CM Yogi And Pooja Pal Meet: उत्तर प्रदेश की राजनीति में इन दिनों घटनाक्रम तेजी से बदल रहे हैं. हाल ही में समाजवादी पार्टी से निलंबित की गईं विधायक पूजा पाल की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से हुई मुलाकात ने सियासी हलकों में चर्चाओं को हवा दे दी है. शनिवार रात को हुई इस भेंट के कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं, जो सिर्फ एक मुलाकात भर नहीं, बल्कि प्रदेश की राजनीति में आने वाले संभावित बदलावों की भूमिका भी हो सकती है.
विधायक पूजा पाल को समाजवादी पार्टी से निकाले जाने के कुछ ही घंटों बाद मुख्यमंत्री से उनकी मुलाकात इस ओर इशारा करती है कि भविष्य की रणनीति पहले से ही तैयार थी, और अब वह धीरे-धीरे सार्वजनिक हो रही है.
क्या अब भाजपा में एंट्री तय है?
पूजा पाल, जिन्होंने अपने पति और पूर्व विधायक राजू पाल की हत्या के खिलाफ वर्षों तक न्याय की लड़ाई लड़ी, अब खुलकर योगी सरकार की नीतियों और माफिया विरोधी रुख की सराहना कर रही हैं. विधानसभा में उन्होंने जिस तरह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की खुले मंच से तारीफ की, उससे सपा की नाराजगी लाजिमी थी. लेकिन यह बयानबाज़ी किसी क्षणिक प्रतिक्रिया से अधिक, एक रणनीतिक कदम लगती है.
भाजपा का संकेत या निजी राय?
भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह का ताजा बयान भी घटनाक्रम में नया मोड़ लाता है. उन्होंने पूजा पाल को सपा से निकाले जाने को “अच्छा निर्णय” बताया, लेकिन अखिलेश यादव को सवर्ण विरोधी न मानने की बात कहकर सियासी संतुलन बनाए रखा. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अब पूजा पाल स्वतंत्र हैं, और वह जिस पार्टी में चाहें, जा सकती हैं. राजनीतिक गलियारों में इसे भाजपा की तरफ से अवसर के द्वार खोलने जैसा संकेत माना जा रहा है.
पाल समाज का प्रतिनिधित्व
इस पूरे घटनाक्रम का एक बड़ा पहलू जातिगत समीकरणों से भी जुड़ा है. उत्तर प्रदेश में पाल समाज की आबादी महत्वपूर्ण है, लेकिन फिलहाल भाजपा के मंत्रिमंडल में इस समुदाय का कोई चेहरा नहीं है. ऐसे में अगर पूजा पाल भाजपा में शामिल होती हैं, तो यह भाजपा के लिए न सिर्फ एक सामाजिक संतुलन साधने का मौका होगा, बल्कि प्रयागराज जैसे संवेदनशील क्षेत्र में एक मजबूत राजनीतिक दांव भी माना जाएगा.
विधानसभा में सीएम योगी की खुलकर तारीफ
पूजा पाल ने विधानसभा में स्पष्ट शब्दों में कहा था, “मेरे पति की हत्या किसने की, यह सब जानते हैं. मैं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आभार व्यक्त करती हूं, जिन्होंने मेरी आवाज सुनी और अतीक अहमद जैसे अपराधियों का सफाया किया.” उनका यह बयान केवल एक निजी आभार नहीं, बल्कि सियासी लाइन क्लियर करने का ऐलान भी माना जा रहा है.
कौन हैं पूजा पाल?
2005 में अपने पति राजू पाल की हत्या के बाद राजनीति में आईं. शुरुआत बसपा से की, बाद में समाजवादी पार्टी में शामिल हुईं. 2022 में चायल सीट से विधायक बनीं. हमेशा से स्पष्ट वक्ता और मजबूत राजनीतिक पहचान रखने वाली नेता के रूप में पहचानी जाती हैं.
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