पुतिन ने पीएम मोदी को किया फोन, अलास्का में ट्रंप के साथ हुई मीटिंग की दी जानकारी, जानें क्या हुई बात

    भारत और रूस के संबंधों में लगातार मजबूती देखने को मिल रही है. इसी कड़ी में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच हाल ही में टेलीफोन पर अहम बातचीत हुई.

    Putin gave information about the meeting with Trump  to PM Modi
    प्रतिकात्मक तस्वीर/ ANI

    नई दिल्ली: भारत और रूस के संबंधों में लगातार मजबूती देखने को मिल रही है. इसी कड़ी में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच हाल ही में टेलीफोन पर अहम बातचीत हुई. दोनों नेताओं ने वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों के साथ-साथ आपसी सहयोग को लेकर भी चर्चा की.

    इस बातचीत में पुतिन ने प्रधानमंत्री मोदी को हाल ही में अलास्का में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ हुई उनकी मुलाकात के बारे में जानकारी दी. इसके अलावा यूक्रेन में जारी युद्ध, रूस से भारत द्वारा की जा रही तेल खरीद पर अमेरिका की प्रतिक्रिया, और भारत-रूस रणनीतिक साझेदारी पर भी विचारों का आदान-प्रदान हुआ.

    प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर दी जानकारी

    प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' (पूर्व में ट्विटर) के माध्यम से इस बातचीत की पुष्टि करते हुए कहा, "मेरे मित्र राष्ट्रपति पुतिन का फोन आया. उन्होंने मुझे अमेरिका में राष्ट्रपति ट्रंप के साथ हुई अपनी बातचीत की जानकारी दी. भारत हमेशा यूक्रेन में शांति का पक्षधर रहा है और हम इस दिशा में किए जाने वाले सभी प्रयासों का समर्थन करते हैं. हम इस पर आगे भी संवाद जारी रखेंगे."

    मोदी द्वारा पुतिन को "मित्र" कहे जाने से यह स्पष्ट होता है कि दोनों नेताओं के बीच व्यक्तिगत स्तर पर भी भरोसे और पारदर्शिता का रिश्ता है. यह भारत-रूस की लंबे समय से चली आ रही मित्रता को और मजबूती प्रदान करता है.

    पिछले सप्ताह भी हुई थी चर्चा

    हाल की बातचीत से एक सप्ताह पहले भी प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच यूक्रेन युद्ध और द्विपक्षीय सहयोग पर चर्चा हो चुकी थी. उस समय भी दोनों नेताओं ने आपसी रणनीतिक साझेदारी को और विस्तार देने की प्रतिबद्धता जताई थी. प्रधानमंत्री मोदी ने उस अवसर पर पुतिन को भारत आने का निमंत्रण भी दिया था, ताकि भारत-रूस वार्षिक शिखर बैठक आयोजित की जा सके.

    यह संवाद ऐसे समय में हो रहा है जब अमेरिका और भारत के संबंधों में कुछ तनाव देखा जा रहा है, विशेष रूप से रूस से भारत की तेल खरीद को लेकर. इससे भारत और रूस के संबंधों को नई गति मिल रही है.

    ट्रंप-पुतिन मुलाकात: क्या रहा निष्कर्ष?

    पुतिन ने मोदी को जो जानकारी दी, उसके अनुसार, अलास्का में ट्रंप के साथ उनकी बैठक कई अहम मुद्दों पर केंद्रित थी, खासकर यूक्रेन युद्ध और संभावित संघर्षविराम को लेकर.

    हालांकि, बैठक से कुछ घंटे पहले ट्रंप ने संकेत दिया था कि वह यूक्रेन में युद्धविराम देखना चाहते हैं और अगर इस पर कोई ठोस सहमति नहीं बनती, तो वह इससे संतुष्ट नहीं होंगे.

    बैठक के बाद ट्रंप ने पत्रकारों से कहा कि वे अब तक नहीं पहुंच सके, जो दर्शाता है कि कोई अंतिम समझौता नहीं हुआ. हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि हमने काफी प्रगति की है. जब ट्रंप से पूछा गया कि क्या शांति के लिए यूक्रेन को कुछ इलाकों की कुर्बानी देनी होगी, तो उन्होंने कहा कि "हम उन मुद्दों पर काफी हद तक सहमत हैं", हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि समझौते की दिशा क्या है.

    पुतिन की रणनीति और यूक्रेन की प्रतिक्रिया

    रूस की ओर से लंबे समय से यह स्पष्ट किया जाता रहा है कि वह शांति वार्ता तभी करेगा जब यूक्रेन क्षेत्रीय रियायतें देने को तैयार होगा. पुतिन का मानना है कि यूक्रेन पर सैन्य दबाव बनाए रखते हुए वह उसे कुछ क्षेत्रों पर समझौता करने के लिए बाध्य कर सकता है.

    रूस ने हाल ही में यूक्रेन के कई शहरों पर एक बार फिर आक्रमण शुरू कर दिया है. रिपोर्ट्स के अनुसार, इन हमलों में 300 से ज्यादा ड्रोन और 30 मिसाइलें शामिल थीं. यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की, जिन्हें इस शिखर वार्ता में आमंत्रित नहीं किया गया था, ने दोहराया है कि उनका देश किसी भी तरह की क्षेत्रीय रियायत देने के लिए तैयार नहीं है.

    भारत पर अमेरिकी टैरिफ का प्रभाव

    रूस से भारत द्वारा तेल खरीदने को लेकर अमेरिका ने हाल ही में भारत पर कुछ व्यापारिक दबाव बनाए हैं. अमेरिकी प्रशासन ने संकेत दिए हैं कि यदि भारत रूस से तेल आयात जारी रखता है, तो उस पर कुछ प्रकार के टैरिफ या आर्थिक प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं.

    इस पृष्ठभूमि में पुतिन और मोदी की बातचीत खास मायने रखती है. भारत का ऊर्जा सुरक्षा को लेकर रुख स्पष्ट रहा है वह सस्ती दरों पर तेल खरीद कर देश की आर्थिक जरूरतें पूरी करना चाहता है. वहीं रूस को एक भरोसेमंद खरीदार के रूप में भारत की जरूरत है, खासकर तब, जब पश्चिमी देशों ने उस पर व्यापक प्रतिबंध लगा रखे हैं.

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