मस्कट/नई दिल्ली: भारतीय वायुसेना के लिए बड़ी खुशखबरी है. ओमान ने घोषणा की है कि वह 20 से अधिक जगुआर लड़ाकू विमानों को भारत को गिफ्ट करेगा. ये विमान लंबे समय से ओमानी वायुसेना के पास थे और वर्तमान में ऑपरेशनल नहीं हैं.
भारत ने इस प्रस्ताव को स्वीकार करने के संकेत दिए हैं, क्योंकि ये विमानों की स्पेयर पार्ट्स की कमी को दूर करने में सहायक होंगे और वायुसेना की फ्लीट क्षमता को बनाए रखने में मदद करेंगे. यह गिफ्ट भारत और ओमान के पुराने और मजबूत रक्षा संबंधों का परिणाम है.
जगुआर विमानों का महत्व और इस्तेमाल
जगुआर लड़ाकू विमान एक एंग्लो-फ्रेंच निर्माण का डीप पेनेट्रेशन स्ट्राइक एयरक्राफ्ट है. भारत इसे चुनिंदा देशों में से एक के रूप में ऑपरेट करता है. ये विमानों का इस्तेमाल विशेषकर:
के लिए किया जाता है.
ओमान से प्राप्त होने वाले ये पुराने विमान सीधे तौर पर लड़ाकू ऑपरेशन में शामिल नहीं होंगे, बल्कि स्पेयर पार्ट्स के रूप में इस्तेमाल किए जाएंगे. भारत की जगुआर फ्लीट को बनाए रखने में यह कदम अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इन विमानों की मूल प्रोडक्शन लाइन बंद हो चुकी है.
स्पेयर पार्ट्स की कमी: भारत की चुनौती
जगुआर फाइटर जेट्स भारत में 1979 से ऑपरेट हो रहे हैं. इस लंबी सेवा अवधि के कारण इन विमानों की मेकेनिकल और इलेक्ट्रॉनिक स्पेयर पार्ट्स की कमी एक बड़ी चुनौती बन गई है.
ओमान से मिलने वाले पुराने विमान इस कमी को दूर करेंगे. इनसे भारतीय वायुसेना को ऑपरेशनल रीडीनेस बढ़ाने में मदद मिलेगी.
भारत और ओमान: पुरानी रक्षा साझेदारी
भारत और ओमान के बीच रक्षा संबंध दशकों पुराने हैं. दोनों देशों की सेनाओं के बीच नियमित साझा प्रशिक्षण, वायु सुरक्षा सहयोग और तकनीकी सहयोग होता रहा है.
विशेषज्ञों के अनुसार, ओमान का यह कदम दोनों देशों के रणनीतिक और कूटनीतिक संबंधों को और मजबूत करेगा. यह केवल हवाई सुरक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि भारत की ऑपरेशनल तैयारियों में सुधार और वायुसेना की क्षमता बनाए रखने का भी संकेत है.
जगुआर विमान का इतिहास और युद्ध अनुभव
वर्षों में विमानों को ओवरहॉल और अपग्रेड किया गया, जिससे इन्हें आधुनिक युद्ध आवश्यकताओं के अनुकूल बनाया जा सका.
जगुआर की सबसे खासियत यह है कि यह तीव्र गति, उच्च पेलोड क्षमता और सटीकता के साथ गहन स्ट्राइक मिशन में सक्षम है.
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