ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर अमेरिका में एक बार फिर मतभेद उभर आए हैं, और इस बार खुद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने ही अधिकारियों की राय को खारिज कर दिया है. उन्होंने अमेरिकी खुफिया तंत्र के निष्कर्षों को दरकिनार करते हुए इज़राइल के दावों का खुला समर्थन किया है और साफ कहा है कि "ईरान परमाणु बम के बेहद करीब है."
ट्रंप ने सोशल मीडिया पर एक तीखा संदेश जारी करते हुए ईरान को बिना शर्त आत्मसमर्पण की चेतावनी दी है. यह बयान ऐसे वक्त आया है जब अमेरिकी राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड ने हाल ही में अमेरिकी कांग्रेस को जानकारी दी थी कि ईरान वर्तमान में परमाणु हथियार नहीं बना रहा है और उनके सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामेनेई ने स्थगित परमाणु परियोजनाओं को दोबारा मंजूरी नहीं दी है.
ट्रंप ने कहा: "मुझे परवाह नहीं है"
जब ट्रंप से वाशिंगटन लौटते वक्त विमान में पत्रकारों ने इस असहमति को लेकर सवाल किया, तो उन्होंने खुफिया एजेंसियों की बातों को सिरे से खारिज करते हुए कहा, "मुझे परवाह नहीं कि उन्होंने क्या कहा." ट्रंप का मानना है कि ईरान वाकई में परमाणु हथियार बनाने के करीब पहुंच चुका है, और इसे नज़रअंदाज़ करना एक भारी भूल होगी.
ट्रंप का यह रुख उन्हें सीधे तौर पर अपने ही खुफिया सलाहकारों के खिलाफ और इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के पक्ष में खड़ा करता है, जो लगातार यह दावा करते आए हैं कि ईरान विश्व के लिए एक परमाणु खतरा बन चुका है.
'सिचुएशन रूम' में मंथन की तैयारी
रिपोर्ट्स के अनुसार, ट्रंप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के साथ व्हाइट हाउस के 'सिचुएशन रूम' में एक महत्वपूर्ण बैठक की तैयारी कर रहे हैं, जिसमें ईरान को लेकर अगले कदमों की रूपरेखा तय की जाएगी. माना जा रहा है कि ट्रंप इस बैठक में कड़ी कार्रवाई की संभावना पर विचार कर सकते हैं.
गबार्ड बनाम ट्रंप: एक पुरानी कहानी फिर दोहराई जा रही है
तुलसी गबार्ड, जो हवाई से पूर्व डेमोक्रेटिक सांसद रही हैं और अब रिपब्लिकन खेमे में हैं, को ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में राष्ट्रीय खुफिया निदेशक बनाया गया था. लेकिन उनके सीमित अनुभव और खुफिया समुदाय में नई भूमिका को लेकर पहले ही सवाल उठते रहे हैं.
अब ट्रंप के ताजा बयानों से यह साफ है कि गबार्ड और राष्ट्रपति के विचार एक बार फिर टकरा रहे हैं—कुछ वैसा ही जैसा ट्रंप के पहले कार्यकाल में CIA और FBI जैसे एजेंसियों से हुआ था, जब उन्होंने उन्हें "डीप स्टेट" का हिस्सा करार देकर आलोचना की थी.
पुतिन की याद दिलाता ट्रंप का यह रुख
यह पहली बार नहीं है जब ट्रंप ने अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के बजाय किसी अन्य देश के नेता या विचारधारा का समर्थन किया हो. याद दिला दें कि 2018 में, जब उनसे पूछा गया कि क्या रूस ने अमेरिकी चुनावों में दखल दिया था, तो उन्होंने कहा था कि "पुतिन ने बहुत ताकत से इनकार किया है, और मैं उनकी बात मानता हूं."
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