यूक्रेन में जिस बम से हमला करता है रूस, भारत से हुई डील तो तबाह हो जाएंगे दुश्मन; जानें ताकत

    पुतिन और मोदी की मुलाकात में जहां S-500 एयर डिफेंस सिस्टम और Su-57 स्टेल्थ फाइटर चर्चा में रहे, वहीं असल हलचल एक ऐसे हथियार को लेकर है जिसकी धमक यूक्रेन युद्ध में पूरी दुनिया देख चुकी है—रूस का FAB-3000 ग्लाइड बम. यह वही बम है जो गिरते ही पूरे इलाके को धूल में मिला देता है.

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    पुतिन और मोदी की मुलाकात में जहां S-500 एयर डिफेंस सिस्टम और Su-57 स्टेल्थ फाइटर चर्चा में रहे, वहीं असल हलचल एक ऐसे हथियार को लेकर है जिसकी धमक यूक्रेन युद्ध में पूरी दुनिया देख चुकी है—रूस का FAB-3000 ग्लाइड बम. यह वही बम है जो गिरते ही पूरे इलाके को धूल में मिला देता है. अब रूस इसे भारत को देने की पेशकश कर चुका है, और भारतीय रणनीतिक हलकों में इसे एक संभावित ‘गेम चेंजर’ के रूप में देखा जा रहा है.

    FAB-3000 असल में रूस का तीन हजार किलोग्राम वजन वाला हाई-एक्सप्लोसिव एरियल बम है. इसके शरीर में भरा 1400 किलो ट्राइटोनॉल इसे एक चलते-फिरते धमाके में बदल देता है. लगभग 14 फीट लंबा और 2 फीट चौड़ा यह बम पुरानी सोवियत तकनीक से निकला जरूर है, लेकिन रूस ने इसे नए अपग्रेड के साथ आधुनिक युद्ध का सबसे खतरनाक हथियार बना दिया है.

    नई तकनीक—जब पुराना बम बन गया स्मार्ट ग्लाइड वेपन

    रूस ने FAB-3000 में UMPK नाम की स्मार्ट गाइडेंस किट लगा दी है. यह वही अपग्रेड है जिसने पारंपरिक बम को ‘ग्लाइडिंग मिसाइल’ जैसा बना दिया. UMPK किट में शामिल हैं:
    फोल्ड होने वाले बड़े पंख,
    सैटेलाइट और इनर्शियल नेविगेशन,
    GLONASS आधारित टारगेटिंग सिस्टम. जैसे ही बम फाइटर जेट से छोड़ा जाता है, इसके पंख खुल जाते हैं और यह 70 किलोमीटर दूर के लक्ष्य की ओर खुद-ब-खुद फिसलता चला जाता है. पायलट को दुश्मन के वायु-रक्षा कवच में घुसने की जरूरत ही नहीं पड़ती.

    यूक्रेन में इस बम का तांडव, गड्ढे, राख और खामोशी

    रूस ने FAB-3000 को Su-34 फाइटर-बॉम्बर पर तैनात किया है. जहां यह बम गिरता है, वहां 50-60 मीटर चौड़ा और 15-20 मीटर गहरा गड्ढा बन जाता है. कंक्रीट के बंकर, हथियार गोदाम, टनलों में छिपी टुकड़ियां—कुछ भी इस धमाके के आगे बच नहीं पाता. यूक्रेनी सैनिक इसे ‘उड़ता हुआ कयामत’ कहकर बुलाते हैं.

    अमेरिकी JDAM-ER का बड़ा भाई

    दुनिया में FAB-3000 की तुलना अक्सर अमेरिकी JDAM-ER से की जाती है, लेकिन तुलना यहां टिकती नहीं. JDAM: 500–1000 किलो, FAB-3000: 3000 किलो. उम्र और नुकसान—तीन गुना से भी ज्यादा. रेंज भले ही लगभग समान हो, लेकिन FAB-3000 की विस्फोटक क्षमता अमेरिका के JDAM की तुलना में कई गुना अधिक है.

    भारत के लिए क्यों है बेहद जरूरी?

    चीन और पाकिस्तान दोनों के पास पहाड़ी बंकर, भूमिगत कमांड सेंटर और कठोर सैन्य ठिकाने हैं. FAB-3000 ऐसे टारगेट्स के लिए बना है जिन्हें साधारण बम नहीं तोड़ सकते.

    भारत के लिए फायदे:

    • Su-30MKI आसानी से इसे कैरी कर सकता है.
    • LAC पर चीन के ऊंचे ठिकानों को नष्ट करने में प्रभावी.
    • कम कीमत, उच्च भरोसेमंद हथियार—कम खर्च में बड़ा असर.
    • सिर्फ एक बम से दुश्मन का पूरा कैंप तबाह. रिपोर्टों के अनुसार, रूस सिर्फ FAB-3000 देने की नहीं, बल्कि UMPK किट की तकनीक भारत को ट्रांसफर करने पर भी तैयार है. यानी यह बम भारत में ही बनाया जा सकेगा.

    कीमत, उपलब्धता और संभावनाएं

    एक FAB-3000 UMPK की संयुक्त कीमत लगभग 20–30 लाख रुपये बताई जाती है—मिसाइलों की तुलना में बेहद सस्ता. रूस यूक्रेन में इस बम का 500 से ज्यादा बार उपयोग कर चुका है और इसका उत्पादन तेज़ी से चल रहा है. भारत को शुरुआती चरण में 200–300 बम मिलने की संभावना जताई जा रही है.

    FAB-3000 S-400 = असमान युद्ध क्षमता

    भारत के पास पहले से S-400 एयर डिफेंस सिस्टम है, जो दुश्मन के विमान और मिसाइल को आकाश में रोक देता है. अब अगर FAB-3000 भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल होता है, तो एक तरफ S-400 आक्रामकता रोकता रहेगा और दूसरी तरफ FAB-3000 दुश्मन की जमीन पर बनी सर्वाधिक सुरक्षित जगहों को मिनटों में मिटा देगा.

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