Pawan Singh Join BJP: भोजपुरी फिल्मों के सुपरस्टार और अब राजनीति के चर्चित चेहरा बन चुके पवन सिंह एक बार फिर सुर्ख़ियों में हैं. इस बार वजह है उनकी आरा में पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता आर.के. सिंह से मुलाकात. खुद पवन सिंह ने इस मुलाकात की तस्वीर अपने सोशल मीडिया पर साझा की, जिसमें उन्होंने लिखा, “एक नई सोच के साथ, एक नई मुलाकात.”
इस एक वाक्य और तस्वीर ने बिहार की राजनीतिक फिज़ा में नई चर्चाओं को जन्म दे दिया है.
क्या पवन सिंह बदलने वाले हैं बिहार की राजनीति का समीकरण?
राजनीति के गलियारों में हलचल मच चुकी है. विश्लेषक मानते हैं कि यह मुलाकात सिर्फ एक शिष्टाचार नहीं, बल्कि आगामी रणनीति का संकेत है. शाहाबाद में पवन सिंह के प्रभाव ने इस लोकसभा चुनाव में एनडीए की रणनीति की नींव हिला दी थी. चार लोकसभा सीटें आरा, बक्सर, सासाराम और काराकाट, जहां एनडीए खाता तक नहीं खोल सका, वहां पवन सिंह की सियासी मौजूदगी साफ दिखी.
आरा सीट से खुद आर.के. सिंह चुनाव लड़े थे, जबकि पवन सिंह निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में काराकाट से मैदान में उतरे थे. दिलचस्प बात यह है कि एक समय भाजपा से निष्कासित किए गए पवन सिंह अब उसी पार्टी के वरिष्ठ नेता से मुलाकात कर रहे हैं.
राजपूत वोट बैंक और युवा शक्ति बना पवन सिंह का आधार
पवन सिंह की छवि सिर्फ एक फिल्मी स्टार की नहीं रही, अब वे एक प्रभावशाली जननेता के रूप में उभर चुके हैं. काराकाट में उनका दमदार प्रदर्शन, और आसपास के क्षेत्रों पर उसका असर, इस बात का सबूत है कि वे केवल अपनी सीट नहीं, बल्कि पूरे इलाके की राजनीति को प्रभावित करने की ताकत रखते हैं.
भाजपा द्वारा उन्हें बाहर निकालने का फैसला राजपूत समाज को नागवार गुजरा. नतीजा यह हुआ कि इस समाज का बड़ा हिस्सा भाजपा से खफा हो गया. पवन सिंह के समर्थन में युवाओं और राजपूत मतदाताओं का जुड़ाव, एनडीए के लिए भारी पड़ा.
क्या पवन सिंह किसी दल से जुड़ेंगे या बनाएंगे नई राह?
अब सबसे बड़ा सवाल यही है, क्या पवन सिंह किसी बड़े राजनीतिक दल से हाथ मिलाएंगे, या अपनी स्वतंत्र राजनीतिक धारा को और मजबूती देंगे? आर.के. सिंह के साथ यह हालिया मुलाकात महज शुरुआत हो सकती है. यह एक संकेत है कि पवन सिंह सियासत में लंबी पारी खेलने की तैयारी कर चुके हैं.
भोजपुर से लेकर पटना तक यह चर्चा जोरों पर है कि पवन सिंह की अगली चाल क्या होगी. एक ओर एनडीए उनके प्रभाव को भुला नहीं पा रहा, वहीं दूसरी ओर विपक्ष भी उन्हें अपने समीकरणों में शामिल करने की कोशिश में लगा है.
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