अप्रैल में 13 महीने के निचले स्तर पर पहुंची थोक-महंगाई, खाने-पीने के सामान की कीमतों में आई गिरावट

    महंगाई की मार झेल रही भारतीय अर्थव्यवस्था को अप्रैल महीने में थोड़ी राहत मिली है.

    Wholesale inflation reached a 13-month low in April
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- FreePik

    नई दिल्ली: महंगाई की मार झेल रही भारतीय अर्थव्यवस्था को अप्रैल महीने में थोड़ी राहत मिली है. सरकार द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार, थोक मूल्य सूचकांक (WPI) आधारित महंगाई दर अप्रैल 2025 में घटकर 0.85% पर आ गई, जो कि बीते 13 महीनों में सबसे कम है. मार्च 2025 में यह दर 2.05% दर्ज की गई थी, यानी महीने-दर-महीने आधार पर महंगाई दर में करीब 1.2 प्रतिशत अंक की गिरावट देखी गई है.

    इस गिरावट की प्रमुख वजह है खाद्य पदार्थों, ईंधन और पावर सेक्टर में कीमतों का नीचे आना. उद्योग और वाणिज्य मंत्रालय ने यह डेटा आज औपचारिक रूप से जारी किया.

    महंगाई में गिरावट के पीछे की वजह-

    खाद्य पदार्थों की कीमतों में नरमी

    • फूड इंडेक्स पर आधारित महंगाई दर अप्रैल में घटकर 2.55% रही, जो मार्च में 4.66% थी.
    • इसका मतलब है कि सब्जियां, फल, अनाज जैसी जरूरी चीजें थोड़ी सस्ती हुई हैं.

    प्राइमरी आर्टिकल्स की महंगाई में गिरावट

    प्राइमरी आर्टिकल्स (कच्चे उत्पाद जैसे फल, सब्जियां, धातुएं, खनिज) की महंगाई दर मार्च के 0.76% से घटकर -1.44% पर आ गई है, यानी कीमतों में शुद्ध गिरावट आई है.

    ईंधन और बिजली सेक्टर में कीमतों में गिरावट

    फ्यूल और पावर ग्रुप की महंगाई दर 0.20% से घटकर -2.18% पर आ गई है.

    इस गिरावट की वजह अंतरराष्ट्रीय क्रूड ऑयल कीमतों में स्थिरता और घरेलू टैक्स नीति में बदलाव हो सकता है.

    मैन्युफैक्चरिंग उत्पादों की लागत में राहत

    मैन्युफैक्चर्ड गुड्स (जैसे रसायन, धातुएं, वस्त्र, प्लास्टिक आदि) की महंगाई दर मार्च में 3.07% थी जो अप्रैल में घटकर 2.62% हो गई.

    संशोधित आंकड़ों की झलक

    वाणिज्य मंत्रालय ने फरवरी 2025 के महंगाई आंकड़े को भी संशोधित किया है. पहले इसे 2.38% बताया गया था, लेकिन अब इसे बढ़ाकर 2.45% कर दिया गया है. यह दर्शाता है कि पहले अनुमानित से अधिक महंगाई उस महीने थी.

    थोक महंगाई बनाम खुदरा महंगाई

    भारत में दो तरह की महंगाई को ट्रैक किया जाता है:

    थोक महंगाई (WPI)

    यह मापती है कि थोक बाजार में कारोबारी एक-दूसरे से सामान किस कीमत पर खरीदते-बेचते हैं.

    इसमें सबसे ज्यादा वेटेज मैन्युफैक्चरिंग उत्पादों को दिया गया है (64.23%). इसके बाद प्राइमरी आर्टिकल्स (22.62%) और फ्यूल एंड पावर (13.15%) का स्थान आता है.

    खुदरा महंगाई (CPI)

    यह आम उपभोक्ताओं द्वारा खरीदी जाने वाली चीजों की कीमतों को मापता है, जैसे दूध, अनाज, तेल, किराया आदि.

    CPI का उपयोग आरबीआई द्वारा मौद्रिक नीति तय करने के लिए किया जाता है.

    महंगाई में गिरावट का अर्थव्यवस्था पर असर

    उद्योगों के लिए राहत का संकेत: महंगाई में गिरावट का मतलब है कि कच्चे माल की लागत घट रही है, जिससे निर्माण क्षेत्र को थोड़ी राहत मिल सकती है.

    ब्याज दरों पर संभावित असर: खुदरा महंगाई में भी गिरावट जारी रही तो भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) आगामी नीतिगत समीक्षा में ब्याज दरों को कम करने पर विचार कर सकती है.

    आम उपभोक्ताओं के लिए भी राहत: खाद्य पदार्थों की कीमतों में गिरावट से उपभोक्ता खर्च पर दबाव कुछ हद तक कम हो सकता है, जिससे घरेलू खपत में सुधार की उम्मीद की जा सकती है.

    सरकारी फाइनेंस पर नियंत्रण: अगर महंगाई लंबे समय तक नियंत्रण में रहती है, तो सरकार राजकोषीय घाटा और सब्सिडी पर खर्च को भी बेहतर तरीके से नियंत्रित कर सकती है.

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