इसी महीने जॉर्डन और ओमान दौरे पर जा सकते हैं पीएम मोदी, CEPA पर होगी चर्चा, क्या है भारत का प्लान?

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द ही पश्चिम एशिया के महत्वपूर्ण दौरे पर निकल सकते हैं. सूत्रों के अनुसार, पीएम मोदी इस महीने जॉर्डन और ओमान की यात्रा कर सकते हैं.

    PM Modi can visit Jordan and Oman this month Indias plan
    प्रतिकात्मक तस्वीर/ ANI

    नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द ही पश्चिम एशिया के महत्वपूर्ण दौरे पर निकल सकते हैं. सूत्रों के अनुसार, पीएम मोदी इस महीने जॉर्डन और ओमान की यात्रा कर सकते हैं. यह दौरा ऐसे समय में तय हो रहा है जब भारत अरब दुनिया के साथ अपने रणनीतिक, आर्थिक और राजनीतिक संबंधों को नई दिशा देने में जुटा हुआ है. आने वाले दो महीनों में नई दिल्ली की तरफ से पश्चिम एशियाई साझेदारों के साथ कई अहम कार्यक्रमों और उच्च स्तरीय मुलाकातों की तैयारी है.

    भारत लगातार इस क्षेत्र में अपनी पहुंच मजबूत कर रहा है- एक तरफ व्यापार और ऊर्जा सुरक्षा पर बातचीत बढ़ रही है, वहीं दूसरी तरफ सुरक्षा सहयोग और राजनीतिक संवाद को भी नया आयाम देने का प्रयास हो रहा है.

    कूटनीतिक कैलेंडर में ओमान और जॉर्डन प्राथमिकता

    इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रधानमंत्री मोदी की संभावित यात्रा अरब दुनिया के साथ भारत की लंबी अवधि की रणनीति का हिस्सा है. ओमान और जॉर्डन दोनों ही देश भारत के समीपस्थ पश्चिम एशिया नीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

    ओमान खाड़ी क्षेत्र में भारत का एक भरोसेमंद साझेदार माना जाता है, जबकि जॉर्डन क्षेत्रीय स्थिरता और मध्य पूर्व शांति वार्ताओं में अहम केंद्र है.

    इस दौरे के दौरान कई महत्वपूर्ण समझौतों और साझेदारियों को अंतिम रूप देने की उम्मीद जताई जा रही है, खासकर ओमान के साथ चल रही चर्चाओं को.

    ओमान के साथ बड़ा व्यापार समझौता सम्भव

    भारत और ओमान के बीच कई महीनों से कंप्रिहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप एग्रीमेंट (CEPA) पर बातचीत जारी है. यह समझौता व्यापार, निवेश और सेवाओं के क्षेत्रों में दोनों देशों के लिए नए अवसर खोलेगा. अभी तक हुई बातचीत सकारात्मक मानी जा रही है, और यह अनुमान है कि पीएम मोदी के दौरे के दौरान इस समझौते पर हस्ताक्षर भी संभव हैं.

    ओमान भारतीय नौसेना के लिए सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हिंद महासागर क्षेत्र की सुरक्षा में अहम सहयोगी है. दोनों देशों के बीच रक्षा, ऊर्जा और समुद्री सुरक्षा पर मजबूत तालमेल लंबे समय से कायम है.

    जॉर्डन की यात्रा भी रणनीतिक दृष्टि से अहम

    जॉर्डन के साथ भारत की साझेदारी मुख्य रूप से सुरक्षा सहयोग, वेस्ट एशिया में राजनीतिक संतुलन और प्रवासी भारतीयों के हितों से जुड़ी हुई है. जॉर्डन क्षेत्रीय भू-राजनीति में सॉफ्ट लेकिन महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है- खासकर इज़रायल-फिलिस्तीन संदर्भ में.

    प्रधानमंत्री की यात्रा इस संवाद को आगे बढ़ाने का मौका होगी, साथ ही शिक्षा, स्वास्थ्य और टेक्नोलॉजी साझेदारी पर भी नए कदम उठाए जा सकते हैं.

    जनवरी में अरब लीग की मेगा मीटिंग

    पश्चिम एशिया को लेकर भारत का सबसे बड़ा कूटनीतिक कार्यक्रम जनवरी में है, जब नई दिल्ली में भारत–अरब लीग सहयोग बैठक आयोजित होने जा रही है. विदेश मंत्रालय पहले ही इस बैठक के लिए निमंत्रण जारी कर चुका है और लगभग सभी प्रमुख अरब राष्ट्रों के वरिष्ठ मंत्री इसमें शामिल हो सकते हैं.

    सबसे ध्यान देने वाली बात यह है कि सीरिया के विदेश मंत्री असद अल-शैबानी के भी भारत आने की उम्मीद है. सीरिया में राजनीतिक बदलावों के बाद भारत ने मानवीय सहायता भेजकर और कूटनीतिक संपर्क बढ़ाकर अपने रिश्तों को फिर से मजबूत करने की कोशिश की है.

    भारत का पश्चिम एशिया प्लान

    भारत की पश्चिम एशिया नीति बीते कुछ वर्षों में काफी विस्तृत हो चुकी है. इसके तीन मुख्य स्तंभ हैं—

    • ऊर्जा सुरक्षा: भारत की तेल और गैस आपूर्ति का बड़ा हिस्सा खाड़ी क्षेत्र से आता है.
    • आर्थिक साझेदारी: अरब देशों के साथ व्यापार तेज़ी से बढ़ रहा है, और कई भारतीय कंपनियां वहां निवेश कर रही हैं.
    • प्रवासी भारतीय: खाड़ी क्षेत्र में 90 लाख से ज्यादा भारतीय काम करते हैं, जो भारत की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान करते हैं.

    इन्हीं कारणों से पश्चिम एशिया आज भारत की विदेश नीति का अहम हिस्सा बन गया है. पीएम मोदी की यह संभावित यात्रा और आगामी अरब लीग बैठक भारत के इस व्यापक कूटनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है.

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