पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में मई 2025 की एक दोपहर, दो जिंदगियों को सिर्फ इसलिए मिटा दिया गया क्योंकि उन्होंने प्यार किया था. बानो बीबी और अहसान उल्लाह ने समाज की पुरानी, जड़ हो चुकी परंपराओं को चुनौती दी और अपनी मर्जी से शादी की. लेकिन उन्हें इसकी कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ी.
क्वेटा के पास एक सुनसान पहाड़ी इलाके में, जहां एक ओर बानो के हाथ में कुरान था, दूसरी ओर उसका सिर निशाना बना एक बंदूक. और फिर कुछ ही सेकंड में गोलियों की गूंज ने वो सब खत्म कर दिया, जिसे दोनों ने मिलकर बस शुरू किया था — एक साझा ज़िंदगी का सपना.
"मेरे साथ सात कदम चलो, फिर गोली मार देना"
वीडियो में बानो बीबी की ये बात अब सिर्फ एक वाक्य नहीं, एक चीख बन चुकी है. सिर पर शॉल ओढ़े, रेगिस्तानी रास्ते पर चलते हुए उन्होंने अपने कातिल से ये शब्द कहे — मानो आखिरी इच्छा हो. पीछे खड़ा एक व्यक्ति बानो की बात को इजाजत समझता है और ताबड़तोड़ गोलियां चला देता है. तीसरी गोली के बाद बानो ज़मीन पर गिर पड़ती हैं. चंद ही पल बाद अहसान उल्लाह को भी गोलियों से छलनी कर दिया जाता है.
चारों तरफ खड़ी भीड़ बस देखती रही. किसी ने रोका नहीं, किसी ने टोका नहीं. कबीलाई "इज्जत" के नाम पर दो ज़िंदगियां पल भर में खत्म कर दी गईं.
कबीलाई जिरगा ने सुनाई ‘काला-कारी’ की सज़ा
इस घटना के पीछे एक पूरा तंत्र था — डरावना, दबंग, और पितृसत्तात्मक. बानो बीबी के भाई ने सरदार शेरबाज सतकजई से शिकायत की कि उनकी बहन ने अपनी मर्जी से शादी कर ली है. इसके बाद जिरगा ने बानो और अहसान को 'काला-कारी' यानी अनैतिक संबंधों का दोषी ठहराकर मौत की सज़ा सुना दी.
पुलिस ने इस मामले में अब तक 13 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें सरदार सतकजई और बानो का भाई भी शामिल हैं. बलूचिस्तान के मुख्यमंत्री सरफराज बुगती ने इस मामले पर सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है, लेकिन ज़मीन पर हकीकत अब भी वही है — जहां प्यार करना गुनाह है और इज्जत की परिभाषा अब भी खून से लिखी जाती है.
पाकिस्तान की खोखली न्याय प्रणाली और महिलाओं की चीख
2024 में पाकिस्तान में कम से कम 405 ऑनर किलिंग के केस दर्ज हुए. यह आंकड़ा ह्यूमन राइट्स कमीशन ऑफ पाकिस्तान (HRCP) का है. लेकिन अधिकार कार्यकर्ताओं की मानें, तो ये असली संख्या का एक छोटा हिस्सा मात्र है. बानो बीबी की कहानी सिर्फ एक हत्या की दास्तान नहीं, बल्कि उस सामाजिक व्यवस्था पर सवाल है जो अब भी इंसान को उसकी मर्जी से जीने नहीं देती.
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