क्वेटा: पाकिस्तान के दक्षिण-पश्चिमी प्रांत बलूचिस्तान में अलगाववादी भावनाएं एक बार फिर तीव्र हो गई हैं. दशकों से चले आ रहे सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक असंतोष ने अब एक बार फिर आंदोलन का रूप ले लिया है. क्षेत्र में जगह-जगह "स्वतंत्र बलूचिस्तान" के झंडे और नक्शे सामने आ रहे हैं, जबकि सोशल मीडिया पर "बलूचिस्तान रिपब्लिक" हैशटैग ट्रेंड कर रहा है.
बलूच कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह सिर्फ विरोध नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय पहचान और आत्मनिर्णय की लड़ाई है, जो लंबे समय से दबा दी गई थी.
हम पाकिस्तान का हिस्सा नहीं- बलूच
बलूच लेखक और कार्यकर्ता मीर यार बलूच ने कहा कि बलूचिस्तान में अब एक निर्णायक बदलाव की मांग उठ रही है. "यह आंदोलन केवल विरोध प्रदर्शन नहीं, बल्कि राजनीतिक स्वतंत्रता की मांग है," उन्होंने कहा. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय और संयुक्त राष्ट्र से बलूचिस्तान को "लोकतांत्रिक गणराज्य" के रूप में मान्यता देने का आग्रह किया है.
मानवाधिकारों पर सवाल
पाकिस्तानी सुरक्षा बलों पर बलूच समुदाय के सदस्यों के जबरन गायब होने और मानवाधिकार उल्लंघन के गंभीर आरोप लगे हैं. इन घटनाओं ने न केवल घरेलू स्तर पर असंतोष बढ़ाया है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ध्यान आकर्षित किया है.
अफगानिस्तान की निर्वासित सांसद मरियम सोलायमानखिल ने ANI को दिए इंटरव्यू में कहा, “बलूच शांतिपूर्ण विरोध कर रहे हैं, लेकिन उन्हें जेल में डाला जा रहा है. वहीं चरमपंथी खुलेआम घूम रहे हैं. यह दोहरा मापदंड मानवता के खिलाफ है.”
बलूचिस्तान के असंतोष का कारण
बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है, जो खनिज संपदा से भरपूर है, फिर भी यह क्षेत्र देश के सबसे गरीब और अविकसित इलाकों में गिना जाता है. स्थानीय लोगों का आरोप है कि प्राकृतिक संसाधनों से होने वाली आय का लाभ उन्हें नहीं, बल्कि देश के अन्य हिस्सों, खासकर पंजाब को मिलता है.
चीनी परियोजनाओं जैसे चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) में स्थानीय लोगों को हाशिए पर रखे जाने के आरोप भी इस असंतोष को बढ़ाते हैं.
बलूच विद्रोह: हिंसा और टकराव
बलूच अलगाववादी गुटों ने हाल के वर्षों में कई बार पाकिस्तानी सुरक्षा बलों और सरकारी संस्थानों पर हमले किए हैं. बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) और अन्य संगठनों ने कुछ महीने पहले एक ट्रेन को भी अगवा किया था, जिसमें सैकड़ों यात्री सवार थे.
हालांकि पाकिस्तान सरकार इन घटनाओं को आतंकवाद करार देती है और उनका मुकाबला सैन्य कार्रवाई से करती है, वहीं विद्रोही गुट इसे राष्ट्रीय स्वतंत्रता की लड़ाई बताते हैं.
पाकिस्तानी सरकार का रुख
इस पूरे घटनाक्रम पर पाकिस्तान सरकार का कहना है कि वह देश की अखंडता बनाए रखने के लिए आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई कर रही है. लेकिन आलोचकों का मानना है कि बल प्रयोग से स्थिति को दबाने की कोशिशें अविश्वास और असंतोष को और गहरा कर रही हैं.
बलूच आंदोलन को लेकर पाकिस्तानी सेना का दृष्टिकोण अक्सर सख्त रहा है, जिसने अतीत में कई बार सैन्य अभियानों का सहारा लिया है.
अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भूमिका
बलूचिस्तान में जो हो रहा है, उसे लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय अब ज्यादा सतर्क हो रहा है. विशेष रूप से मानवाधिकार संगठनों और पड़ोसी देशों के नेताओं ने हाल के घटनाक्रमों को गंभीरता से लिया है.
हालांकि अब तक किसी देश ने बलूचिस्तान को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता नहीं दी है, लेकिन आवाजें धीरे-धीरे तेज हो रही हैं.
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