Putin India Visit: दिल्ली का हैदराबाद हाउस, जो एक भव्य और ऐतिहासिक महल के रूप में स्थापित है, न केवल निजाम की शान का प्रतीक है, बल्कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम और उसके बाद के राजनीतिक इतिहास का अहम हिस्सा भी है. इस महल के भीतर की दीवारें और छतें न केवल शानदार वास्तुकला का परिचय देती हैं, बल्कि इसमें एक लंबी और दिलचस्प कहानी भी समाई हुई है. यह महल आज विदेशों से आने वाले नेताओं के ठहरने का स्थान है, और इसे प्रधानमंत्री का स्टेट गेस्ट हाउस के रूप में भी जाना जाता है.
हैदराबाद हाउस की भव्यता
हैदराबाद हाउस की वास्तुकला उसकी शानदारता को बयां करती है. तितली के आकार में बने इस महल को ब्रिटिश आर्किटेक्ट सर एडविन लुटियंस ने डिजाइन किया था, जिन्होंने दिल्ली के राष्ट्रपति भवन और राष्ट्रीय संग्रहालय जैसी इमारतों की रचनाएं भी की थीं. महल 8.2 एकड़ से 8.77 एकड़ तक फैला हुआ है और इसमें 36 कमरे हैं, जिनमें से एक हिस्सा महिलाओं के लिए अलग किया गया था. यह महल शाही वैभव और शान का प्रतीक है, जहां मुग़ल और यूरोपीय शैली की संगम की झलक देखने को मिलती है.
महल के मेन एंट्रेंस पर एक विशाल गुंबद है, जिसके नीचे एक सुंदर हॉल स्थित है. इस हॉल के दोनों ओर तितली के पंखों जैसी संरचनाएं हैं, जो महल के अद्वितीय डिजाइन को दर्शाती हैं. इसके अलावा, महल के अंदर और बाहर मार्बल फ्लोरिंग, सर्कुलर फायरप्लेस, सीढ़ियां और खूबसूरत आर्चवे आपको एक ऐतिहासिक यात्रा का अहसास कराते हैं. महल के बाहरी हिस्से में एक चौकोर गार्डन और एक बड़ा डोम है, जो इसे विक्टोरिया हाउस के बाद दिल्ली का दूसरा सबसे बड़ा और भव्य महल बनाता है.
निजाम का पसंदीदा महल: एक शाही विरासत
हैदराबाद हाउस की निर्माण प्रक्रिया 1919 में शुरू हुई थी, जब निजाम उस्मान अली ने 8.2 एकड़ भूमि खरीदी थी. महल की लागत 1920 के दशक में लगभग 2,00,000 पाउंड थी, जो आज की मुद्रा में 170 करोड़ रुपये से ज्यादा होगी. हालांकि, निजाम ने कभी इस महल का पूरा इस्तेमाल नहीं किया. 1936 में पहली बार महल देखने के बाद, वह इससे खुश नहीं हुए और इसे 'घोड़ों का अस्तबल' कह दिया था, क्योंकि उन्हें इसका डिजाइन बहुत पश्चिमी (Western) महसूस हुआ. निजाम के बेटे भी इस महल से प्रभावित नहीं हुए, और इसी कारण यह महल अधिकांश समय खाली रहा.
हैदराबाद हाउस की दिलचस्प घटनाएं
हैदराबाद हाउस को लेकर कुछ दिलचस्प किस्से भी जुड़े हुए हैं. एक किताब के मुताबिक, महल में एक बार ऐसा वाकया हुआ था जब फिल्म 'गांधी' के शूटिंग सेट पर क्रू मेंबर्स को लगा कि निजाम की आत्मा घूम रही है, क्योंकि उन्हें महल के अंदर अजीब सी भावना महसूस हुई. हालांकि, यह सिर्फ एक मजाक था, लेकिन इसने महल को और भी रहस्यमय बना दिया.
भारत सरकार का हिस्सा बनने के बाद की भूमिका
1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद, हैदराबाद हाउस की किस्मत बदल गई. रियासतों का भारतीय संघ में विलय हुआ, और हैदराबाद हाउस सरकार के अधीन आ गया. 1974 से यह विदेश मंत्रालय के पास है और यह प्रधानमंत्री का स्टेट गेस्ट हाउस बन गया है, जहां विभिन्न देशों के प्रमुख और शाही हस्तियां ठहरती हैं. यह महल अब भी विदेशों के नेताओं के लिए ठहरने का स्थान है, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ महत्वपूर्ण मुलाकातों का गवाह बनता है.
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