पाकिस्तान में हालात बद से बदतर, खैबर पख्तूनख्वा में प्रदर्शनकारियों पर अंधाधुंध फायरिंग; जानिए अब क्या हुआ

    पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में एक बार फिर उथलपुथल मच गई है, जब रविवार को एक विरोध प्रदर्शन पर अज्ञात बंदूकधारियों ने गोलीबारी कर दी, जिसमें सात लोग मारे गए.

    Situation in Pakistan worse firing on protesters in Khyber Pakhtunkhwa
    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Freepik

    पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में एक बार फिर उथलपुथल मच गई है, जब रविवार को एक विरोध प्रदर्शन पर अज्ञात बंदूकधारियों ने गोलीबारी कर दी, जिसमें सात लोग मारे गए. यह विरोध प्रदर्शन पाकिस्तान की सेना के खिलाफ था, जो आतंकवाद रोधी अभियानों के नाम पर स्थानीय लोगों पर कथित ज्यादतियां कर रही थी. इस घटना ने खैबर पख्तूनख्वा में बढ़ते असंतोष और स्थानीय नागरिकों के गुस्से को एक बार फिर से उजागर कर दिया है.

    गोलीबारी और मोर्टार हमले की घटना

    खैबर जिले के जखा खैल इलाके में एक मोर्टार हमले में एक युवती की मौत हो गई थी. इसके बाद स्थानीय लोग गुस्से में आ गए और उन्होंने मोमंद गुज सुरक्षा चौकी के बाहर युवती का शव रखकर जवाबदेही की मांग की. जैसे ही ये लोग इकट्ठा हुए, उन पर ताबड़तोड़ गोलीबारी की गई. इस घटना को लेकर कुछ वीडियो भी सामने आए हैं, जिनमें पाकिस्तानी सेना पर गोली चलाने का आरोप लगाया गया है, लेकिन इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई है.

    खैबर पख्तूनख्वा में बढ़ता गुस्सा

    पाकिस्तान के लिए खैबर पख्तूनख्वा (KPK) प्रांत हमेशा से एक संवेदनशील क्षेत्र रहा है, जहां सेना की कार्रवाइयां स्थानीय लोगों के बीच गुस्से का कारण बनती रही हैं. कई अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टों में यह बात सामने आई है कि पाकिस्तानी सेना ने खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में मानवाधिकारों का उल्लंघन किया है. इन इलाकों में जबरन गुमशुदगी, हिरासत में मौत और गैरकानूनी तरीके से लोगों को हिरासत में लेने के आरोप लगातार लगते रहे हैं. इस कारण इन इलाकों में विरोध प्रदर्शन और हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं.

    बलूचिस्तान और केपीके में हिंसा का बढ़ता स्तर

    खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में पाकिस्तान की सेना पर आरोप है कि उन्होंने बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के लोगों को हिरासत में लिया और उन्हें गायब कर दिया. गायब हुए लोगों के परिवार अक्सर धरना और विरोध प्रदर्शन करते हैं, लेकिन पाकिस्तान के जबरन गुमशुदगी जांच आयोग ने अब तक इन मामलों में कोई ठोस कदम नहीं उठाया.

    बलूचिस्तान में हाल के दिनों में इस तरह की हिंसा में वृद्धि देखी गई है, खासकर चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) से जुड़ी परियोजनाओं को लेकर. यहां पाक सेना और सुरक्षाबलों को निशाना बनाते हुए हमले हुए हैं, जो एक बार फिर यह दर्शाते हैं कि सैन्य कार्रवाइयों और परियोजनाओं के प्रति स्थानीय लोगों में गहरी नाराजगी है.

    क्या भविष्य में हालात सुधरेंगे?

    पाकिस्तान की सेना के खिलाफ बढ़ते असंतोष और खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में हो रही हिंसा के बावजूद, इन मुद्दों का समाधान निकलता हुआ नहीं दिखाई दे रहा है. जब तक पाकिस्तान सरकार और सेना इन क्षेत्रों में मानवाधिकारों का सम्मान नहीं करती और स्थानीय नागरिकों के खिलाफ की जा रही ज्यादतियों को रोकने के लिए ठोस कदम नहीं उठाती, तब तक इन प्रांतों में संघर्ष और असंतोष की स्थिति बनी रहेगी.

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