वाशिंगटनः कभी मोटरसाइकिल पर बैठकर दुनिया जीतने का सपना देखने वाले दो ‘कूल डूड्स’. एक सियासत का सिकंदर, दूसरा तकनीक का जादूगर. एक ने ट्विटर पर बोलकर दुनिया हिलाई, दूसरे ने ट्विटर ही खरीद डाली. कभी दोनों की जोड़ी को अमेरिका की जय-वीरू कहा गया — लेकिन अब वही दोस्ती, एक हाई-वोल्टेज ड्रामा में तब्दील हो चुकी है. अमेरिका की सड़कों पर नहीं, अब व्हाइट हाउस और वॉल स्ट्रीट के गलियारों में गूंज रही है — “तेरे जैसा यार कहां… कहां ऐसा याराना… लेकिन अब तू ही मेरा बैरी बन गया दीवाना…”
ट्रंप और मस्क: जब दोस्ती ने करवट ली
ये कोई फिल्म की स्क्रिप्ट नहीं, बल्कि रियल लाइफ पॉलिटिकल थ्रिलर है. डोनाल्ड ट्रंप — वो नाम जिसने अमेरिका की राजनीति को झकझोर दिया. और एलन मस्क — वो चेहरा जिसने टेक्नोलॉजी की परिभाषा बदल दी. दोनों जब साथ थे तो लगा जैसे सत्ता और विज्ञान का महामिलन हो गया हो. ट्वीट पर ट्वीट, मीम पर मीम — हर जगह इनकी जुगलबंदी नजर आती थी. लेकिन फिर… सीन बदला.
अब ट्रंप की नजर फिर से व्हाइट हाउस की कुर्सी पर है और मस्क की नजर उस कुर्सी को हिलाने पर. मस्क ने इशारों-इशारों में कह दिया — “जनता बोलेगी तो पार्टी बनाएंगे, चुनाव लड़ेंगे और ट्रंप साहब को ट्विटर की तरह राजनीति से भी लॉगआउट करवा देंगे.”
जब दोस्ती में पॉलिटिक्स घुस जाए, तो दुश्मनी तय है
एक दौर था जब मस्क ट्रंप की नीतियों की तारीफ किया करते थे. लेकिन अब हालात ऐसे हैं कि दोनों एक-दूसरे पर जुबानी बम गिरा रहे हैं. ये वैसा ही है जैसे अमिताभ और धर्मेंद्र के बीच अचानक ‘शोले’ से निकलकर 'दीवार' की स्क्रिप्ट आ जाए.
एलन मस्क का कहना है कि अगर ट्रंप जैसा बिजनेसमैन राष्ट्रपति बन सकता है, तो वो क्यों नहीं? दूसरी ओर, ट्रंप मानते हैं कि मस्क को टेक्नोलॉजी की दुनिया में रहना चाहिए, राजनीति उनकी चाय नहीं है.
“दोस्त दोस्त ना रहा…” — अब ये गाना अमेरिका का नेशनल एंथम बन चुका है
लोग पूछ रहे हैं — क्या ये लड़ाई निजी है या राजनीतिक? जवाब है — दोनों. क्योंकि जहां ट्रंप सत्ता में वापसी का सपना देख रहे हैं, वहीं मस्क सत्ता में ‘डिस्टर्बेंस’ लाने की योजना बना रहे हैं. अमेरिका के इतिहास में शायद पहली बार कोई अरबपति टेक्नो किंग खुलेआम कह रहा है — “मैं राष्ट्रपति बन सकता हूं.” और जो शख्स ट्विटर खरीद सकता है, वो व्हाइट हाउस को क्यों न खरीद ले?
दोस्ती का इम्तिहान या पॉलिटिक्स की चाल?
कहते हैं जब दोस्ती टूटती है, तो सबसे ज्यादा शोर यादों का होता है. ट्रंप और मस्क की दोस्ती अब यादों की गलियों में भटक रही है. एक दौर था जब दोनों ‘ब्रोमांस’ का ओपन शो करते थे, अब वो दौर ‘ब्लॉक’ और ‘अनफॉलो’ में बदल चुका है.
इस सियासी महायुद्ध का ट्रेलर अब अमेरिका नहीं, पूरी दुनिया देख रही है. रूस-यूक्रेन के झगड़े को सुलझाने का सपना देखने वाले ट्रंप को अब मस्क से मुकाबला करना पड़ रहा है. और ये लड़ाई सिर्फ सत्ता की नहीं, ईगो और इरादे की भी है.
साझेदारी की दोस्ती, हिसाब की दुश्मनी
ट्रंप और मस्क की दोस्ती सिर्फ भावनाओं की नहीं थी, उसमें बिजनेस का भी तड़का था. स्पेस, सोशल मीडिया, ऑटोमोबाइल, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस — मस्क हर जगह थे और ट्रंप हर जगह दिखना चाहते थे. लेकिन जब ट्रंप का ट्विटर अकाउंट सस्पेंड हुआ और मस्क ने ट्विटर को ही खरीद लिया, तभी से चीज़ें बदलने लगीं.
शायद यहीं से शुरू हुआ वो साइलेंट कन्फ्लिक्ट जो अब एक फुल-ऑन पॉलिटिकल वॉर में बदल चुका है. और अब ये जंग सिर्फ व्हाइट हाउस के लिए नहीं, बल्कि दुनिया की लीडरशिप की परिभाषा बदलने के लिए लड़ी जा रही है.
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