'हाइवे पर अचानक ब्रेक लगाना लापरवाही...', सड़क हादसों पर सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला

    सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया, जिसमें कहा गया है कि अगर कोई कार चालक बिना चेतावनी के हाईवे पर अचानक ब्रेक लगाता है और दुर्घटना होती है, तो इसे लापरवाही माना जाएगा.

    Supreme Court says sudden braking on highway will be considered negligence
    Image Source: ANI

    नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया, जिसमें कहा गया है कि अगर कोई कार चालक बिना चेतावनी के हाईवे पर अचानक ब्रेक लगाता है और दुर्घटना होती है, तो इसे लापरवाही माना जाएगा. यह फैसला उन दुर्घटनाओं से जुड़े मामलों में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है, जहां अचानक ब्रेक लगाने के कारण अन्य वाहन चालक दुर्घटनाओं का शिकार हो जाते हैं.

    राजमार्ग पर वाहन रोकने का खतरा

    जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस अरविंद कुमार की पीठ ने कहा कि किसी वाहन को अचानक रोकना, चाहे वह व्यक्तिगत कारणों से क्यों न हो, किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं ठहराया जा सकता. यह निर्णय इसलिए लिया गया क्योंकि अचानक ब्रेक लगाने से न केवल वाहन चालक को बल्कि सड़क पर चल रहे अन्य लोगों को भी खतरा हो सकता है. हाईवे पर तेज गति से चल रहे वाहनों के बीच अचानक ब्रेक लगाना सुरक्षा के लिहाज से अत्यधिक जोखिमपूर्ण हो सकता है.

    याचिका और घटना का विवरण

    यह फैसला इंजीनियरिंग के छात्र एस. मोहम्मद हकीम की याचिका पर आया, जिनका एक सड़क दुर्घटना में पैर काटना पड़ा था. घटना जनवरी 2017 में कोयंबटूर में हुई, जब हकीम की बाइक एक कार के पीछे से टकरा गई, जो अचानक रुक गई थी. हकीम की बाइक गिरने के बाद, पीछे से आ रही एक बस ने उन्हें टक्कर मार दी, जिसके कारण उनका बायां पैर काटना पड़ा.

    कार चालक की दलील और कोर्ट का फैसला

    कार चालक ने अदालत में यह दावा किया कि उसने अपनी गर्भवती पत्नी के उल्टी महसूस करने के कारण ब्रेक लगाए थे. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस स्पष्टीकरण को खारिज कर दिया और कहा कि अचानक ब्रेक लगाना किसी भी स्थिति में उचित नहीं है. कोर्ट ने कार चालक और बस चालक दोनों को लापरवाही के लिए जिम्मेदार ठहराया, और मामले में भौतिक तथ्यों के आधार पर, हकीम की लापरवाही को 20% मानते हुए मुआवजे की राशि को कम कर दिया.

    मुआवजा राशि और अंतिम निर्णय

    अदालत ने हकीम को 1.14 करोड़ रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया, हालांकि उसके स्वयं की लापरवाही के कारण इसे 20% कम कर दिया गया. मुआवजा दोनों वाहनों की बीमा कंपनियों द्वारा चार सप्ताह के भीतर भुगतान किया जाएगा. इसके अलावा, मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण और मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा पहले दिए गए फैसलों में लापरवाही के जिम्मेदारियों के प्रतिशत में भी अंतर था. 

    ये भी पढ़ें: LAC पर बढ़ेगी सेना की ताकत, भारत ने भूटान के करीब डोकलाम में बनाई रोड, चीन को चेक एंड मेट की तैयारी!