खिलौना समझ खेल रहे थे मासूम, अचानक हुआ ब्लास्ट; पाकिस्तान में आतंक का शिकार हो रहे बच्चे; हुई मौत

    पाकिस्तान के अशांत खैबर पख्तूनख्वा में एक दर्दनाक हादसे ने एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं—क्या आतंक की छाया में पल रहे इलाकों में बच्चों के लिए सुरक्षित बचपन मुमकिन है? लक्की मरवत ज़िले में रविवार को एक दिल दहला देने वाली घटना घटी, जब खेतों में खेल रहे बच्चों को एक पुराना मोर्टार शेल मिला.

    Pakistan blast in mortar shell 5 children died many injured
    Image Source: ANI

    पाकिस्तान के अशांत खैबर पख्तूनख्वा में एक दर्दनाक हादसे ने एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं—क्या आतंक की छाया में पल रहे इलाकों में बच्चों के लिए सुरक्षित बचपन मुमकिन है? लक्की मरवत ज़िले में रविवार को एक दिल दहला देने वाली घटना घटी, जब खेतों में खेल रहे बच्चों को एक पुराना मोर्टार शेल मिला. मासूमों ने उसे खिलौना समझ लिया और घर ले आए. खेल-खेल में ही वह मोर्टार फट गया, जिससे 5 बच्चों की मौके पर ही मौत हो गई और 13 अन्य लोग घायल हो गए.


    स्थानीय सूत्रों के अनुसार, बच्चों को यह विस्फोटक पदार्थ खेतों के पास पड़ा मिला था. इसकी असली पहचान से अनजान बच्चों ने उसे खेल का सामान समझा और अपने गांव सोरबंद ले आए. घर में अन्य बच्चों और महिलाओं की मौजूदगी में जब इसे खोलने की कोशिश हुई, तो एक भीषण धमाका हुआ. धमाका इतना तेज़ था कि आसपास के घरों की दीवारें तक हिल गईं.

    एक ही परिवार के कई सदस्य शिकार

    हादसे के शिकार हुए ज़्यादातर बच्चे और महिलाएं एक ही परिवार से थे. यह हादसा जिस गांव में हुआ, वहां अभी भी हर ओर मातम पसरा है. घायलों को नज़दीकी खलीफा गुल नवाज़ अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां कई की हालत गंभीर बताई जा रही है. पुलिस प्रवक्ता आमिर खान ने पुष्टि की है कि विस्फोट में इस्तेमाल हुआ मोर्टार शेल बेहद पुराना और जंग लगा हुआ था.


    बम निरोधक दस्ता और जांच शुरू

    घटना के बाद क्षेत्रीय पुलिस अधिकारी सज्जाद खान ने अस्पताल पहुंचकर घायलों का हाल जाना और आश्वासन दिया कि बम डिस्पोजल यूनिट को मौके पर भेज दिया गया है. अधिकारी ने बताया कि यह जांच का विषय है कि यह मोर्टार शेल वहां तक कैसे पहुंचा और क्या इलाके में और ऐसे जिंदा विस्फोटक मौजूद हो सकते हैं.

    आतंक की कोख में पलता पाकिस्तान

    पाकिस्तान लंबे समय से आतंक के तंत्र का पोषण करता आया है, लेकिन अब वह खुद उसी के दलदल में बुरी तरह धंसा हुआ है. खैबर पख्तूनख्वा, बलूचिस्तान और उत्तर वज़ीरिस्तान जैसे क्षेत्र पहले ही आतंकियों के सुरक्षित पनाहगाह माने जाते रहे हैं. तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) और अन्य चरमपंथी संगठनों ने देश के भीतर ही बारूद बिछा रखा है.

    ऐसी घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं

    यह कोई पहली घटना नहीं है जब विस्फोटक ने मासूम जानें ली हों. अक्टूबर 2023 में भी एक हथगोला फटने से एक बच्चे की जान गई थी. हर बार जांच और सुरक्षा की बातें होती हैं, लेकिन असल में आतंक के जख्म लगातार गहराते जा रहे हैं.

    सवाल फिर वही कब थमेगा यह खूनी सिलसिला?

    इस दर्दनाक घटना ने फिर से यह साबित कर दिया है कि पाकिस्तान आतंकवाद की चपेट से बाहर नहीं निकल पा रहा है. जब तक ज़मीनी स्तर पर गंभीर कार्रवाई नहीं होती और असल जड़ों पर प्रहार नहीं किया जाता, तब तक ऐसे हादसे मासूम जिंदगियां यूं ही लीलते रहेंगे.

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