अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने व्यापारिक नीतियों के तहत टैरिफ पर एक बड़ी जंग छेड़ दी है. इस जंग में उनका प्रमुख निशाना चीन है, और दोनों देशों के बीच लगातार एक दूसरे पर टैरिफ लगाने की होड़ मची हुई है. इस जंग में जहां चीन की प्रतिक्रिया तेजी से आ रही है, वहीं भारत की भूमिका भी महत्वपूर्ण बन गई है. चीन पहले ही कह चुका है कि वह और भारत मिलकर इस चुनौती का सामना कर सकते हैं, और अब अमेरिका भी भारत को अपने पक्ष में चाहता है. अमेरिकी वित्त सचिव स्कॉट बेसेंट ने भारत को एक महत्वपूर्ण व्यापार साझेदार बताया है.
भारत की बढ़ती भूमिका
व्हाइट हाउस में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, अमेरिकी वित्त सचिव स्कॉट बेसेंट ने चीन पर 125 प्रतिशत टैरिफ लगाए जाने के मुद्दे पर टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि यह मामला सिर्फ देशों के बारे में नहीं है, बल्कि यह वैश्विक व्यापार में उन देशों के बारे में भी है जो व्यापारिक नियमों का उल्लंघन करते हैं. बेसेंट ने कहा कि भारत, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों के साथ व्यापार वार्ता चल रही है, क्योंकि ये देश चीन के पड़ोसी हैं और इनका व्यापारिक रुझान अमेरिका के साथ बेहतर है.
बेसेंट ने यह भी कहा कि, "चीन आधुनिक दुनिया की सबसे असंतुलित अर्थव्यवस्था है और यह अमेरिकी व्यापार समस्याओं का सबसे बड़ा कारण है. वास्तव में, यह बाकी दुनिया के लिए भी एक समस्या बन चुका है." इसके साथ ही उन्होंने इस संघर्ष को "ट्रेड वॉर" न मानते हुए कहा कि यह चीन द्वारा बढ़ाया गया मुद्दा है, जिसका राष्ट्रपति ट्रंप ने साहसिक तरीके से जवाब दिया है.
भारत का रुख
इस व्यापारिक विवाद में भारत का रुख साफ है. वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि भारतीय सरकार देश के सर्वोत्तम हित में काम कर रही है और इस मुद्दे पर घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है. उन्होंने कहा, "हम समाधान की दिशा में काम कर रहे हैं, और सरकार हर कदम पर देश के फायदे को ध्यान में रखते हुए काम कर रही है."
चीन की प्रतिक्रिया
चीन भी इस टैरिफ युद्ध में भारत को अपने साझीदार के रूप में देख रहा है. चीन के दूतावास के प्रवक्ता यू जिंग ने कहा कि अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ से उत्पन्न समस्याओं का समाधान भारत और चीन मिलकर कर सकते हैं. यू जिंग ने अपनी पोस्ट में कहा कि, "भारत और चीन के बीच व्यापारिक संबंध पारस्परिक लाभ पर आधारित हैं, और इस मुश्किल समय में दोनों देशों को एक साथ खड़ा होकर समस्याओं का समाधान ढूंढना चाहिए."
अमेरिका और वियतनाम के बीच समझौता
वहीं, दूसरी ओर वियतनाम और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों को लेकर एक नया मोड़ आया है. वियतनाम ने घोषणा की है कि अमेरिका और वियतनाम व्यापार समझौते के लिए बातचीत शुरू करने पर सहमत हो गए हैं. यह घोषणा अमेरिका द्वारा वियतनाम पर 46% टैरिफ लगाने के कुछ घंटे बाद आई. वियतनाम, कई पश्चिमी कंपनियों के लिए एक प्रमुख विनिर्माण केंद्र बन चुका है और अमेरिका उसका सबसे बड़ा निर्यातक बाजार है.
ये भी पढ़ेंः ट्रंप के परमाणु बम से कांपेगी दुनिया! हिरोशिमा वाले से भी 24 गुना पावरफुल; कौन बनेगा निशाना?