नई दिल्ली: भारतीय रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित ‘नाग’ एंटी-टैंक मिसाइल भारतीय सेना की ताकत को नई ऊँचाई पर ले जाने वाली हथियार प्रणाली है. ऑपरेशन सिंदूर और अन्य रक्षा अभियानों में आधुनिक हथियारों के इस्तेमाल से भारत ने अपनी सैन्य क्षमताओं का प्रदर्शन किया है. इसी श्रृंखला में नाग मिसाइल ने अपनी घातक क्षमता और आधुनिक तकनीक से सुरक्षा विशेषज्ञों का ध्यान खींचा है.
नाग मिसाइल क्या है और कैसे काम करती है?
नाग मिसाइल तीसरी पीढ़ी की अत्याधुनिक एंटी-टैंक मिसाइल है. यह मिसाइल अपने लक्ष्य को स्वयं पहचानने और उसे भेदने में सक्षम है.
इस तकनीक के कारण भारतीय सेना अब दुश्मन के टैंकों के खिलाफ अधिक प्रभावी और सुरक्षित तरीके से कार्रवाई कर सकती है.
नाग की खासियतें और युद्ध में प्रभाव
नाग मिसाइल को अन्य एंटी-टैंक मिसाइलों से अलग और खतरनाक बनाने वाली विशेषताएँ इस प्रकार हैं:
छत पर वार करने की क्षमता
नाग मिसाइल का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह टैंक की छत को निशाना बनाती है, जो बख्तरबंद टैंकों का सबसे कमजोर हिस्सा होती है. यह तकनीक आधुनिक टैंकों को तेजी से और प्रभावी ढंग से नष्ट करने में सक्षम बनाती है.
गाइडेंस की आवश्यकता नहीं
अधिकांश मिसाइलों को लक्ष्य तक पहुँचाने के लिए GPS या अन्य गाइडेंस सिस्टम की जरूरत होती है, जबकि नाग अपने हीट सिग्नेचर तकनीक के दम पर स्वतः निशाना साध लेती है.
लंबी रेंज और लचीलापन
किसी भी मौसम में कार्यशील
नाग मिसाइल की सबसे बड़ी ताकत यह है कि यह किसी भी मौसम में प्रभावी रहती है. चाहे धूल भरी आंधी हो, बारिश हो या बर्फीले हालात, यह मिसाइल लक्ष्य को भेदने में सक्षम रहती है.
विकास और परीक्षण का इतिहास
नाग मिसाइल का विकास 1990 में DRDO के तहत किया गया और इसका पहला सफल परीक्षण भी उसी वर्ष हुआ. इसके बाद इसे लगातार अपग्रेड किया गया और विभिन्न परिस्थितियों में परीक्षण किया गया.
भारतीय सेना में रणनीतिक महत्व
नाग मिसाइल भारतीय सेना की ताकत और युद्धक्षमता को कई तरह से बढ़ाती है:
विशेषज्ञ मानते हैं कि नाग मिसाइल भविष्य की सैन्य रणनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी और भारतीय सुरक्षा ढांचे को मजबूत बनाएगी.
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