भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद दक्षिण एशियाई कूटनीति में हलचल तेज हो गई है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर हाल ही में ईरान के दौरे पर गए थे, जहां उन्होंने मुस्लिम उम्मा और गाजा-इज़रायल संघर्ष के मुद्दे पर ईरान का समर्थन पाने की कोशिश की. लेकिन उन्हें वहां से कोई ठोस समर्थन नहीं मिला. इस बीच भारत ने चाबहार पोर्ट को लेकर एक रणनीतिक कदम उठाते हुए ईरान के साथ अपने रिश्तों को और मजबूत कर लिया.
ईरान से नहीं मिला पाकिस्तान को समर्थन
पाकिस्तान ने गाजा और इज़रायल मुद्दे पर तीखे बयान देकर ईरान को प्रभावित करने की कोशिश की, लेकिन ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामनेई ने भारत-पाकिस्तान विवाद पर केवल इतना कहा कि वह दोनों देशों के बीच शांति की उम्मीद करते हैं. यह बयान पाकिस्तान के लिए एक कूटनीतिक झटका माना जा रहा है, क्योंकि इससे यह साफ हो गया कि ईरान भारत के साथ अपने रिश्तों को लेकर सतर्क और रणनीतिक है.
भारत का बड़ा ऐलान: चाबहार पोर्ट का विस्तार
पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल की ईरान यात्रा के दौरान ही भारत ने चाबहार पोर्ट को लेकर अहम घोषणा कर दी. भारत ने कहा है कि वह इस रणनीतिक बंदरगाह की क्षमता को बढ़ाएगा और साल 2026 के मध्य तक इसे ईरानी रेलवे नेटवर्क से जोड़ देगा.
चाबहार पोर्ट, जो ओमान की खाड़ी में स्थित है, भारत के लिए पश्चिम एशिया और मध्य एशिया तक पहुंच का एक अहम द्वार है. इसे पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट के जवाब के रूप में भी देखा जाता है, जिसका संचालन चीन कर रहा है.
अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद भारत-ईरान की साझेदारी मजबूत
हालांकि चाबहार पोर्ट अमेरिकी प्रतिबंधों के खतरे से घिरा है, फिर भी भारत और ईरान मिलकर इसके विकास पर काम कर रहे हैं. भारत की सरकारी कंपनी इस पोर्ट का संचालन करती है और 10 साल के समझौते के तहत भारत यहां $120 मिलियन (लगभग ₹1,000 करोड़) का निवेश करेगा. साथ ही भारत ने इस परियोजना से जुड़े क्षेत्र के विकास के लिए $250 मिलियन के ऋण की पेशकश भी की है.
रेल नेटवर्क से जुड़ेगा चाबहार
भारत और ईरान मिलकर 700 किलोमीटर लंबा रेलवे ट्रैक तैयार कर रहे हैं, जो चाबहार को ईरान के शहर ज़ाहेदान से जोड़ेगा. इस परियोजना के 2026 के मध्य तक पूरा होने की उम्मीद है. इसके बाद यह पोर्ट अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (INSTC) के प्रवेश द्वार के रूप में काम करेगा, जिससे भारत को मध्य एशिया और यूरोप तक सीधी पहुंच मिलेगी.
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