भारत को 20 से ज्यादा पुराने जगुआर फाइटर जेट गिफ्ट करेगा ओमान, वायुसेना की बढ़ेगी ताकत, क्या है वजह?

    भारतीय वायुसेना के लिए बड़ी खुशखबरी है. ओमान ने घोषणा की है कि वह 20 से अधिक जगुआर लड़ाकू विमानों को भारत को गिफ्ट करेगा.

    Oman will gift more than 20 old Jaguar fighter jets to India
    प्रतिकात्मक तस्वीर/ ANI

    मस्कट/नई दिल्ली: भारतीय वायुसेना के लिए बड़ी खुशखबरी है. ओमान ने घोषणा की है कि वह 20 से अधिक जगुआर लड़ाकू विमानों को भारत को गिफ्ट करेगा. ये विमान लंबे समय से ओमानी वायुसेना के पास थे और वर्तमान में ऑपरेशनल नहीं हैं. 

    भारत ने इस प्रस्ताव को स्वीकार करने के संकेत दिए हैं, क्योंकि ये विमानों की स्पेयर पार्ट्स की कमी को दूर करने में सहायक होंगे और वायुसेना की फ्लीट क्षमता को बनाए रखने में मदद करेंगे. यह गिफ्ट भारत और ओमान के पुराने और मजबूत रक्षा संबंधों का परिणाम है.

    जगुआर विमानों का महत्व और इस्तेमाल

    जगुआर लड़ाकू विमान एक एंग्लो-फ्रेंच निर्माण का डीप पेनेट्रेशन स्ट्राइक एयरक्राफ्ट है. भारत इसे चुनिंदा देशों में से एक के रूप में ऑपरेट करता है. ये विमानों का इस्तेमाल विशेषकर:

    • स्पेशल स्ट्राइक मिशन
    • दीप एयर एंड ग्राउंड पेनिट्रेशन ऑपरेशन
    • सुरक्षा और एरिया डिफेंस मिशन

    के लिए किया जाता है.

    ओमान से प्राप्त होने वाले ये पुराने विमान सीधे तौर पर लड़ाकू ऑपरेशन में शामिल नहीं होंगे, बल्कि स्पेयर पार्ट्स के रूप में इस्तेमाल किए जाएंगे. भारत की जगुआर फ्लीट को बनाए रखने में यह कदम अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इन विमानों की मूल प्रोडक्शन लाइन बंद हो चुकी है.

    स्पेयर पार्ट्स की कमी: भारत की चुनौती

    जगुआर फाइटर जेट्स भारत में 1979 से ऑपरेट हो रहे हैं. इस लंबी सेवा अवधि के कारण इन विमानों की मेकेनिकल और इलेक्ट्रॉनिक स्पेयर पार्ट्स की कमी एक बड़ी चुनौती बन गई है.

    • भारत के पास इन विमानों की बड़ी संख्या है, जो विभिन्न युद्ध और प्रशिक्षण मिशनों में शामिल रहती हैं.
    • पुराने ओवरहॉल और अपग्रेड के बावजूद, ऑपरेशनल फ्लीट की संख्या घट रही है.
    • स्पेयर पार्ट्स की कमी की वजह से विमानों की उपलब्धता और तत्परता प्रभावित हो रही थी.

    ओमान से मिलने वाले पुराने विमान इस कमी को दूर करेंगे. इनसे भारतीय वायुसेना को ऑपरेशनल रीडीनेस बढ़ाने में मदद मिलेगी.

    भारत और ओमान: पुरानी रक्षा साझेदारी

    भारत और ओमान के बीच रक्षा संबंध दशकों पुराने हैं. दोनों देशों की सेनाओं के बीच नियमित साझा प्रशिक्षण, वायु सुरक्षा सहयोग और तकनीकी सहयोग होता रहा है.

    विशेषज्ञों के अनुसार, ओमान का यह कदम दोनों देशों के रणनीतिक और कूटनीतिक संबंधों को और मजबूत करेगा. यह केवल हवाई सुरक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि भारत की ऑपरेशनल तैयारियों में सुधार और वायुसेना की क्षमता बनाए रखने का भी संकेत है.

    जगुआर विमान का इतिहास और युद्ध अनुभव

    • भारत को पहला जगुआर लड़ाकू विमान 1979 में मिला था.
    • यह विमान मुख्य रूप से डीप स्ट्राइक मिशन और रणनीतिक हमलों के लिए डिज़ाइन किया गया था.
    • कारगिल युद्ध (1999) में भारत ने इन विमानों का सक्रिय रूप से इस्तेमाल किया.
    • इसके अलावा, पाकिस्तान के खिलाफ विभिन्न ऑपरेशनों में भी जगुआर ने प्रदर्शन किया.

    वर्षों में विमानों को ओवरहॉल और अपग्रेड किया गया, जिससे इन्हें आधुनिक युद्ध आवश्यकताओं के अनुकूल बनाया जा सका.

    जगुआर की सबसे खासियत यह है कि यह तीव्र गति, उच्च पेलोड क्षमता और सटीकता के साथ गहन स्ट्राइक मिशन में सक्षम है.

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