'अब इनका टेंटुआ दबाने की ज़रूरत', गुस्से से लाल हो गए पुतिन; ट्रंप के 'पागल' कहने के बाद अब होगा आर या पार?

    जो डोनाल्ड ट्रंप रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के लिए मध्यस्थता की कोशिश कर रहे थे, अब वही अमेरिकी राष्ट्रपति खुलकर पुतिन के खिलाफ मोर्चा खोलते नजर आ रहे हैं.

    Putin angry on America Trump
    पुतिन | Photo: X

    नई दिल्ली: कुछ हफ्तों पहले तक जो डोनाल्ड ट्रंप रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के लिए मध्यस्थता की कोशिश कर रहे थे, अब वही अमेरिकी राष्ट्रपति खुलकर पुतिन के खिलाफ मोर्चा खोलते नजर आ रहे हैं. बीते कुछ दिनों में दोनों नेताओं के बयानों में जिस तरह की तल्खी आई है, उसने साफ कर दिया है कि अब शांति वार्ता का रास्ता लगभग बंद हो चुका है. युद्ध के मैदान में तोपें गरज रही हैं और बयानबाज़ी की जंग भी उतनी ही तेज हो चुकी है.

    ट्रंप ने दिखाई सख्ती, प्रतिबंध और सैन्य रणनीति में बदलाव की तैयारी

    डोनाल्ड ट्रंप अब पुतिन की ‘जिद’ से इतने नाराज़ हैं कि रूस पर नए, कड़े प्रतिबंध लगाने की तैयारी में हैं. साथ ही, वह यूक्रेन को अमेरिका और पश्चिमी देशों द्वारा दिए गए हथियारों के उपयोग पर लगी सीमाएं हटाने पर भी विचार कर रहे हैं. यानी अब यूक्रेन को रूस के भीतर गहराई तक हमले करने की छूट मिल सकती है.

    ट्रंप की धमकी या रणनीतिक दांव?

    'वॉल स्ट्रीट जर्नल' की रिपोर्ट के मुताबिक ट्रंप इस बार कोई ढील देने के मूड में नहीं हैं. लेकिन विशेषज्ञों की राय बंटी हुई है—कुछ इसे ट्रंप की राजनीतिक चाल मान रहे हैं, तो कुछ इसे नई रणनीति की शुरुआत बता रहे हैं. अब तक ट्रंप ने पुतिन पर खुलकर दबाव नहीं बनाया था, बल्कि कई बार उन्होंने यूक्रेनी नेतृत्व को ही कठघरे में खड़ा किया था.

    पुतिन का जवाब: अब डिजिटल जंग भी तय

    रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी पीछे हटने वालों में नहीं हैं. उन्होंने अमेरिका की बड़ी टेक कंपनियों जैसे Microsoft और Zoom पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी है. पुतिन ने कहा है कि रूस को अब घरेलू तकनीक पर निर्भर रहना होगा और विदेशी कंपनियों का ‘गला घोंटना’ ज़रूरी हो गया है. यह बयान तब आया जब ट्रंप ने पुतिन को ‘पागल’ (crazy) कहा.

    युद्ध की नई तस्वीर: अब सीमा पार हमलों की तैयारी?

    अगर ट्रंप अपने इरादों पर अमल करते हैं और हथियारों पर लगी सीमाएं हटा दी जाती हैं, तो यूक्रेन के लिए यह एक बड़ा मोड़ होगा. इसका मतलब होगा कि यूक्रेनी सेना अब रूस की अंदरूनी सैन्य संरचनाओं—जैसे एयरबेस, कमांड सेंटर और सप्लाई चेन—को सीधे निशाना बना सकेगी.

    क्या कूटनीति पूरी तरह विफल हो चुकी है?

    ट्रंप की मध्यस्थता की रणनीति—जिसे 'शटल डिप्लोमेसी' कहा जा रहा था—अब तक कोई खास नतीजा नहीं दे पाई है. ऐसे में अगर अमेरिका न प्रतिबंध लगाता है और न ही हथियारों की सीमा हटाता है, तो यह उसकी रूस को लेकर पारंपरिक नीति के खिलाफ होगा. और अगर छूट दी जाती है, तो युद्ध का रुख पूरी तरह बदल सकता है.

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