जिस हूती संगठन पर इजरायल नहीं लगा पाया लगाम, उसे ये मुस्लिम देश सीखा रहा सबक; जानें कैसे

    UAE Action On Houthi: मध्य-पूर्व में चल रही संघर्ष श्रृंखला अब नए और अप्रत्याशित मोड़ ले रही है. जहाँ सऊदी अरब, अमेरिका और इजराइल वर्षों से हूती विद्रोहियों को पूरी तरह नियंत्रित नहीं कर पाए, वहीं यमन के एक छोटे लेकिन रणनीतिक रूप से बेहद सक्षम मिलिशिया समूह ने हूती नेटवर्क को बड़ा झटका दिया है. 

    UAE teaching lesson Houthi organization which Israel could not control know how
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    UAE Action On Houthi: मध्य-पूर्व में चल रही संघर्ष श्रृंखला अब नए और अप्रत्याशित मोड़ ले रही है. जहाँ सऊदी अरब, अमेरिका और इजराइल वर्षों से हूती विद्रोहियों को पूरी तरह नियंत्रित नहीं कर पाए, वहीं यमन के एक छोटे लेकिन रणनीतिक रूप से बेहद सक्षम मिलिशिया समूह ने हूती नेटवर्क को बड़ा झटका दिया है. 

    यह समूह है, साउदर्न ट्रांजिशनल काउंसिल (STC), जिसने यमन के सबसे महत्वपूर्ण तेल क्षेत्र हदरमौत में अपनी पकड़ मजबूत कर ली है. इसे एक तरह से यमन के गृहयुद्ध के संतुलन में सबसे बड़ा बदलाव माना जा रहा है.

    यूएई के प्रभाव वाला संगठन, जिसकी ताकत बढ़ी

    अमेरिकी समाचार पत्र न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट बताती है कि STC सिर्फ एक स्थानीय संगठन नहीं है. यह संयुक्त अरब अमीरात का समर्थित समूह माना जाता है, जो उसके रणनीतिक हितों को आगे बढ़ाने के लिए काम करता है. बताया जा रहा है कि यूएई की बैक-चैनल मंजूरी के बाद STC के लड़ाकों ने हूती विद्रोहियों के ख़िलाफ़ निर्णायक अभियान शुरू किया है.

    इस संघर्ष में STC की रणनीति सिर्फ हूती को पीछे धकेलना नहीं बल्कि यमन के दक्षिणी और पूर्वी हिस्से को अलग कर एक स्वतंत्र राजनीतिक इकाई या नए राज्य की नींव रखना है. यमन की वर्तमान जटिलता के बीच यह कदम न सिर्फ क्षेत्रीय राजनीति को प्रभावित करेगा बल्कि मध्य-पूर्व की सुरक्षा संतुलन पर भी असर डाल सकता है.

    कौन है STC और कब शुरू हुई इसकी लड़ाई?

    साउदर्न ट्रांजिशनल काउंसिल की स्थापना 2017 में हुई थी. इसका मुख्यालय अदन में है, जो दक्षिण यमन का सबसे महत्वपूर्ण बंदरगाह शहर है. इसके प्रमुख एदरस अल-जोबैदी को इस संगठन का राजनीतिक चेहरा माना जाता है.

    STC की वैचारिक जड़ें 1994 से भी पहले की उन अलगाववादी भावनाओं में हैं, जब दक्षिणी यमन खुद को अलग पहचान वाला देश मानता था. संगठन का घोषित उद्देश्य उत्तरी यमन के प्रभाव, विशेषकर हूती शासन, को कमज़ोर करके दक्षिण की स्वायत्त सत्ता को फिर से स्थापित करना है.

    वर्तमान समय में यमन का अधिकांश भूभाग हूती नियंत्रण में है, जिससे STC की भूमिका और अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है. यमन की भौगोलिक स्थिति इसे वैश्विक तेल आपूर्ति के नक्शे में अत्यंत महत्वपूर्ण बनाती है.

    लाल सागर का महत्व और यमन की भू-राजनीतिक शक्ति

    यमन लाल सागर के दक्षिणी छोर पर स्थित है, जहाँ दुनिया के लगभग 12 प्रतिशत तेल और गैस का समुद्री व्यापार गुजरता है. यह मार्ग इजराइल, सऊदी अरब, मिस्र और खाड़ी देशों के लिए जीवनरेखा है. यही कारण है कि इस क्षेत्र में किसी भी प्रकार की अस्थिरता वैश्विक ऊर्जा बाज़ार को प्रभावित कर सकती है. यूएई लंबे समय से इस इलाके में एक सुरक्षित प्रॉक्सी स्थापित करके रेड सी के समुद्री मार्गों पर अपना प्रभाव बढ़ाना चाहता है. STC के बढ़ते प्रभाव को इसी व्यापक रणनीति की कड़ी माना जा रहा है.

    हदरमौत में शक्ति संतुलन कैसे बदला?

    हदरमौत यमन का सबसे विशाल और संसाधन-समृद्ध प्रांत है, जिसके नीचे तेल का बड़ा भंडार मौजूद है. यही कारण है कि हूती इसे कब्जे में बनाए रखना चाहते हैं. लेकिन हाल के महीनों में STC के लड़ाकों ने इस क्षेत्र के बड़े हिस्से पर नियंत्रण स्थापित कर लिया है. उनके पास आधुनिक हथियार, उन्नत ड्रोन और विशेष प्रशिक्षित बल हैं, जिनकी मदद से वे हूती विद्रोहियों और उनसे जुड़े नेटवर्क को पीछे धकेलने में सफल हुए हैं.

    क्या यमन बनने जा रहा है नया 'सूडान मॉडल'?

    कई विशेषज्ञ इस स्थिति को सूडान की घटनाओं से जोड़कर देख रहे हैं. सूडान में यूएई पर आरोप लगा था कि उसने रैपिड सपोर्ट फोर्स (RSF) को हथियार सप्लाई कर शक्ति संतुलन बदल दिया, बदले में उसे सोने की सप्लाई मिलती रही.

    इसी तरह की रणनीति यमन में भी उभरती दिख रही है, यूएई की सपोर्ट, STC की सैन्य जीत और हदरमौत का विशाल तेल भंडार. यदि यह अनुमान सच साबित होता है, तो यमन की राजनीतिक संरचना पूरी तरह बदल सकती है.

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