राष्ट्रपति मुर्मू ने नए आयकर विधेयक को दी मंजूरी, 1 अप्रैल 2026 से लागू होगा कानून, जानें क्या बदलेगा

    भारत में कर सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आयकर अधिनियम, 2025 को मंजूरी दे दी है.

    President Murmu gave assent to the new Income Tax Bill
    प्रतिकात्मक तस्वीर/ ANI

    नई दिल्ली: भारत में कर सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आयकर अधिनियम, 2025 को मंजूरी दे दी है. यह नया कानून वर्ष 2026 की 1 अप्रैल से पूरे देश में प्रभावी हो जाएगा और आयकर अधिनियम, 1961 की जगह लेगा, जो अब तक देश की कर व्यवस्था का मुख्य आधार रहा है.

    इस ऐतिहासिक फैसले का उद्देश्य है देश के आयकर कानूनों को आधुनिक, सरल और नागरिकों के अनुकूल बनाना, ताकि आम करदाता से लेकर व्यवसायिक संस्थान तक सभी के लिए अनुपालन आसान हो सके.

    नए आयकर कानून की अहम विशेषताएं

    • आधिकारिक स्वीकृति: 21 अगस्त 2025 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिली.
    • लागू होने की तिथि: 1 अप्रैल 2026 से प्रभावी होगा.
    • पुराने कानून का स्थान: यह नया कानून 1961 के कानून की जगह लेगा.
    • कोई नई टैक्स दर नहीं: केवल ढांचा बदला गया है, कर दरें वैसी ही रहेंगी.
    • भाषा और स्वरूप में बदलाव: कानून की भाषा को सरल किया गया है, जिससे आम लोग और नए करदाता भी इसे आसानी से समझ सकें.

    इसका सीधा अर्थ है कि कर कानून का आकार लगभग आधा कर दिया गया है, जिससे न केवल इसे पढ़ना आसान हुआ है बल्कि अनुपालन में भी पारदर्शिता आई है.

    क्यों जरूरी था नया आयकर कानून?

    भारत में वर्तमान आयकर कानून 1961 से लागू है. समय के साथ उसमें सैकड़ों संशोधन होते रहे, जिससे वह जटिल और तकनीकी बन गया. इसके कई प्रावधान पुराने संदर्भों पर आधारित थे, जो आज के डिजिटल और वैश्विक अर्थव्यवस्था में प्रासंगिक नहीं रह गए थे.

    मुख्य चुनौतियाँ थीं:

    • भाषा की जटिलता
    • एक ही बात को कई बार दोहराना
    • आधुनिक आर्थिक गतिविधियों की स्पष्ट परिभाषा का अभाव
    • अनुपालन बोझ
    • देरी से रिटर्न फाइल करने वालों के लिए सख्त दंड

    नया कानून क्या-क्या आसान बनाता है?

    • 'आय वर्ष' और 'पिछला वर्ष' की जगह आया 'कर वर्ष'
    • पुराने कानून में 'Previous Year' और 'Assessment Year' की अवधारणाएं कई लोगों के लिए भ्रमित करने वाली थीं. अब इसे 'Tax Year' कहा जाएगा, जिससे समझना सरल होगा.

    देरी से दाखिल रिटर्न पर राहत

    अब अगर आपने आयकर रिटर्न तय समय सीमा के बाद दाखिल किया है, तब भी आप रिफंड का दावा कर सकते हैं पहले ये अनुमति नहीं थी.

    टीडीएस और छूटों का सरलीकरण

    जटिल प्रक्रियाओं को एकीकृत कर सरल किया गया है, ताकि करदाता टीडीएस और छूट के नियमों को ठीक से समझ सकें.

    • एलआरएस (विदेश में पढ़ाई के लिए भेजे गए फंड) पर शून्य टीसीएस
    • अब शिक्षा के उद्देश्य से विदेश भेजे जाने वाले धन पर कोई टैक्स कलेक्टेड एट सोर्स (TCS) नहीं लगेगा.

    प्रवर समिति की भूमिका

    वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फरवरी 2025 में यह विधेयक लोकसभा में पेश किया था. इसके बाद इसे प्रवर समिति (Select Committee) को भेजा गया, जिसने कई सिफारिशें कीं. सरकार ने इनमें से अधिकांश सुझाव स्वीकार किए, जिससे यह कानून और अधिक व्यावहारिक, आधुनिक और हितधारक केंद्रित बन गया.

    विपक्ष का विरोध और बिल का पारित होना

    जब यह संशोधित बिल लोकसभा में 12 अगस्त को पेश किया गया, उस समय बिहार की मतदाता सूची में कथित गड़बड़ियों को लेकर विपक्षी सांसदों ने जोरदार विरोध किया. इसके बावजूद, बिल ध्वनिमत से पारित हो गया और अब राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के साथ ही यह कानून का रूप ले चुका है.

    करदाताओं के लिए क्या बदलेगा?

    • अब टैक्स नियमों की भाषा सरल होगी, जिससे उन्हें किसी विशेषज्ञ पर पूरी तरह निर्भर नहीं रहना पड़ेगा.
    • विलंब से रिटर्न फाइल करने पर भी राहत मिल सकेगी.
    • व्यवसायिक संस्थानों के लिए लाभांश कटौती और हानियों को आगे ले जाने के प्रावधान और पारदर्शी बनाए गए हैं.
    • लघु और मध्यम उद्योगों की परिभाषाएं भी संबंधित कानूनों के अनुरूप कर दी गई हैं.

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