वाशिंगटन डीसी: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर अपनी तेज़ और विवादास्पद बयानबाज़ी से राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है. ट्रंप ने न केवल रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर बाइडेन प्रशासन की आलोचना की, बल्कि NATO देशों की भूमिका, चीन पर भारी टैरिफ लगाने और अमेरिका की विदेश नीति को लेकर भी गंभीर टिप्पणियां कीं.
ट्रंप ने रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध को लेकर जो बाइडेन और वोलोडिमिर जेलेंस्की पर तीखा हमला बोला. उन्होंने कहा, "यह मेरी लड़ाई नहीं है. यह बाइडेन और जेलेंस्की की जंग है. अगर मैं राष्ट्रपति होता, तो यह युद्ध शुरू ही नहीं होता."
ट्रंप ने दोहराया कि उनके कार्यकाल में रूस ने कभी यूक्रेन पर आक्रमण करने की हिम्मत नहीं की थी, क्योंकि वे जानते थे कि अमेरिका की प्रतिक्रिया कितनी तीव्र हो सकती है. उन्होंने मौजूदा राष्ट्रपति बाइडेन को कमज़ोर और भ्रमित नेतृत्व का प्रतीक बताते हुए कहा कि उनकी नीतियों ने दुनिया को अस्थिर कर दिया है.
NATO देशों पर भी बरसे ट्रंप
ट्रंप ने नाटो (NATO) के सदस्य देशों पर तीखी आलोचना की और आरोप लगाया कि वे रूस के खिलाफ एकजुट और मजबूत रुख अपनाने में नाकाम रहे हैं.
उनका कहना था कि:
ट्रंप ने सुझाव दिया कि यदि नाटो देश सभी प्रकार की रूसी ऊर्जा का बहिष्कार करें और सामूहिक प्रतिबंधों में भाग लें, तो युद्ध बहुत जल्दी समाप्त हो सकता है.
चीन पर 50% से 100% टैरिफ लगाने की मांग
राष्ट्रपति ट्रंप ने चीन को अमेरिका की सबसे बड़ी रणनीतिक चुनौती बताया और यह प्रस्ताव रखा कि, "मैं चीन पर 50% से लेकर 100% तक टैरिफ लगाने में बिल्कुल भी नहीं हिचकूंगा."
उनका कहना था कि ये भारी टैरिफ:
उन्होंने यह भी जोड़ा कि इन टैरिफ को युद्ध समाप्त होने के बाद हटाया जा सकता है, लेकिन जब तक संघर्ष जारी है, तब तक चीन पर कड़ा आर्थिक दबाव डालना जरूरी है.
यह पागलपन है, निर्दोष मारे जा रहे हैं- ट्रंप
ट्रंप ने युद्ध की मानवीय त्रासदी पर चिंता जताते हुए दावा किया कि:
उन्होंने अमेरिका के लोगों से अपील की कि वे ऐसे नेतृत्व को चुनें जो शांति की दिशा में काम करे, न कि युद्ध को और बढ़ावा दे.
ट्रंप खुद को एक ऐसे नेता के रूप में पेश कर रहे हैं जो:
इसके विपरीत, डेमोक्रेटिक पार्टी और बाइडेन प्रशासन ट्रंप के बयानों को गैर-जिम्मेदाराना और खतरनाक बता रहे हैं.
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