इन सभी पहलुओं को मिलाकर ही किसी देश की वास्तविक वैश्विक ताकत तय होती है.

    ‘कोई भी सर्वशक्तिमान नहीं’

    जयशंकर ने साफ शब्दों में कहा कि आज कोई भी वैश्विक शक्ति हर क्षेत्र में निर्णायक भूमिका निभाने की स्थिति में नहीं है.

    उन्होंने कहा कि पहले कुछ देश खुद को पूरी दुनिया का मार्गदर्शक मानते थे, लेकिन मौजूदा हालात में यह सोच बदल चुकी है. दुनिया अब कहीं ज्यादा जटिल, आपस में जुड़ी और संतुलित हो गई है.

    ग्लोबलाइजेशन ने बदला सोचने का तरीका

    वैश्वीकरण पर बात करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि ग्लोबलाइजेशन ने देशों के सोचने और काम करने के तरीके को पूरी तरह बदल दिया है.

    आज एक देश की अर्थव्यवस्था, तकनीक या राजनीतिक फैसलों का असर सीधे दूसरे देशों पर पड़ता है. इसलिए किसी भी सरकार को नीति बनाते समय केवल घरेलू नहीं, बल्कि वैश्विक परिस्थितियों को भी ध्यान में रखना जरूरी हो गया है.

    भारत के लिए मैन्युफैक्चरिंग जरूरी

    भारत के संदर्भ में जयशंकर ने कहा कि अगर देश को एक बड़ी और प्रभावशाली अर्थव्यवस्था के रूप में आगे बढ़ना है, तो उसे आधुनिक और मजबूत विनिर्माण क्षमता विकसित करनी होगी.

    उन्होंने कहा कि केवल सेवाओं के क्षेत्र पर निर्भर रहना अब पर्याप्त नहीं है. भारत को ऐसे उद्योग विकसित करने होंगे, जो नई तकनीकों से लैस हों और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में टिक सकें.

    ये भी पढ़ें- क्या है 'ग्रेटर बांग्लादेश' कॉन्सेप्ट? जिसकी वजह से हुई उस्मान हादी की हत्या, सल्तनत-ए-बांग्ला की कहानी