लखनऊ: उत्तर प्रदेश में योगी सरकार द्वारा आगामी विधान मंडल मानसून सत्र की तारीखों का ऐलान कर दिया गया है. राज्य के राजनीतिक हालात और सरकार के महत्वपूर्ण निर्णयों के मद्देनजर, यह सत्र कई मुद्दों पर चर्चा का केंद्र बनेगा. 11 अगस्त 2025 से शुरू होने वाला यह सत्र राज्य की राजनीति में एक नई हलचल पैदा कर सकता है. आइए जानते हैं कि इस सत्र में किन मुद्दों पर चर्चा हो सकती है और इसका राजनीतिक परिप्रेक्ष्य क्या है.
मानसून सत्र की तारीखों का ऐलान
योगी सरकार की कैबिनेट की बैठक में प्रदेश विधान मंडल के मानसून सत्र की तारीखों को मंजूरी दी गई. सत्र 11 अगस्त 2025 को शुरू होगा और यह 2025 के वर्षाकालीन सत्र का हिस्सा होगा. इस सत्र के दौरान कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हो सकती है, जिनमें राज्य की कानून व्यवस्था, प्रशासनिक अधिकारीयों के ट्रांसफर और पंचायत चुनाव 2026 पर विचार विमर्श किया जा सकता है.
सत्र में होने वाली चर्चा के मुद्दे
इस सत्र में सबसे अहम मुद्दा राज्य की कानून व्यवस्था हो सकता है. पिछले कुछ महीनों में इस पर विपक्षी दलों ने कई बार सवाल उठाए हैं. समाजवादी पार्टी (सपा) और भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) के बीच पुलिस व्यवस्था और प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर जमकर तकरार हो सकती है. इसके साथ ही अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग भी विवादों का कारण बन सकती है. इसके अतिरिक्त पंचायत चुनाव 2026 के संदर्भ में भी इस सत्र में चर्चा हो सकती है, खासकर जब चुनाव आयोग और राज्य सरकार ने इसके लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं. इस पर चर्चा के दौरान सरकारी योजनाओं और उनके कार्यान्वयन की समीक्षा की जा सकती है.
विधान सभा की कार्यविधि और सत्र की प्रक्रिया
उत्तर प्रदेश विधान सभा की प्रक्रिया और कार्य-संचालन नियमावली के अनुसार, यह सुनिश्चित किया गया है कि विधान मंडल का सत्र एक निश्चित समयावधि में आहूत किया जाए. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 174 के तहत, एक सत्र की अंतिम बैठक और आगामी सत्र की प्रथम बैठक के बीच छह माह का अंतर नहीं हो सकता. इसी के मद्देनजर, योगी सरकार ने यह निर्णय लिया कि मानसून सत्र को 5 सितंबर 2025 से पहले आयोजित किया जाएगा, जो संविधान के तहत आवश्यक है.
क्या-क्या मुद्दे उठ सकते हैं?
मानसून सत्र के दौरान कुछ अपरिहार्य औपचारिक और विधायी कार्य भी किए जा सकते हैं. इसमें शासन के हालिया निर्णयों को लागू करने के लिए प्रख्यापित अध्यादेशों को विधेयकों के रूप में पारित कराना शामिल हो सकता है. इसके अलावा राज्य सरकार के विभिन्न विभागों द्वारा प्रस्तुत किए गए संशोधनों पर भी विचार किया जा सकता है. साथ ही, इस सत्र में विधायकों को विभिन्न सरकारी योजनाओं और उनके कार्यान्वयन पर सवाल उठाने का अवसर मिलेगा. खासतौर पर, कुछ योजनाओं को लेकर विपक्षी दलों द्वारा कड़ी आलोचना की जा सकती है.
किसका होगा असर?
उत्तर प्रदेश के इस मानसून सत्र का असर राज्य के राजनीतिक परिदृश्य पर गहरा हो सकता है. आगामी पंचायत चुनाव और आगामी विधानसभा चुनावों के लिए यह सत्र एक महत्वपूर्ण संकेत हो सकता है. विपक्षी दलों के साथ-साथ सत्ता पक्ष भी इस सत्र को अपनी राजनीतिक ताकत बढ़ाने के लिए एक अहम अवसर मान रहे हैं.
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