नई दिल्ली: भारत अब ऐप्पल के लिए एक महत्वपूर्ण असेंबली और निर्यात केंद्र के रूप में उभर रहा है. हाल ही में मिली जानकारी के अनुसार, नवंबर 2025 में भारत से कुल 2 बिलियन डॉलर मूल्य के आईफोन का निर्यात किया गया, जो किसी एक महीने में किए गए सबसे बड़े आईफोन निर्यात का रिकॉर्ड है.
सिर्फ़ पिछले वित्त वर्ष के आठ महीनों में ही, यानी अप्रैल से नवंबर तक, ऐप्पल ने भारत से लगभग 14 बिलियन डॉलर मूल्य के आईफोन विदेशी बाजारों में भेजे. यह आंकड़ा दर्शाता है कि भारत अब ऐप्पल के लिए चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा उत्पादन और निर्यात केंद्र बन चुका है.
भारत से स्मार्टफोन निर्यात में ऐप्पल की भूमिका
बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, नवंबर 2025 में भारत से कुल 2.7 बिलियन डॉलर मूल्य के स्मार्टफोन का निर्यात हुआ, जिसमें लगभग 75 प्रतिशत हिस्सेदारी ऐप्पल की थी.
ऐप्पल ने भारत में अपने असेंबली नेटवर्क का विस्तार किया है. पहले कंपनी तमिलनाडु और कर्नाटक में कुल तीन प्लांट्स में आईफोन असेंबल करती थी. लेकिन हाल ही में उसने इन राज्यों में दो और फैक्ट्रियां स्थापित की हैं. इनमें से तीन फैक्ट्रियां टाटा समूह के स्वामित्व में हैं, जबकि दो का संचालन फॉक्सकॉन कर रही है.
इस विस्तार का मुख्य उद्देश्य उत्पादन क्षमता बढ़ाना और अमेरिका समेत अन्य विदेशी बाजारों के लिए निर्यात को और तेज़ करना है.
अमेरिका के लिए भारत से उत्पादन
ऐप्पल का रणनीतिक लक्ष्य है कि आने वाले साल के अंत तक अमेरिका में बिकने वाले अधिकांश आईफोन भारत में ही असेंबल किए जाएं. इसका मुख्य कारण अमेरिका द्वारा चीन पर लगाए गए उच्च आयात शुल्क (टैरिफ) हैं.
अमेरिका ने चीन से बने आईफोन पर 100 प्रतिशत टैरिफ लागू किया है, जबकि भारत से आने वाले आईफोन पर यह दर केवल 26 प्रतिशत है. इससे भारत से निर्यात करना चीन के मुकाबले ऐप्पल के लिए अधिक लाभकारी और सस्ता हो गया है.
इस बदलाव के साथ ही अमेरिका की ओर निर्यात के लिए भारत का महत्व और बढ़ गया है, और यह रणनीतिक रूप से भी ऐप्पल के लिए चीन पर निर्भरता कम करने का अवसर है.
भारत में चिप असेंबलिंग पर भी जोर
आईफोन के अलावा, ऐप्पल भारत में चिप असेंबलिंग का काम भी शुरू करना चाहती है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कंपनी ने आईफोन की डिस्प्ले चिप की असेंबलिंग के लिए स्थानीय भारतीय कंपनियों के साथ बातचीत शुरू कर दी है.
इस कदम का उद्देश्य न केवल उत्पादन लागत कम करना है, बल्कि भारत को वैश्विक सप्लाई चेन में एक मजबूत आधार के रूप में स्थापित करना भी है.
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