इस्लामाबाद/रियाद: दक्षिण एशिया में बढ़ते तनाव और हालिया घटनाओं के बीच पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भारत के साथ बातचीत की इच्छा जाहिर की है. रिपोर्ट्स के अनुसार, शरीफ ने सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से इस संबंध में बातचीत की है और अनुरोध किया है कि वे भारत के साथ संभावित वार्ता को आगे बढ़ाने में मध्यस्थता की भूमिका निभाएं.
पाकिस्तानी मीडिया चैनल ARY न्यूज के अनुसार, दोनों नेताओं के बीच हाल ही में फोन पर बातचीत हुई जिसमें शरीफ ने कहा कि पाकिस्तान POJK (पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर), आतंकवाद, सिंधु जल समझौता और व्यापार जैसे अहम मुद्दों पर भारत के साथ खुलकर बातचीत के लिए तैयार है.
भारत का रुख: POK के समाधान के बिना बातचीत नहीं
हालांकि भारत ने अपने रुख को स्पष्ट कर दिया है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं करता और POJK जैसे संवेदनशील मुद्दों पर समाधान की दिशा में आगे नहीं बढ़ता, तब तक किसी प्रकार की द्विपक्षीय वार्ता की संभावना नहीं है.
यह रुख हाल ही में 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद और अधिक सख्त हो गया है. इस हमले के जवाब में भारत ने कई ठोस कूटनीतिक और सैन्य कदम उठाए, जिनमें शामिल हैं:
सिंधु जल संधि: ऐतिहासिक समझौता, विवाद का केंद्र
1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई सिंधु जल संधि विश्व बैंक की मध्यस्थता में बनी थी. इस समझौते के तहत, भारत को रावी, ब्यास और सतलज (पूर्वी नदियाँ) का और पाकिस्तान को सिंधु, झेलम और चिनाब (पश्चिमी नदियाँ) का अधिकार दिया गया था. समझौते के अनुसार, भारत को लगभग 20% और पाकिस्तान को 80% पानी की उपलब्धता मिलती है.
हालांकि, हाल के वर्षों में पाकिस्तान इस समझौते को लेकर कई बार आपत्ति जता चुका है. पहलगाम हमले और उसके बाद हुए भारतीय सैन्य अभियानों के बाद पाकिस्तान ने इस मुद्दे को OIC (इस्लामिक देशों के संगठन) में भी उठाया. पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जोर-शोर से रखने की कोशिश की, लेकिन उन्हें अपेक्षित समर्थन नहीं मिला.
ऑपरेशन सिंदूर: भारत की सख्त सैन्य प्रतिक्रिया
भारत ने 6-7 मई की दरमियानी रात को 'ऑपरेशन सिंदूर' नामक अभियान के तहत पाकिस्तान के कब्जे वाले क्षेत्रों में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया. इसमें लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिज्बुल मुजाहिदीन जैसे संगठनों के नौ अहम अड्डों को नष्ट किया गया.
इस हमले के जवाब में पाकिस्तान ने भारत के सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने की कोशिश की, जो विफल रही. इसके बाद भारत ने और अधिक सख्त सैन्य प्रतिक्रिया दी, जिसमें नूर खान एयरबेस जैसे महत्वपूर्ण पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों को नुकसान पहुंचा.
क्षेत्रीय तनाव और कूटनीतिक पहल
भारत और पाकिस्तान के बीच पिछले कुछ वर्षों से द्विपक्षीय वार्ता रुकी हुई है. हालांकि पाकिस्तान की ओर से बार-बार बातचीत की पेशकश की जाती रही है, भारत का रुख यह रहा है कि आतंकवाद और सीमा पार घुसपैठ जैसी समस्याओं का समाधान पहले होना चाहिए.
शहबाज शरीफ द्वारा सऊदी अरब से की गई इस पहल को राजनयिक समुदाय एक संकेत के रूप में देख रहा है कि पाकिस्तान क्षेत्रीय अस्थिरता को कम करने और अंतरराष्ट्रीय समर्थन हासिल करने के प्रयास में है. विशेषज्ञों का मानना है कि इस पहल से तब तक कोई सार्थक परिणाम नहीं निकल सकता, जब तक पाकिस्तान अपनी ज़मीन से संचालित हो रहे आतंकी नेटवर्कों पर निर्णायक कार्रवाई नहीं करता.
क्या संवाद का मार्ग खुल सकता है?
भारत और पाकिस्तान के बीच संवाद का रास्ता हमेशा से ही जटिल रहा है – इतिहास, भू-राजनीति और विश्वास की कमी इसमें बड़ी बाधाएं रही हैं. शहबाज शरीफ की सऊदी अरब से की गई यह पहल इस बात को दर्शाती है कि पाकिस्तान दबाव में है – चाहे वह आर्थिक हो, कूटनीतिक हो या आंतरिक सुरक्षा से जुड़ा.
बहरहाल, भारत ने स्पष्ट संकेत दे दिया है कि बातचीत तभी संभव है जब आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक और विश्वसनीय कदम उठाए जाएं. तब तक, मौजूदा तनाव का समाधान सैन्य कार्रवाई और राजनयिक दवाब के बीच ही चलता रहेगा.
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