नई दिल्लीः भारत ने अपनी रक्षा क्षेत्र में एक नया मील का पत्थर तय किया है. अगर ब्रह्मोस मिसाइल ने पहले ही पाकिस्तान के खिलाफ अपनी ताकत साबित की है, तो अब एक और कदम उठाया जा रहा है, जो इस मिसाइल को और भी ज्यादा खतरनाक बना सकता है. ब्रह्मोस-2K, जो हाइपरसोनिक स्पीड वाली मिसाइल होगी, ने न सिर्फ भारत के रक्षा तंत्र को और सशक्त किया है, बल्कि यह पाकिस्तान और चीन जैसे देशों के खिलाफ एक अहम रक्षा उपाय भी साबित हो सकती है.
आपने ब्रह्मोस मिसाइल का नाम पहले सुना होगा. यह वह मिसाइल है जिसे भारत ने पाकिस्तान और चीन के खिलाफ अपनी ताकत के प्रतीक के तौर पर विकसित किया था. अब भारत और रूस मिलकर ब्रह्मोस-2K पर काम करने जा रहे हैं. यह एक हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल होगी, जो मौजूदा ब्रह्मोस की तुलना में कहीं ज्यादा शक्तिशाली और तेज होगी.
ब्रह्मोस-2K का विकास रूस की जिरकॉन मिसाइल की टेक्नोलॉजी पर आधारित होगा. इसकी स्पीड 7-8 मैक हो सकती है, जो इसे कई बार तेज़ और खतरनाक बनाती है. इसके अलावा, इस मिसाइल में स्क्रैमजेट इंजन का उपयोग किया जाएगा, जिससे यह सुपरसोनिक से भी तेज रफ्तार से उड़ सकती है. खास बात यह है कि ब्रह्मोस-2K एक न्यूक्लियर वारहेड भी लेकर जा सकती है, जो इसे और भी खतरनाक बनाता है.
भारत और रूस की साझेदारी: मिसाइल कार्यक्रम की नई दिशा
ब्रह्मोस-2K का प्रोग्राम भारत और रूस के बीच एक महत्वपूर्ण साझेदारी का परिणाम है. इस प्रोग्राम को लगभग 10 साल पहले शुरू किया गया था, लेकिन अब पाकिस्तान के खिलाफ ब्रह्मोस की सफलता के बाद इसे फिर से पुनर्जीवित किया गया है. आने वाले समय में, भारत और रूस मिलकर इस मिसाइल को और बेहतर बनाने पर काम करेंगे.
इस मिसाइल की रेंज करीब 1500 किलोमीटर तक होगी, जिससे यह पाकिस्तान और चीन के अंदर गहरे तक जा सकती है. अब भारत की रक्षा तंत्र में एक और मजबूत मिसाइल जुड़ने वाली है जो अपने एयर डिफेंस सिस्टम से बच निकलने की क्षमता रखेगी.
ब्रह्मोस-2K की ताकत और उसके फायदे
ब्रह्मोस-2K को एक बेहतरीन मिसाइल बनाने के पीछे कई बातें हैं. सबसे पहले, इसका कम रडार सिग्नेचर और एडवांस मैन्युवरिंग क्षमता इसे अन्य मिसाइलों से अलग बनाती है. इसे इंटरसेप्ट करना लगभग नामुमकिन है. वहीं, इसमें स्क्रैमजेट इंजन का उपयोग होने के कारण इसकी स्पीड इतनी तेज होगी कि यह किसी भी तरह के एयर डिफेंस सिस्टम को चकमा दे सकती है.
इसके अलावा, भारत ने हाल ही में एक स्वदेशी स्क्रैमजेट इंजन का सफल परीक्षण किया है, जो इस मिसाइल को और भी ज्यादा सक्षम बनाएगा. डॉ. सुधीर कुमार मिश्रा, DRDO के पूर्व महानिदेशक ने कहा था कि इस इंजन की तकनीक ब्रह्मोस-2K को और भी ज्यादा उन्नत बना सकती है, जिससे भारत को रूस पर कम निर्भरता होगी.
क्या दुनिया तैयार है?
दुनिया भर में कई देश हाइपरसोनिक मिसाइलों पर काम कर रहे हैं, लेकिन केवल रूस और चीन ने ही इसमें सफलता पाई है. वहीं, अमेरिका का हाइपरसोनिक मिसाइल कार्यक्रम कई बार विफल हो चुका है. लेकिन भारत, अपनी तकनीकी और रक्षा क्षेत्र में ताकत को देखते हुए, अब इस दिशा में एक कदम और बढ़ने के करीब है.
भारत और रूस इस प्रोग्राम में इतनी तेजी से काम कर रहे हैं कि ब्रह्मोस-2K के दो वैरिएंट जल्द ही तैयार हो सकते हैं. पहला वैरिएंट जो हाइपरसोनिक स्पीड पर आधारित होगा, 2024 के अंत तक तैयार हो सकता है. दूसरा, जो पूरी तरह से स्क्रैमजेट पर आधारित होगा, 2027 तक विकसित हो जाएगा.
मिसाइल विकास में भारत की स्थिति
भारत ने मिसाइल विकास के क्षेत्र में जो रास्ता तय किया है, वह बहुत खास है. दिल्ली डिफेंस रिव्यू के डायरेक्टर सौरव झा ने कहा कि भारत ने पहले से ही मिसाइल बनाने के लिए एक मजबूत इको-सिस्टम तैयार किया है. इसके अलावा, भारत के पास अपनी मिसाइलों को टेस्ट करने के लिए अत्याधुनिक सुविधाएं हैं, जो इसे दुनिया के शीर्ष देशों में शामिल करती हैं.
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