पैसा उधार लेकर शहबाज घूम रहे शहर-शहर, भारत से बचाने की लगा रहे गुहार!

    भारत द्वारा शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान की हालत बदहवास नजर आ रही है. कूटनीतिक और सामरिक मोर्चों पर भारत से मिले झटकों के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ अब वैश्विक दौरे पर निकल पड़े हैं.

    Pakistan PM reach azerbaijan from india operation sindoor
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    भारत द्वारा शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान की हालत बदहवास नजर आ रही है. कूटनीतिक और सामरिक मोर्चों पर भारत से मिले झटकों के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ अब वैश्विक दौरे पर निकल पड़े हैं, जहां वे मुस्लिम देशों का समर्थन पाने की कोशिश कर रहे हैं. भारत की सख्त रणनीति के आगे कमजोर पड़ता पाकिस्तान अब कश्मीर से लेकर आतंकवाद तक सभी मुद्दों को बातचीत के जरिए सुलझाना चाहता है.

    अजरबैजान में डाले डेरा, तिकड़ी बनाने की कवायद

    शरीफ हाल ही में तुर्किये और ईरान का दौरा कर चुके हैं और अब वे अजरबैजान पहुंचे हैं. वहां वे राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव से द्विपक्षीय वार्ता करेंगे. दिलचस्प बात यह है कि अजरबैजान ने हाल के घटनाक्रमों में पाकिस्तान का खुलकर समर्थन किया है. इतना ही नहीं, अजरबैजान में जल्द ही तीन देशों की त्रिपक्षीय बैठक होने जा रही है, जिसमें पाकिस्तान, अजरबैजान और तुर्किये शामिल होंगे. इस बैठक को एक नया रणनीतिक मोर्चा तैयार करने की दिशा में अहम माना जा रहा है.

    मुस्लिम देशों के बीच नेतृत्व की होड़

    इस समय तुर्किये के राष्ट्रपति रेचप तैयप एर्दोगन मुस्लिम दुनिया में खुद को एक निर्णायक नेता के रूप में स्थापित करना चाहते हैं. वहीं पाकिस्तान, अजरबैजान और ईरान के साथ गठजोड़ कर खुद को एक मजबूत रणनीतिक धुरी के रूप में प्रस्तुत करना चाह रहा है. इस त्रिकोणीय सहयोग के पीछे क्षेत्रीय ताकत बढ़ाने, कश्मीर मसले पर समर्थन जुटाने और भारत के दबाव से राहत पाने की रणनीति देखी जा रही है.

    अब केवल POK और आतंकवाद पर होगी बात

    भारत ने पहले ही साफ कर दिया है कि अब पाकिस्तान से कश्मीर विवाद नहीं, बल्कि केवल पाक अधिकृत कश्मीर (POK) की वापसी और आतंकवाद के मुद्दे पर ही कोई बातचीत होगी. हाल ही में ईरान में दिए एक बयान में खुद शहबाज शरीफ ने कहा था कि पाकिस्तान भारत के साथ कश्मीर, आतंकवाद और व्यापार जैसे मुद्दों को सुलझाना चाहता है. लेकिन भारत ने अपना रुख कड़ा रखते हुए यह स्पष्ट कर दिया है कि वह अब बातचीत की मेज पर केवल अपने एजेंडे के साथ ही बैठेगा.

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