पाकिस्तान कर रहा भारतीय मुसलमानों को भड़काने की कोशिश, फिर दिया बाबरी मस्जिद पर बयान, जानें क्या कहा

    पाकिस्तान ने 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराए जाने की घटना को लेकर एक बार फिर अपनी प्रतिक्रिया दी है.

    Pakistan is trying to provoke Indian Muslims on Babri Masjid
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    इस्लामाबाद: पाकिस्तान ने 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराए जाने की घटना को लेकर एक बार फिर अपनी प्रतिक्रिया दी है. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि यह घटना दुखद और अनावश्यक थी, और इस तरह की ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व की साइटों की रक्षा की जानी चाहिए थी.

    पाकिस्तान का यह बयान इस मामले में लगातार जारी नीति का हिस्सा माना जा रहा है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ताहिर अंद्राबी ने कहा कि बाबरी मस्जिद जैसी हेरिटेज साइट का नुकसान केवल भारत के मुस्लिम समुदाय के लिए नहीं, बल्कि पूरे विश्व के सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत के लिए चिंता का विषय है.

    विदेश मंत्रालय का बयान और प्राथमिकताएँ

    ताहिर अंद्राबी ने कहा कि पाकिस्तान का रुख हमेशा धार्मिक विरासत और पवित्र स्थलों की सुरक्षा को लेकर स्पष्ट रहा है. उन्होंने बताया कि बाबरी मस्जिद जैसे ऐतिहासिक स्थानों की सुरक्षा केवल स्थानीय सरकारों की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय की साझा जिम्मेदारी होनी चाहिए.

    उन्होंने कहा, "हमें सुनिश्चित करना चाहिए कि किसी भी धार्मिक स्थल या ऐतिहासिक स्थल को नुकसान पहुँचाने वाले कदम पारदर्शिता, न्याय और सम्मान के सिद्धांतों के तहत ही सुलझाए जाएँ."

    यह बयान पाकिस्तान की उस दृष्टिकोण की पुष्टि करता है जिसमें वे कहते रहे हैं कि धार्मिक स्थलों की सुरक्षा और संरक्षण एक वैश्विक जिम्मेदारी है.

    भारतीय मुसलमानों के बारे में पाकिस्तान की चिंता

    ताहिर अंद्राबी ने अपने बयान में भारत के मुस्लिम समुदाय के हालात पर भी टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि बाबरी मस्जिद गिराए जाने के बाद भारतीय मुसलमानों ने अलग-थलग और असुरक्षित महसूस किया. उनके मुताबिक, धार्मिक और सांस्कृतिक स्थलों के नुकसान से समुदाय की भावनात्मक स्थिति प्रभावित हुई है.

    उन्होंने कहा, "मुस्लिम समुदाय के धार्मिक अधिकारों और ऐतिहासिक विरासत को कमजोर करने वाले कदम केवल स्थानीय स्तर पर ही नहीं, बल्कि सामाजिक और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चिंता का विषय हैं."

    पाकिस्तान ने इस बयान में एक बार फिर यह दोहराया कि धार्मिक बराबरी, आपसी सम्मान और सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सभी देशों की जिम्मेदारी होनी चाहिए.

    संयुक्त राष्ट्र से अपील

    ताहिर अंद्राबी ने संयुक्त राष्ट्र सहित वैश्विक मंचों पर भी इस मुद्दे पर ध्यान आकर्षित करने की आवश्यकता पर जोर दिया. उनका कहना था कि दुनिया भर के देशों को मिलकर धार्मिक स्थलों और सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण के लिए मानक और नियम बनाने चाहिए.

    उनका यह भी कहना था कि यदि किसी धार्मिक या सांस्कृतिक स्थल को नुकसान पहुँचाया जाता है, तो यह केवल उस समुदाय की भावनाओं को ही नहीं चोट पहुँचाता, बल्कि आपसी सम्मान और सहअस्तित्व के सिद्धांतों को भी कमजोर करता है.

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