भारत ने अपने पांचवीं पीढ़ी के स्टेल्थ फाइटर जेट की दिशा में बड़ा कदम उठा लिया है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने स्वदेशी एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) के निर्माण को हरी झंडी दे दी है. यह प्रोजेक्ट न केवल भारत की वायु शक्ति को नई ऊंचाई देने वाला है, बल्कि देश को उन गिने-चुने देशों की कतार में भी लाएगा, जिनके पास खुद के विकसित किए गए 5th जनरेशन फाइटर जेट हैं.
इस प्रोजेक्ट के ऐलान के साथ ही अब निगाहें उन मौजूदा फाइटर जेट्स पर भी जाती हैं, जो इस श्रेणी में पहले से ही दुनिया की वायु सेनाओं का प्रमुख हिस्सा हैं—और इनमें सबसे प्रमुख नाम है अमेरिका का F-35 लाइटनिंग II.
F-35: हवा में अदृश्य लेकिन युद्ध में अभेद्य
लॉकहीड मार्टिन द्वारा निर्मित F-35 को आधुनिक युद्धक विमानों की शिखर रचना कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी. इसकी ताकत केवल रफ्तार या रडार से छुपने तक सीमित नहीं, बल्कि इसकी ‘सेंसर फ्यूजन’, नेटवर्क-शेयरिंग क्षमता और हेलिकॉप्टर जैसी वर्टिकल लैंडिंग इसे विशेष बनाती है.
तीन वैरिएंट्स, कई युद्धक्षेत्रों के लिए सक्षम
इसकी वर्टिकल लैंडिंग क्षमता इसे युद्धपोतों या अस्थायी रनवे से उड़ान भरने और उतरने में सक्षम बनाती है.
F-35 की असली ताकत: टेक्नोलॉजी और रणनीति
S-400 जैसे सिस्टम के लिए भी चुनौती
F-35 की डिज़ाइन और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर क्षमताएं उसे रूस के अत्याधुनिक S-400 एयर डिफेंस सिस्टम के लिए भी सिरदर्द बनाती हैं. 2019 में सीरिया में F-35 के संचालन ने यह साबित किया कि यह जेट दुश्मन की नजर में आए बिना मिशन को अंजाम देने में सक्षम है.
भारत के लिए F-35 क्यों है एक प्रेरणास्त्रोत?
भारत के पास फिलहाल राफेल और सुखोई Su-30 जैसे 4.5 जेनरेशन के फाइटर जेट्स हैं. हालांकि, अमेरिका द्वारा भारत को F-35 बेचने का प्रस्ताव पहले भी आ चुका है, लेकिन भारत ने अब खुद का पांचवीं पीढ़ी का फाइटर जेट बनाने का निर्णय लिया है.
‘मेड इन इंडिया’ AMCA प्रोजेक्ट न केवल आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम है, बल्कि यह आने वाले दशकों में भारत की हवाई ताकत को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाएगा. F-35 जैसे जेट्स की तकनीकी विशेषताओं को समझना और उनसे सीख लेना भारत के इस मिशन को और ठोस आधार देगा.
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