84 करोड़ के इनामी मोस्ट वांटेड आतंकी अल-शरा से मिले डोनाल्ड ट्रंप, जमकर की तारीफ, जानें इसकी वजह

    एक ऐसे क्षण में जब मध्य पूर्व एक बार फिर शांति की तलाश में है, अमेरिका और सीरिया के बीच लंबे समय बाद कूटनीतिक हलचल देखने को मिली.

    Donald Trump met the most wanted terrorist Al-Shara
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- ANI

    रियाद: एक ऐसे क्षण में जब मध्य पूर्व एक बार फिर शांति की तलाश में है, अमेरिका और सीरिया के बीच लंबे समय बाद कूटनीतिक हलचल देखने को मिली. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सऊदी अरब की राजधानी रियाद में सीरियाई राष्ट्रपति अहमद अल-शरा से मुलाकात की — यह पिछले ढाई दशकों में पहली बार हुआ है कि दोनों देशों के शीर्ष नेताओं के बीच सीधी बातचीत हुई है.

    इस मुलाकात से पहले ट्रंप ने सीरिया पर लगाए गए सभी अमेरिकी प्रतिबंधों को समाप्त करने का आदेश दिया, जो कभी युद्ध और आतंकवाद के केंद्र रहे इस देश के लिए एक नई आर्थिक और राजनीतिक शुरुआत का संकेत है.

    कभी आतंक के साथ जुड़े नाम

    सीरियाई राष्ट्रपति अहमद अल-शरा, जिन्हें पहले अबू मोहम्मद अल-जुलानी के नाम से जाना जाता था, वर्षों तक वैश्विक आतंकी नेटवर्कों से जुड़े रहे. हालांकि 2016 में उन्होंने अल-कायदा से अलग होकर नया संगठन हयात तहरीर अल-शाम (HTS) बनाया और बाद में खुद को एक राजनीतिक नेता के रूप में प्रस्तुत किया.

    2024 में बशर अल-असद की सरकार के पतन के बाद अल-शरा ने सत्ता संभाली. इसके साथ ही उनका असली नाम और पहचान पहली बार सार्वजनिक रूप से सामने आई.

    डोनाल्ड ट्रंप की टिप्पणी

    राष्ट्रपति ट्रंप ने 37 मिनट की बातचीत के बाद कहा, “अहमद अल-शरा युवा हैं, नेतृत्व की क्षमता रखते हैं और अगर सही दिशा में चलें तो मध्य पूर्व में स्थिरता ला सकते हैं.” ट्रंप ने सीरियाई राष्ट्रपति से विदेशी आतंकवादी समूहों को देश से निकालने और इजराइल के साथ संबंध सामान्य करने की दिशा में काम करने को कहा.

    अल-शरा ने भी ट्रंप की पहल की सराहना करते हुए कहा कि वे क्षेत्र में दीर्घकालिक शांति के लिए प्रतिबद्ध हैं.

    सीरिया पर प्रतिबंध क्यों लगे थे?

    2011 में गृहयुद्ध की शुरुआत के बाद अमेरिका ने सीरियाई सरकार पर कठोर प्रतिबंध लगाए थे. इनका मकसद असद सरकार पर दबाव बनाना था, जिसे नागरिकों पर हिंसा और रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था. इनमें शामिल थे:

    • तेल और गैस निर्यात पर प्रतिबंध, जिससे सीरिया की अर्थव्यवस्था का मुख्य स्रोत बंद हो गया
    • बैंकिंग और SWIFT सिस्टम से बहिष्कार, जिससे वैश्विक लेनदेन ठप हो गया
    • सैन्य तकनीक पर रोक, जिससे सरकार को कोई भी विदेशी हथियार या तकनीक नहीं मिल सकी
    • 'सीज़र एक्ट', जो अन्य देशों और कंपनियों को भी सीरिया के साथ व्यापार करने से रोकता था

    आर्थिक पतन और मानव संकट

    इन प्रतिबंधों का असर विनाशकारी रहा —

    • सीरिया की GDP 2010 के $60 बिलियन से घटकर 2022 में $23 बिलियन रह गई
    • देश की 90% आबादी गरीबी रेखा के नीचे आ गई
    • हर दिन केवल 2 घंटे बिजली, 1.2 करोड़ लोग भुखमरी की कगार पर
    • तेल पर बैन से ₹9.1 लाख करोड़ का नुकसान

    अस्थिर हालात के चलते सीरिया में कैप्टागन ड्रग्स की तस्करी एक काले बाजार में बदल गई थी, जिसमें कुछ रिपोर्टों के अनुसार सरकारी अधिकारी भी लिप्त थे.

    अल-शरा की नई नीति

    राष्ट्रपति बनने के बाद अल-शरा ने नशीले पदार्थों की तस्करी पर सख्त रुख अपनाया है. हाल ही में उन्होंने कई बड़े तस्कर गिरोहों पर कार्रवाई करते हुए साफ कहा कि “यह सीरिया के भविष्य और शरिया दोनों के खिलाफ है.”

    उनकी यह पहल वैश्विक समुदाय को यह संकेत दे रही है कि सीरिया अब एक नए रास्ते पर चलने को तैयार है — आतंक और तस्करी से दूर, शांति और पुनर्निर्माण की ओर.

    सीरिया पर लगे प्रतिबंध हटाने के पीछे की सोच

    ट्रंप ने यह निर्णय अकेले नहीं लिया. उन्होंने पहले सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और तुर्की के राष्ट्रपति तैयप एर्दोगन से विचार-विमर्श किया. दोनों नेताओं ने प्रतिबंध हटाने का समर्थन किया और इसे क्षेत्रीय स्थिरता की दिशा में एक सकारात्मक कदम बताया.

    नया अध्याय, पुरानी छाया के साथ

    हालांकि आलोचक इस निर्णय को एक जोखिम भरा जुआ मान रहे हैं, लेकिन समर्थकों का कहना है कि राजनीतिक समावेशन और पुनर्निर्माण के लिए संवाद जरूरी है.

    अल-शरा जैसे नेता, जो कभी एक वांछित आतंकवादी हुआ करते थे, अब एक ऐसे राष्ट्र का नेतृत्व कर रहे हैं जो दो दशकों तक युद्ध और संकटों का शिकार रहा है.

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