कतर में भारतीय नागरिक अमित गुप्ता की गिरफ्तारी ने सबका ध्यान खींचा है. लेकिन हैरानी की बात ये है कि अब तक कतर सरकार ने इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि कतर इसे एक आंतरिक कानूनी मामला मान रहा है, जो उनके देश के कानून के दायरे में आता है. इसलिए वे सार्वजनिक टिप्पणी से बच रहे हैं.
दूसरी वजह ये भी हो सकती है कि कतर समेत कई देश ongoing कानूनी मामलों पर तब तक कुछ नहीं कहते, जब तक अदालत से कोई फैसला ना आ जाए. इसके अलावा, चूंकि भारत के साथ रिश्ते संवेदनशील हैं, कतर शायद इस मामले को निजी डिप्लोमैटिक चैनलों से सुलझाना चाहता है.
कौन हैं अमित गुप्ता और क्या है मामला?
अमित गुप्ता टेक महिंद्रा में कतर और कुवैत के रीजनल हेड के रूप में काम कर रहे थे. वे पिछले तीन साल से इस भूमिका में थे और कंपनी के साथ उनका 12 साल से ज्यादा का अनुभव है. गुप्ता पर कतर सरकार ने डेटा चोरी का आरोप लगाया है, हालांकि आरोपों को लेकर अब तक विस्तार से कोई जानकारी नहीं दी गई है.
उनके परिवार और टेक महिंद्रा का दावा है कि अमित निर्दोष हैं और उन्हें फंसाया गया है. परिवार का कहना है कि वे लगातार अमित से संपर्क में हैं और उन्हें अपनी बात रखने का मौका मिलना चाहिए.
भारत सरकार की प्रतिक्रिया
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बताया कि भारत की दोहा एम्बेसी इस केस पर नजर रखे हुए है. उन्होंने कहा कि 28 मार्च 2025 को भारतीय दूतावास को अमित से मिलने की इजाजत दी गई थी. वे अपने परिवार से फोन पर बात कर पा रहे हैं और उन्हें कानूनी मदद भी मिल रही है. विदेश मंत्रालय ने यह भी साफ किया कि कुछ अन्य भारतीयों को भी कतर में इसी तरह की जांच के चलते हिरासत में लिया गया है.
क्या पहले भी ऐसा हुआ है?
अगस्त 2022 में कतर में भारतीय नौसेना के 8 पूर्व अफसरों को जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, जिन्हें बाद में कतर के अमीर ने माफ कर दिया. अमित गुप्ता का मामला उस हाई-प्रोफाइल केस के बाद कतर में भारतीयों से जुड़ा दूसरा बड़ा मामला है.
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