नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस 2025 के अपने संबोधन में गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) को लेकर कई अहम घोषणाएं कीं. उन्होंने इशारा किया कि आने वाले दिनों में टैक्स सिस्टम को और ज्यादा सरल, पारदर्शी और जन-हितैषी बनाने के लिए बड़े स्तर पर बदलाव किए जाएंगे. सरकार की योजना दीवाली से पहले इन सुधारों को लागू करने की है.
देश में 1 जुलाई 2017 को GST लागू हुआ था, जो भारत के टैक्स सिस्टम को एकरूप और डिजिटल बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम था. अब जब इसे आठ साल हो चुके हैं, तो सरकार इसे अगले चरण में ले जाने की तैयारी में है. प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात को दोहराया कि यह समय टैक्स व्यवस्था को और ज़्यादा जनता के अनुकूल और विकासोन्मुखी बनाने का है.
इस उद्देश्य के लिए एक विशेष समिति गठित की गई है, जिसने राज्यों से चर्चा के बाद एक नई नीति का खाका तैयार किया है. इस प्रस्ताव को मंत्रियों के समूह (GoM) के साथ साझा किया गया है और जल्द ही GST काउंसिल की बैठक में इस पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा.
GST में होने वाले तीन प्रमुख सुधार
सरकार ने GST में बदलाव के लिए तीन मुख्य स्तंभ निर्धारित किए हैं:
1. संरचनात्मक सुधार (Structural Reforms)
GST लागू होने के बाद कई सेक्टरों में टैक्स की दरें और कैटेगरी कुछ जटिल या भ्रमित करने वाली रही हैं. अब इन त्रुटियों को सुधारने पर फोकस किया जा रहा है.
कई वस्तुओं और सेवाओं की टैक्स कैटेगरी को फिर से वर्गीकृत किया जाएगा, ताकि दरों में पारदर्शिता और स्पष्टता हो.
टैक्स के कैलकुलेशन में आसानी आएगी, जिससे व्यापारी और कारोबारी वर्ग को अनुपालन (compliance) में सहूलियत मिलेगी.
टैक्स विवादों में भी कमी आएगी क्योंकि नियम अधिक स्पष्ट होंगे.
2. टैक्स दरों का पुनर्गठन (Rationalization of Tax Rates)
GST की दरों को कम और सरल बनाना सरकार की प्राथमिकता है.
वर्तमान में GST के चार मुख्य स्लैब (5%, 12%, 18% और 28%) हैं. इन स्लैब्स को घटाकर दो प्रमुख स्लैब बनाए जाने का प्रस्ताव है "स्टैंडर्ड रेट" और "मेरिट रेट".
इस बदलाव से आम जरूरतों की चीजें जैसे खाने-पीने का सामान, दवाइयां, और अन्य जरूरी वस्तुएं सस्ती हो सकती हैं.
महंगे उत्पादों और लक्जरी आइटम्स पर ही विशेष टैक्स दरें बनी रहेंगी.
3. जीवन को आसान बनाना (Ease of Living & Doing Business)
इस स्तंभ का उद्देश्य आम नागरिकों और उद्यमियों दोनों की टैक्स प्रणाली से जुड़ी परेशानियों को कम करना है.
स्टार्टअप्स और छोटे कारोबारों के लिए GST रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को और अधिक सरल और डिजिटल बनाया जाएगा.
प्री-फिल्ड रिटर्न की सुविधा लागू की जाएगी, जिससे टैक्स रिटर्न भरते समय गलतियों की संभावना घटेगी.
GST रिफंड की प्रक्रिया को तेज और पारदर्शी बनाया जाएगा, खासकर निर्यातकों और इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) अधिक होने वालों के लिए.
सुधारों से आम आदमी और उद्योग जगत को होंगे ये बड़े फायदे
इन सुधारों से समाज के हर वर्ग को लाभ होगा, चाहे वो आम उपभोक्ता हो या उद्योग जगत. आइए, जानें कैसे:
महंगाई पर लगेगी लगाम
टैक्स दरों में कटौती से रोजमर्रा की चीजें सस्ती हो सकती हैं.
खाने-पीने की वस्तुओं, दवाओं और अन्य उपभोग्य वस्तुओं पर टैक्स कम होने से सीधे तौर पर आम आदमी की जेब पर असर पड़ेगा.
छोटे और मझोले कारोबारियों को राहत
MSMEs को टैक्स क्रेडिट के जटिल नियमों से राहत मिलेगी.
पंजीकरण और टैक्स रिटर्न भरने की प्रक्रिया आसान होगी, जिससे नए स्टार्टअप्स को आगे बढ़ने में मदद मिलेगी.
उद्योगों को मिलेगा स्थायित्व
टैक्स सिस्टम में स्थिरता और पारदर्शिता आएगी, जिससे कंपनियां दीर्घकालिक योजना बना सकेंगी.
टैक्स विवादों की संख्या घटने से कानूनी खर्च भी कम होगा.
निर्यात को मिलेगा बढ़ावा
फास्ट-ट्रैक रिफंड प्रक्रिया से एक्सपोर्टर्स को समय पर फंड्स मिलेंगे, जिससे उनके कैश फ्लो में सुधार होगा.
आगे क्या है सरकार की योजना?
सरकार का उद्देश्य है कि GST को एक ऐसा टैक्स सिस्टम बनाया जाए जो सरल, स्थिर और भरोसेमंद हो. इन सुधारों के लागू होने के बाद:
भारत को "ईज ऑफ डूइंग बिजनेस" में वैश्विक स्तर पर बेहतर रैंक मिलेगी.
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