नई दिल्लीः चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से बातचीत की है, जो एक अप्रत्याशित घटना है. यह बातचीत विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि दोनों देशों के संबंधों के 75 साल पूरे होने पर यह हुआ. इस दौरान दोनों नेताओं ने आपसी संबंधों को और मजबूत बनाने पर चर्चा की. यह संवाद ऐसे समय में हुआ है जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप टैरिफ वॉर की शुरुआत कर रहे हैं, और उन्होंने 2 अप्रैल को एक महत्वपूर्ण तारीख घोषित की है. इसका मतलब यह है कि अगर ट्रंप अपने फैसले पर कायम रहते हैं, तो 2 अप्रैल से दुनिया की आर्थिक और द्विपक्षीय संबंधों की स्थिति बदल सकती है. ट्रंप की नीतियों से अमेरिका को आर्थिक और रणनीतिक दृष्टिकोण से गंभीर नुकसान हो सकता है.
यह बहुत कम देखने को मिलता है जब चीन के राष्ट्रपति ने भारत के राष्ट्रपति से सीधे संवाद किया हो, लेकिन 1 अप्रैल 2025 को यह हुआ. इस दौरान शी जिनपिंग ने भारत के साथ संबंधों को बेहतर बनाने पर जोर दिया और कहा कि "ड्रैगन और हाथी मिलकर बहुत कुछ कर सकते हैं" (यहां 'ड्रैगन' चीन का प्रतीक है और 'हाथी' भारत का). ट्रंप के टैरिफ वॉर के बीच यह बातचीत एक अहम मोड़ पर हुई है. भारत और चीन पहले ही अपने सीमा विवादों को बातचीत के जरिए सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं, जैसे कि लद्दाख में पिछले पांच सालों से जारी सीमा विवाद का समाधान किया गया है.
भारत के साथ आर्थिक संबंध सुधारने के संकेत
चीन ने भारत के साथ आर्थिक संबंध सुधारने के संकेत दिए हैं. दरअसल, दोनों देशों के बीच व्यापार घाटा बहुत बढ़ गया है. 2023-24 वित्तीय वर्ष में भारत ने चीन को 16.65 बिलियन डॉलर का सामान निर्यात किया, जबकि 101.75 बिलियन डॉलर का आयात किया, जिससे व्यापार घाटा लगभग 85 बिलियन डॉलर से ज्यादा हो गया. ट्रंप की नीतियों के कारण अब सभी देश अपनी आर्थिक नीतियों को बदलने पर विचार कर रहे हैं. चीन ने भारत से अधिक सामान आयात करने की इच्छा जताई है, ताकि व्यापार घाटे को कम किया जा सके. चीन के राजदूत शु फियांग ने कहा कि बीजिंग भारत से अधिक माल आयात करना चाहता है ताकि व्यापार घाटे को कम किया जा सके.
एशिया में भी इस टैरिफ वॉर का असर
डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों के कारण अमेरिका अब दुनिया भर में अलग-थलग पड़ता जा रहा है. पहले के अमेरिकी दोस्त जैसे कनाडा और यूरोप, अब चीन के साथ सहयोग करने लगे हैं. एशिया में भी इस टैरिफ वॉर का असर दिखने लगा है. जापान और दक्षिण कोरिया, जो पहले अमेरिका के मित्र थे, अब चीन के साथ हाथ मिलाने की योजना बना रहे हैं. ऐसे में यदि ट्रंप 2 अप्रैल से रेसिप्रोकल टैरिफ लागू करते हैं, तो यह अमेरिका की अर्थव्यवस्था के लिए विनाशकारी हो सकता है. इसके अलावा, यह अमेरिका के लिए सामरिक दृष्टि से भी हानिकारक साबित हो सकता है. कई अमेरिकी अर्थशास्त्रियों ने ट्रंप सरकार को चेतावनी दी है, लेकिन ट्रंप अभी तक अपने रुख पर कायम हैं.
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