इस्तांबुल: अंतरराष्ट्रीय दबाव के बीच यूक्रेन और रूस के बीच पहली बार सीधी शांति वार्ता की संभावना बनी है. यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने गुरुवार को घोषणा की थी कि वे तुर्किये के इस्तांबुल में एक वार्ताकार टीम भेजेंगे, जो रूसी प्रतिनिधिमंडल से बातचीत करेगी. इस वार्ता की अगुवाई यूक्रेन के रक्षा मंत्री रुस्तम उमरोव करेंगे. यह कदम ऐसे वक्त में उठाया गया है जब दोनों देशों के बीच चल रही जंग को दो साल से ज्यादा हो चुके हैं और हजारों लोगों की जान जा चुकी है.
यूक्रेन इस वार्ता को गंभीरता से ले रहा
जेलेंस्की ने स्पष्ट किया कि यह निर्णय उन्होंने अंतरराष्ट्रीय नेताओं, खासकर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोगन के प्रति सम्मान के कारण लिया है. उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें रूसी प्रतिनिधिमंडल में किसी ऐसे व्यक्ति की मौजूदगी नहीं दिख रही जो असल में कोई निर्णायक फैसला ले सके. इसके बावजूद, यूक्रेन इस वार्ता को गंभीरता से ले रहा है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, रूसी प्रतिनिधिमंडल पहले ही इस्तांबुल पहुंच चुका है और व्लादिमीर पुतिन के करीबी सहयोगी व्लादिमीर मेडिंस्की के नेतृत्व में वार्ता में शामिल होने की तैयारी कर रहा है. हालांकि, इन अटकलों पर विराम लग गया कि पुतिन और जेलेंस्की खुद इस वार्ता में हिस्सा लेंगे. क्रेमलिन ने साफ कर दिया है कि राष्ट्रपति पुतिन इसमें शामिल नहीं होंगे.
'युद्ध को अब समाप्त करना आवश्यक'
इस बीच ट्रम्प ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि जब तक वह और पुतिन आमने-सामने नहीं बैठते, तब तक किसी ठोस समाधान की उम्मीद नहीं की जा सकती. ट्रम्प ने यह भी कहा कि युद्ध को अब समाप्त करना आवश्यक है, क्योंकि इसकी वजह से भारी जानमाल का नुकसान हो रहा है. हालांकि, क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने ट्रम्प और पुतिन की संभावित मुलाकात की संभावना से साफ इनकार किया है.
'रूस को एक इंच जमीन नहीं देंगे'
राष्ट्रपति जेलेंस्की ने भी एक बार फिर दोहराया कि यूक्रेन अपनी क्षेत्रीय अखंडता से कोई समझौता नहीं करेगा. उन्होंने कहा कि जिन इलाकों पर इस समय रूस का कब्जा है, उन्हें कभी भी रूसी क्षेत्र के रूप में मान्यता नहीं दी जाएगी. जेलेंस्की ने दो टूक कहा कि चाहे बातचीत हो या कोई अंतरराष्ट्रीय दबाव, यूक्रेन की जमीन सिर्फ यूक्रेन की ही रहेगी.
रूस लगातार यह मांग करता रहा है कि यूक्रेन क्रीमिया सहित चार और कब्जाए गए इलाकों को आधिकारिक रूप से रूस का हिस्सा मान ले. क्रीमिया पर रूस ने 2014 में कब्जा किया था, और तब से यह विवाद का मुख्य बिंदु बना हुआ है. अमेरिका की ओर से हालांकि इशारा दिया गया है कि भविष्य में यूक्रेन को शायद अपने सभी पुराने क्षेत्र वापस मिल पाना मुश्किल हो सकता है.
युद्ध को समाप्त करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी दबाव तेजी से बढ़ रहा है. जेलेंस्की ने स्पष्ट किया कि अगर रूस अब भी पीछे नहीं हटा, तो उस पर और अधिक कड़े प्रतिबंध लगाए जाएंगे. अमेरिका और यूरोपीय देशों ने पहले ही चेतावनी दी है कि अगर रूस ने अमेरिका समर्थित 30 दिन के बिना शर्त युद्धविराम प्रस्ताव पर दस्तखत नहीं किए, तो उसके खिलाफ नए और सख्त प्रतिबंध लगाए जाएंगे.
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