Turkey Bangladesh Arms Deal: बांग्लादेश ने एक बार फिर से अपने रणनीतिक साझेदारों में एक नया नाम जोड़ा है, और वह है तुर्की. चीन और पाकिस्तान के बाद अब तुर्की ने भी बांग्लादेश में अपने कदम मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं. तुर्की ने बांग्लादेश के रक्षा क्षेत्र में निवेश करने और हथियार निर्माण उद्योग को बढ़ावा देने का वादा किया है. यदि यह डील सफल होती है, तो यह भारत के लिए नई चिंताओं को जन्म दे सकती है, क्योंकि तुर्की पहले से ही पाकिस्तान का करीबी सहयोगी है और भारत के खिलाफ खड़ा रहता है.
तुर्की का बढ़ता प्रभाव
तुर्की की बांग्लादेश यात्रा का मुख्य उद्देश्य रक्षा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाना है. तुर्की के रक्षा उद्योग सचिव, हलुक गोरगुन, वर्तमान में बांग्लादेश के दौरे पर हैं. बांग्लादेश सरकार ने उनके स्वागत के लिए विशेष व्यवस्था की है, जिसमें रेड कार्पेट बिछाया गया है. यह यात्रा मई में बीआईडीए (बांग्लादेश औद्योगिक विकास प्राधिकरण) के कार्यकारी अध्यक्ष चौधरी आशिक महमूद बिन हारुन और तुर्की के अधिकारियों के बीच हुई बैठकों का परिणाम है. माना जा रहा है कि तुर्की, चटगांव और नारायणगंज में रक्षा औद्योगिक परिसरों के निर्माण में सहयोग करेगा, जिससे बांग्लादेश का रक्षा उद्योग काफी मजबूत हो सकता है.
तुर्की से हथियारों की खरीदारी
बांग्लादेश के सैन्य अधिकारी और तुर्की के रक्षा उद्योग सचिव के बीच कई बैठकें होने की संभावना है, जिनमें बांग्लादेश के सैन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए "ठोस हथियार खरीद निर्णय" लिए जा सकते हैं. बांग्लादेश की सेना प्रमुख जनरल वकर-उज-जमान, एयर चीफ मार्शल हसन महमूद खान और नौसेना प्रमुख एडमिरल मोहम्मद नजमुल हसन के साथ भी गोरगुन की बैठकें होनी हैं. यह बैठकें सैन्य सहयोग को और भी बढ़ावा दे सकती हैं, जिससे बांग्लादेश की सैन्य शक्ति में इजाफा होगा.
भारत के लिए बढ़ती चुनौती
तुर्की का बांग्लादेश में बढ़ता प्रभाव भारत के लिए चिंता का विषय हो सकता है, क्योंकि तुर्की पहले से ही पाकिस्तान का सहयोगी देश है. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तुर्की ने पाकिस्तान को न केवल हथियार मुहैया कराए थे, बल्कि अपने सैन्य ऑपरेटर भी भेजे थे. इसके अलावा, तुर्की कश्मीर मसले पर भी पाकिस्तान का समर्थन करता है. ऐसे में बांग्लादेश में तुर्की की मौजूदगी से भारत को चीन, पाकिस्तान और तुर्की के गठबंधन का सामना करना पड़ सकता है.
बांग्लादेश की राजनीतिक स्थिति भी काफी अस्थिर है, और ऐसे में तुर्की का सैन्य सहयोग इस क्षेत्र में संतुलन को प्रभावित कर सकता है. यदि तुर्की बांग्लादेश को हथियारों के निर्माण में मदद करता है, तो इससे बांग्लादेश की सैन्य ताकत बढ़ेगी, जिससे भारत की सुरक्षा पर दबाव बन सकता है.
यह भी पढ़ें: ट्रेड डील से पहले ट्रंप की धमकी, बोले- अब कोई एक्सटेंशन नहीं दिया जाएगा