जेवर में लगेगा देश का छठा सेमीकंडक्टर प्लांट, कैबिनेट से मिली मंजूरी, हर महीने 3.6 करोड़ चिप बनेंगी

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में उत्तर प्रदेश के जेवर में एक नई सेमीकंडक्टर यूनिट को मंजूरी दे दी गई है.

    The countrys sixth semiconductor plant will be set up in Jewar
    अश्विणी वैष्णव/Photo- ANI

    नई दिल्ली: भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और बड़ा कदम बढ़ाया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में उत्तर प्रदेश के जेवर में एक नई सेमीकंडक्टर यूनिट को मंजूरी दे दी गई है. यह देश की छठी सेमीकंडक्टर यूनिट होगी और इसका निर्माण लगभग ₹3706 करोड़ की लागत से किया जाएगा.

    इस परियोजना को देश की अग्रणी आईटी कंपनी HCL और ताइवानी इलेक्ट्रॉनिक्स दिग्गज फॉक्सकॉन मिलकर अंजाम देंगे. यह यूनिट भारत की सेमीकंडक्टर निर्माण क्षमता को एक नई ऊंचाई देगी और देश को चिप निर्माण में वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी बनाने की दिशा में मजबूत आधार बनेगी.

    जेवर सेमीकंडक्टर प्लांट: क्या खास होगा?

    प्रस्तावित स्थान: जेवर, उत्तर प्रदेश (दिल्ली-एनसीआर से नजदीक)

    कुल निवेश: ₹3706 करोड़

    निर्माण साझेदार: HCL और Foxconn

    उत्पादन क्षमता: प्रतिमाह 3.6 करोड़ डिस्प्ले ड्राइवर चिप्स

    उत्पाद का उपयोग: मोबाइल फोन, लैपटॉप, ऑटोमोबाइल, पर्सनल कंप्यूटर, टीवी, और स्मार्ट डिवाइसेज़ में

    डिस्प्ले ड्राइवर चिप्स स्मार्टफोन और डिजिटल उपकरणों की स्क्रीन को संचालित करने में अहम भूमिका निभाती हैं. ये चिप्स जितनी तेजी से और ऊर्जा कुशल तरीके से कार्य करती हैं, उतना ही बेहतर उपयोगकर्ता अनुभव मिलता है.

    ‘इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन’ का विस्तार

    भारत सरकार ने 2022 में इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) लॉन्च किया था, जिसका उद्देश्य देश को सेमीकंडक्टर हब के रूप में विकसित करना है. इसके तहत अब तक 6 प्रमुख यूनिट्स को स्वीकृति दी जा चुकी है.

    मिशन के अंतर्गत 270 से ज्यादा शैक्षणिक संस्थानों और 70 से अधिक स्टार्टअप्स को सेमीकंडक्टर से जुड़े एडवांस्ड टूल्स और ट्रेनिंग मुहैया कराई जा रही है.

    भारत में चिप डिजाइन से लेकर मैन्युफैक्चरिंग तक की पूरी वैल्यू चेन विकसित करने पर फोकस किया गया है.

    सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग क्यों है जरूरी?

    1. टेक्नोलॉजिकल आत्मनिर्भरता:

    कोरोना महामारी और वैश्विक आपूर्ति संकट ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत को तकनीकी उपकरणों की मैन्युफैक्चरिंग के लिए दूसरों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए.

    2. राष्ट्रीय सुरक्षा:

    चिप्स का उपयोग न केवल उपभोक्ता उत्पादों बल्कि रक्षा, संचार और अंतरिक्ष तकनीक में भी होता है. देश में चिप निर्माण से रणनीतिक स्वतंत्रता मिलेगी.

    3. रोज़गार सृजन और आर्थिक विकास:

    सेमीकंडक्टर प्लांट्स में उच्च कौशल वाले इंजीनियरों, तकनीशियनों और अन्य पेशेवरों की जरूरत होती है. इससे हजारों प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा होंगे.

    4. वैश्विक प्रतिस्पर्धा में बढ़त:

    भारत के पास विशाल घरेलू बाजार और कुशल मानव संसाधन है. इससे वह एशिया के दूसरे सेमीकंडक्टर हब्स जैसे ताइवान, दक्षिण कोरिया और चीन को टक्कर देने की क्षमता रखता है.

    जातीय जनगणना पर फैसला

    इस नई सेमीकंडक्टर यूनिट की स्वीकृति से पहले 30 अप्रैल 2025 को हुई कैबिनेट बैठक में जातीय जनगणना को मूल जनगणना के साथ कराने का निर्णय लिया गया था. उस फैसले ने राजनीतिक हलकों में व्यापक चर्चा छेड़ दी थी.

    कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने उस समय कहा था कि सरकार ने आखिरकार जातीय जनगणना की बात स्वीकार कर ली है. उन्होंने इसे सकारात्मक कदम बताया था और इस प्रक्रिया के लिए स्पष्ट समयसीमा तय करने की मांग भी की थी.

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