नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय कूटनीति आमतौर पर औपचारिक बैठकों, बंद कमरों में होने वाली वार्ताओं और आधिकारिक प्रोटोकॉल तक सीमित मानी जाती है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैश्विक मंच पर रिश्ते बनाने का एक अलग ही अंदाज़ पेश किया है. इसे अक्सर ‘कार डिप्लोमेसी’ कहा जाता है, जहां विश्व के शीर्ष नेता औपचारिक काफिलों से हटकर, एक-दूसरे के साथ एक ही कार में यात्रा करते नजर आते हैं.
हाल के दिनों में यह शैली एक बार फिर चर्चा में आई, जब जॉर्डन के क्राउन प्रिंस अल हुसैन बिन अब्दुल्ला द्वितीय और इथियोपिया के प्रधानमंत्री अबी अहमद अली ने प्रधानमंत्री मोदी को व्यक्तिगत रूप से अपनी कार में साथ बिठाकर यात्रा कराई. कूटनीतिक दुनिया में इसे केवल शिष्टाचार नहीं, बल्कि आपसी विश्वास और व्यक्तिगत सहजता का संकेत माना जाता है.
क्या है ‘कार डिप्लोमेसी’?
कार डिप्लोमेसी का अर्थ है- जब दो राष्ट्राध्यक्ष या सरकार प्रमुख औपचारिक सुरक्षा घेरे और तयशुदा प्रोटोकॉल से हटकर, एक ही वाहन में साथ यात्रा करते हैं.
यह प्रतीकात्मक रूप से दर्शाता है कि:
जॉर्डन और इथियोपिया
हाल ही में जॉर्डन यात्रा के दौरान क्राउन प्रिंस अल हुसैन स्वयं प्रधानमंत्री मोदी को अपनी कार में लेकर जॉर्डन म्यूजियम तक पहुंचे. यह कदम पारंपरिक राजनयिक औपचारिकताओं से अलग था और दोनों देशों के बीच बढ़ते आपसी विश्वास को दर्शाता है.
इसी तरह, इथियोपिया के प्रधानमंत्री अबी अहमद अली ने प्रधानमंत्री मोदी का हवाई अड्डे पर खुद स्वागत किया और उन्हें होटल तक अपनी कार में ले गए. किसी राष्ट्राध्यक्ष द्वारा ऐसा करना यह दिखाता है कि द्विपक्षीय रिश्ते औपचारिकता से आगे बढ़कर व्यक्तिगत सम्मान और अपनत्व तक पहुंच चुके हैं.
पुतिन के साथ कार में बातचीत
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ प्रधानमंत्री मोदी की निकटता भी कार डिप्लोमेसी में दिखी है. एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान द्विपक्षीय वार्ता से पहले पीएम मोदी ने पुतिन की कार में उनके साथ यात्रा की.
रूस-भारत संबंधों में यह दृश्य संकेत देता है कि रणनीतिक साझेदारी के साथ-साथ नेताओं के बीच आपसी सहजता और संवाद की खुली परंपरा मौजूद है.
ओबामा की लिमोज़ीन में मोदी
साल 2014 में अमेरिका दौरे के दौरान तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा ने प्रधानमंत्री मोदी को अपनी प्रसिद्ध स्ट्रेच लिमोज़ीन में बैठाकर मार्टिन लूथर किंग जूनियर मेमोरियल तक ले गए थे.
करीब 10–12 मिनट की इस यात्रा के दौरान दोनों नेताओं के बीच अनौपचारिक बातचीत हुई, जिसे भारत-अमेरिका संबंधों में नई गर्मजोशी की शुरुआत के रूप में देखा गया.
शिंजो आबे के साथ दोस्ती की सवारी
प्रधानमंत्री मोदी और जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की दोस्ती अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक खास उदाहरण मानी जाती है. साल 2017 में गुजरात के अहमदाबाद में दोनों नेताओं ने एक साथ मारुति सुजुकी जिप्सी में करीब 8 किलोमीटर लंबा रोड शो किया. यह दृश्य न केवल कूटनीतिक, बल्कि भावनात्मक स्तर पर भी दोनों देशों की मित्रता को दर्शाता था.
इसके अलावा, जापान में प्रधानमंत्री मोदी को बुलेट ट्रेन चलाते हुए भी देखा गया, जहां शिंजो आबे उनके साथ मौजूद थे, यह आपसी भरोसे और साझेदारी का एक दुर्लभ प्रतीक था.
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