प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जापान दौरा तकनीकी साझेदारी के नए आयाम गढ़ रहा है. शनिवार को अपने दौरे के दूसरे दिन उन्होंने जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा के साथ टोक्यो से सेंडाई तक हाई-स्पीड बुलेट ट्रेन में यात्रा की. यह न सिर्फ एक प्रतीकात्मक यात्रा थी, बल्कि भारत-जापान के बीच तकनीकी सहयोग को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम भी.
मोदी ने जापान की अत्याधुनिक बुलेट ट्रेन ALFA-X का अवलोकन किया, जो विश्व की सबसे तेज़ ट्रेनों में से एक मानी जाती है. JR ईस्ट के चेयरमैन ने उन्हें इस ट्रेन की क्षमताओं, सुरक्षा तकनीकों और ऊर्जा दक्षता के बारे में विस्तार से जानकारी दी.गौरतलब है कि भारत में अहमदाबाद-मुंबई हाई-स्पीड रेल प्रोजेक्ट पर काम जारी है, जिसमें जापान की तकनीक और विशेषज्ञता का अहम योगदान है. मोदी ने इस यात्रा के दौरान उन भारतीय ड्राइवरों और ऑपरेटरों से भी मुलाकात की जो जापान में ट्रेनिंग प्राप्त कर रहे हैं.
जापान के प्रधानमंत्री के साथ मजबूत संवाद
प्रधानमंत्री इशिबा ने सोशल मीडिया पर इस यात्रा की तस्वीरें साझा करते हुए लिखा कि उन्होंने ALFA-X के अनुभव को पीएम मोदी के साथ साझा किया और यह दोनों देशों की "गहरी दोस्ती और तकनीकी एकजुटता" का प्रतीक है.
राज्यस्तरीय साझेदारी पर ज़ोर
इस दौरे के दौरान मोदी ने जापान के 16 प्रान्तों के राज्यपालों से भी टोक्यो में मुलाकात की. उन्होंने ज़ोर दिया कि भारत-जापान का सहयोग सिर्फ सरकारों तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि राज्यों और प्रान्तों के स्तर पर भी इसे बढ़ाया जाना चाहिए. उन्होंने स्टार्टअप्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, टेक्नोलॉजी और उद्यमिता जैसे क्षेत्रों में साझा प्रयासों की संभावनाएं उजागर कीं.
इंडो-पैसिफिक में साझेदारी की भूमिका
अपने वक्तव्य में मोदी ने दोहराया कि भारत और जापान दोनों ही इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए प्रतिबद्ध हैं. उन्होंने कहा कि आने वाला समय टेक्नोलॉजी, इनोवेशन और वैश्विक सहयोग का है, और भारत-जापान की भागीदारी इसमें निर्णायक भूमिका निभा सकती है.
अगला पड़ाव: चीन और वैश्विक रणनीति
जापान यात्रा के बाद प्रधानमंत्री मोदी तियानजिन (चीन) के लिए रवाना होंगे, जहां वे शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे. वहां उनकी मुलाकात चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अन्य वैश्विक नेताओं से होने की संभावना है.यह दौरा भारत की विदेश नीति और तकनीकी उन्नति, दोनों ही दृष्टिकोणों से बेहद अहम माना जा रहा है.
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