नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज देश को संबोधित करते हुए कई महत्वपूर्ण घोषणाएं कीं, जिनका मुख्य उद्देश्य आत्मनिर्भर भारत की दिशा में आम जनमानस को प्रेरित करना था. अपने लगभग 20 मिनट के भाषण में उन्होंने देशवासियों से आग्रह किया कि वे ऐसे उत्पादों की खरीदारी करें जो भारत में बनाए गए हों, और जिनके निर्माण में भारतीयों की मेहनत और पसीना शामिल हो.
प्रधानमंत्री ने ऐलान किया कि 22 सितंबर को सूर्योदय के साथ ही 'जीएसटी बचत उत्सव' की शुरुआत होगी. यह उत्सव केवल एक सरकारी योजना नहीं, बल्कि आम जनता को राहत पहुंचाने और बाजार में घरेलू उत्पादों को बढ़ावा देने की दिशा में एक निर्णायक कदम है. इस पहल के माध्यम से उपभोक्ताओं को ज्यादा बचत का लाभ मिलेगा और उन्हें अपनी ज़रूरत की चीजें सस्ती दरों पर मिल सकेंगी.
प्रधानमंत्री ने बताया कि जीएसटी के नए स्वरूप को "नेक्स्ट जनरेशन जीएसटी" के रूप में पेश किया जा रहा है, जो व्यापार को सरल बनाएगा, कराधान प्रणाली को पारदर्शी बनाएगा और आम लोगों के लिए आर्थिक राहत लेकर आएगा.
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में नया कदम
अपने संबोधन की शुरुआत में प्रधानमंत्री ने नवरात्रि की शुभकामनाएं दीं और कहा कि यह पर्व नए संकल्प लेने और आत्मचिंतन का समय होता है. उन्होंने कहा कि इस बार नवरात्रि देश के लिए भी एक नई शुरुआत लेकर आ रही है, आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ने का नया अध्याय.
उन्होंने जोर देते हुए कहा, "हमें वही खरीदना चाहिए जिसमें देश का पसीना लगा हो." इस वाक्य के माध्यम से उन्होंने यह स्पष्ट संदेश दिया कि अब समय आ गया है कि देशवासी विदेशी उत्पादों पर निर्भरता कम करें और मेड इन इंडिया उत्पादों को प्राथमिकता दें.
GST सुधार: कारोबार को मिलेगा नया जीवन
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में बताया कि जीएसटी में किए गए हालिया सुधारों से देशभर के व्यापारी वर्ग को बड़ी राहत मिलेगी. उन्होंने कहा कि अब अधिकांश रोजमर्रा के सामानों पर या तो 0% कर लगेगा या केवल 5%.
उन्होंने विशेष रूप से इस बात पर जोर दिया कि जिन उत्पादों पर पहले 12% टैक्स लगता था, उनमें से 99% अब 5% की दर में आ चुके हैं. इस कदम से उपभोक्ताओं को बड़ी राहत मिलेगी और बाजार में मांग भी बढ़ेगी.
उन्होंने बताया कि अब देश में सिर्फ दो प्रमुख टैक्स स्लैब - 5% और 18% रहेंगे, जिससे कर प्रणाली और भी सरल और प्रभावी बन जाएगी.
GST लागू होने से पहले क्या थे हालात?
प्रधानमंत्री ने याद दिलाया कि जीएसटी लागू होने से पहले देश में टैक्स का ढांचा बेहद जटिल और अव्यवस्थित था. अलग-अलग राज्यों के अपने टैक्स नियम होते थे, जिससे एक राज्य से दूसरे राज्य में माल ले जाना अत्यंत कठिन था. चेक पोस्ट पर घंटों इंतजार करना पड़ता था, जिससे समय और धन दोनों की बर्बादी होती थी.
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— Narendra Modi (@narendramodi) September 21, 2025
उन्होंने एक उदाहरण देते हुए बताया कि 2014 से पहले एक विदेशी अखबार में छपा था कि एक कंपनी के लिए बेंगलुरु से हैदराबाद सामान भेजना इतना मुश्किल था कि उसे यूरोप के रास्ते सामान भेजना आसान लगता था. उन्होंने कहा कि उस समय टैक्स का बोझ अंततः आम जनता पर पड़ता था.
2014 के बाद हुए परिवर्तन
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 2014 में सत्ता संभालने के बाद उनकी सरकार ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया और जीएसटी जैसे व्यापक सुधार को लागू करने के लिए राज्यों और विभिन्न हितधारकों से संवाद किया. इसी का परिणाम है कि आज देश में "वन नेशन, वन टैक्स" का सपना साकार हो पाया है.
उन्होंने कहा, "रिफॉर्म कोई एक दिन की प्रक्रिया नहीं होती. समय के साथ, आवश्यकताओं को देखते हुए बदलाव जरूरी होते हैं. यही हमारी सरकार ने किया है."
25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर देश की सामाजिक-आर्थिक प्रगति की भी चर्चा की. उन्होंने बताया कि पिछले 11 वर्षों में लगभग 25 करोड़ लोग गरीबी रेखा से ऊपर आए हैं, जो अब न्यू मिडिल क्लास का हिस्सा बन चुके हैं.
उन्होंने याद दिलाया कि सरकार ने हाल ही में 12 लाख रुपए तक की सालाना आय पर इनकम टैक्स छूट देकर मध्यम वर्ग को बड़ी राहत दी है. इसका सीधा लाभ आम नागरिकों को मिलेगा और उनकी क्रय शक्ति बढ़ेगी.
MSME को होगा दोहरा लाभ
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जीएसटी दरों में कमी और प्रक्रियाओं में सहजता से MSME (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) क्षेत्र को खासा लाभ होगा. कम टैक्स, आसान नियम और बढ़ती मांग से उनके कारोबार में वृद्धि होगी. इससे देश के उत्पादन क्षेत्र को नई ऊर्जा मिलेगी.
उन्होंने कहा कि जब भारत दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शिखर पर था, तब MSME ही उसकी रीढ़ हुआ करता था. आज भी उसी गौरव को पुनः प्राप्त करने का समय आ गया है.
स्वदेशी से ही समृद्धि
प्रधानमंत्री ने स्वदेशी को लेकर गहरी बात कही, "जिस तरह आजादी की लड़ाई में स्वदेशी ने हमें ताकत दी, वैसे ही अब देश की समृद्धि भी स्वदेशी से ही आएगी." उन्होंने कहा कि हमें रोजमर्रा के उपयोग की वस्तुओं में भी विदेशी उत्पादों की जगह देश में निर्मित वस्तुओं को अपनाना चाहिए.
उन्होंने आव्हान किया कि, "हर घर को स्वदेशी का प्रतीक बनाएं, हर दुकान को स्वदेशी से सजाएं. गर्व से कहें यह स्वदेशी है. मैं स्वदेशी खरीदता हूं और बेचता हूं."
राज्य सरकारों को भी दी गई जिम्मेदारी
प्रधानमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि आत्मनिर्भर भारत का सपना तभी पूरा हो सकता है जब केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर कार्य करें. उन्होंने राज्य सरकारों से अपील की कि वे मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा दें, निवेश के लिए अनुकूल माहौल तैयार करें और स्वदेशी आंदोलन को गति दें.
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