US Ukraine Security Guarantee: अमेरिका की विदेश नीति एक बार फिर सवालों के घेरे में है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में यूक्रेन को सुरक्षा गारंटी देने के समझौते से कदम पीछे खींच लिए हैं, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है. महज़ कुछ दिन पहले ही यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की और ट्रंप के बीच हुई बातचीत में इस गारंटी पर सहमति बनी थी, जिसे यूरोपीय नेताओं ने एक बड़ी कूटनीतिक जीत बताया था.
लेकिन फॉक्स न्यूज को दिए एक फोन इंटरव्यू में ट्रंप ने स्पष्ट रूप से कहा कि वे यूक्रेन में अमेरिकी सैनिक नहीं भेजेंगे. उन्होंने अपने ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ (MAGA) समर्थकों को आश्वस्त करते हुए कहा, "आपको मेरा वादा है, और मैं राष्ट्रपति हूं." ट्रंप का यह बयान उनके अमेरिका-फर्स्ट एजेंडे के अनुरूप है, जो विदेशी सैन्य हस्तक्षेप के खिलाफ रहा है.
हवाई सहायता पर सहमति, लेकिन ज़मीनी हस्तक्षेप से इनकार
ट्रंप ने जहां ज़मीनी सेना भेजने से इनकार किया, वहीं उन्होंने संकेत दिए कि अमेरिका कीव को हवाई सहायता देने के लिए तैयार है. यह उनके प्रशासन की रणनीति में एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है. वहीं, रूस पहले ही चेतावनी दे चुका है कि यूक्रेन में नाटो सेनाओं की तैनाती उसके लिए एक 'रेड लाइन' होगी, जिसे पार करने के गंभीर परिणाम हो सकते हैं.
क्या है सुरक्षा गारंटी समझौते में?
जेलेंस्की के अनुसार, सुरक्षा गारंटी समझौते के तहत यूक्रेन यूरोपीय फंडिंग के माध्यम से अमेरिका से लगभग 90 अरब डॉलर के हथियार खरीदेगा. इसके अतिरिक्त, 50 अरब डॉलर की एक डील यूक्रेनी कंपनियों और अमेरिकी रक्षा उद्योग के बीच ड्रोन निर्माण को लेकर की गई है. हालांकि अभी तक इस बात की स्पष्ट जानकारी नहीं है कि यूक्रेन कौन-कौन से हथियार खरीदना चाहता है, लेकिन कीव की तरफ से कम से कम 10 पैट्रियट वायु रक्षा प्रणाली की मांग की गई है, जो अमेरिका निर्मित हैं.
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