इजरायल ने जिसे मारने का किया था दावा, वो ईरानी जनरल निकला जिंदा, जनाजे में हुआ शरीक, देखें वीडियो

    ईरान और इज़राइल के बीच हालिया 12-दिवसीय सैन्य संघर्ष के बाद जब संघर्षविराम लागू हुआ, तो क्षेत्र में अस्थायी शांति तो लौटी, लेकिन इससे जुड़े कई दावों की विश्वसनीयता पर भी गंभीर सवाल उठने लगे.

    The Iranian general whom Israel killed turned out to be alive
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- X

    तेहरान: ईरान और इज़राइल के बीच हालिया 12-दिवसीय सैन्य संघर्ष के बाद जब संघर्षविराम लागू हुआ, तो क्षेत्र में अस्थायी शांति तो लौटी, लेकिन इससे जुड़े कई दावों की विश्वसनीयता पर भी गंभीर सवाल उठने लगे. विशेषकर वे दावे जो इज़राइल और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से किए गए थे—जिनमें कहा गया था कि ‘तेहरान में की गई स्ट्राइक से ईरान के शीर्ष सैन्य नेतृत्व को भारी क्षति पहुंचाई गई’.

    लेकिन शनिवार को तेहरान की सड़कों पर जो दृश्य सामने आया, उसने इन दावों को चुनौती दी. हजारों की भीड़ राजधानी की सड़कों पर एक भव्य अंतिम विदाई के लिए एकत्र हुई थी, लेकिन उसी जनाजे में कुछ ऐसे चेहरे भी देखे गए जिन्हें कथित रूप से पहले ही मारा जा चुका बताया गया था.

    क्या स्ट्राइक में मारे गए अधिकारी जीवित हैं?

    ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) की कुद्स फोर्स के कमांडर इस्माइल कानी, जिनकी मृत्यु की पुष्टि कई अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्टों और इज़रायली सैन्य सूत्रों ने की थी, वे शनिवार को उसी जनाजे की भीड़ में नज़र आए—जिंदा और पूरी तरह स्वस्थ.

    उनके साथ मौजूद थे अली शामखानी, जो ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के सुरक्षा सलाहकार हैं. उनके बारे में भी कहा गया था कि वे इज़रायली ऑपरेशन में मारे गए हैं. इन वरिष्ठ अधिकारियों की सार्वजनिक मौजूदगी ने उन सभी रिपोर्टों पर सवाल खड़े कर दिए जो युद्ध के दौरान उनके ‘मारे जाने’ की पुष्टि करती थीं.

    अंतिम विदाई: हताहतों को दी गई श्रद्धांजलि

    भले ही कुछ वरिष्ठ अधिकारी जीवित साबित हुए हों, लेकिन इस सैन्य टकराव में जान गंवाने वालों की संख्या और उनकी पहचान को लेकर कोई भ्रम नहीं है. शनिवार को आयोजित अंतिम संस्कार में उन लोगों को श्रद्धांजलि दी गई जो वास्तव में युद्ध के दौरान मारे गए.

    इनमें प्रमुख नाम थे:

    • मेजर जनरल मोहम्मद बाघेरी – ईरानी सेना में नंबर दो की हैसियत रखने वाले अधिकारी, जो अपनी पत्नी और पत्रकार बेटी के साथ मारे गए.
    • परमाणु वैज्ञानिक डॉ. मोहम्मद मेहदी तेहरांची – जो अपनी पत्नी के साथ इस संघर्ष में मारे गए.
    • IRGC के कमांडर हुसैन सलामी – जिनकी मृत्यु की पुष्टि ईरानी राज्य मीडिया ने की थी.

    इन हताहतों में कई मासूम नागरिक, महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे, जिनके परिवारों को राज्य की ओर से विशेष सम्मान दिया गया.

    जनसमर्थन और राष्ट्रीय भावना का प्रदर्शन

    तेहरान की सड़कों पर उमड़ी भीड़ केवल एक अंतिम विदाई का हिस्सा नहीं थी—यह एक व्यापक राष्ट्रीय मनोभाव की अभिव्यक्ति भी थी. लोग हाथों में ईरानी झंडे, बैनर और मृतकों की तस्वीरें लेकर सड़कों पर उतरे. सबसे अधिक ध्यान खींचने वाला नारा था—“बूम बूम तेल अवीव”—जो इज़राइल की राजधानी के खिलाफ जवाबी कार्रवाई का प्रतीक बन चुका है.

    यह नारा केवल आक्रोश का संकेत नहीं था, बल्कि उस भावनात्मक संक्रमण को भी दर्शा रहा था, जिसमें शोक अब प्रतिरोध की भावना में तब्दील हो रहा था.

    ट्रंप और इज़रायली दावे सवालों के घेरे में

    संघर्ष के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया था कि अमेरिका के रणनीतिक सहयोग से इज़राइल ने ‘कमांड-लेवल स्ट्राइक’ के जरिए ईरानी सैन्य नेतृत्व को गंभीर क्षति पहुंचाई है. उन्होंने इसे ‘तेहरान की रीढ़ तोड़ने’ जैसा बयान भी दिया. इज़रायली मीडिया ने भी ऐसे ही दावे प्रसारित किए थे.

    हालांकि, अब जब युद्ध समाप्त हो चुका है और कई कथित मृत अधिकारी जीवित पाए गए हैं, तो इन दावों की वैधता पर सवाल उठना स्वाभाविक है. ईरान के विदेश मंत्री ने इन बयानों को “पूरी तरह झूठा और भ्रामक” बताया और कहा कि ये इज़राइल की सैन्य विफलता को छिपाने की रणनीति भर है.

    राजनीतिक और कूटनीतिक संदेश

    विशेषज्ञों का मानना है कि इस घटनाक्रम से दो मुख्य संदेश निकलते हैं:

    सूचना युद्ध का युग: अब लड़ाई केवल जमीन या मिसाइलों की नहीं रही—यह छवियों, दावों और बयानों की भी हो गई है. जो पहले केवल सैन्य रिपोर्टिंग का हिस्सा होता था, वह अब जनमत निर्माण का साधन बन चुका है.

    कूटनीतिक संतुलन की आवश्यकता: इस संघर्ष ने एक बार फिर यह दिखाया कि पश्चिम एशिया क्षेत्र में छोटी चिंगारी भी बड़े संघर्ष में बदल सकती है. भारत समेत कई देशों ने संयम और संवाद का समर्थन किया, और इस दिशा में वैश्विक प्रयासों को तेज करने की जरूरत है.

    ये भी पढ़ें- नहीं सुधरेगा पाकिस्तान... फिर से बना रहा ऑपरेशन सिंदूर में तबाह आतंकी कैंप्स, इस बार और एडवांस होगा